मंत्रिमंडल के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निजी पूंजी के जरिये सरकारी हिस्सेदारी कम करने की मंजूरी देने से पूंजी की तंगी से जूझ रहे बैंकों पर सकारात्मक प्रभाव पडेगा। साख निर्धारण करने वाली एजेंसी मूडीज की इनवेस्टर सेवा ने यहां जारी बयान में कहा है कि बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए संसाधन सीमित होने के मद्देनजर सरकारी हिस्सेदारी कम करके निजी पूंजी बढाये जाने से कम पूंजी की समस्या से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लाभ होगा। गत 10 दिसंबर को मंत्रिमंडल ने बेसल तीन मानकों के अनुरूप बैंकों के पूंजी स्तर में सुधार लाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी को कम कर 52 प्रतिशत करने को मंजूरी दी।मूडीज ने कहा है कि ग्यारह बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत से लेकर 84 प्रतिशत तक है और रिण जमा तथा शाखाों के आधार पर भारतीय बैंकिंग तंत्र में उनकी हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। मंत्रिमंडल ने बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से कम करने की अनुमति नहीं दी है क्योंकि इससे कम होने से बैंकों पर सरकारी नियंत्रण पर असर पडेगा।
मंत्रिमंडल ने कहा है कि बैंकों में चरणबद्ध तरीके से सरकारी हिस्सेदारी को कम कर 52 प्रतिशत तक लाने से वर्ष 2015 से 2019 के दौरान बाजार से 1.61 करोड रूपये की पूंजी जुटायी जायेगी। मूडीज ग्यारह सरकारी बैंकों का साख निर्धारण करती है और उन बैकों को 31 मार्च 2019 तक बेसल तीन मानको के अनुरूप डेढ लाख करोड रूपये से लेकर 2.2 लाख करोड रूपये की टियर एक पूंजी की जरूरत होगी। पिछले चार वर्षों में सरकार ने बैंकों को 58600 करोड रूपये की पूंजी उपलब्ध करायी है। आर्थिक शिथिलता से बैंकों के जोखिम वाले रिण में बढोतरी हुयी है जिससे उसकी संपदा गुणवत्ता भी प्रभावित हुयी है। इससे बैंकों के लाभ और पूंजी जुटाने पर असर पडा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बैंकों को 11200 करोड रूपये की पूंजी देने का प्रावधान किया है। मूडीज ने कहा है कि 11 बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी को 11 प्रतिशत पर लाने से उनमें वर्तमान बाजार मूल्य पर 729 अरब करोड रूपये की नयी पूंजी आयेगी जिससे उनका टियर एक पूंजी अनुपात 8.2 से लेकर 12.2 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। अभी यह अनुपात 7.3 से 9.6 प्रतिशत के बीच है।

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