ग्रामीण बैंकों को मजबूत बनाने के लिए विधेयक लोकसभा में पास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 22 दिसंबर 2014

ग्रामीण बैंकों को मजबूत बनाने के लिए विधेयक लोकसभा में पास

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लोकसभा ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पूंजी आधार बढाने तथा उनकी क्षमताों में सुधार करने के उद्देश्य से लाये गये विधेयक को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सदन में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक 2014 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि इस कदम से ग्रामीण बैंकों का निजीकरण नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण बैंकों की क्षमता में वृद्धि करना चाहती है ताकि वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभा सकें और विशेष कर किसानों को अधिक से अधिक र्कज मुहैया करा सकें ताकि वे साहूकारों के शोषण से मुक्त हो सकें। श्री सिन्हा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ग्रामीण बैंकों का प्रर्दशन अभी खराब है। करीब 619 बैंकों की 19हजार से अधिक शाखायें हैं और उनकी पूंजी 2.4 लाख करोड तथा कुल ऋण 1.6 लाख करोड है। उन्होंने बताया कि इन बैंकों का मार्जिन लाभ 0.8 प्रतिशत है। उनकी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां 4 प्रतिशत एवं सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियां छह फीसदी से कम हैं। 

उन्होंने कहा कि किसानों को र्कज देने के मामले में ग्रामीण बैंकों की हिस्सेदारी नौ प्रतिशत से बढकर 11.6 प्रतिशत हुई है जो अनुपात अपर्याप्त है और सरकार इसे बढाना चाहती है। इसके लिये पूंजी जुटाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि आज भी बडी संख्या में किसान उन सूदखोर चिटफंड कंपनियों के चंगुल में फंस जाते हैं जहां उन्हें बैंकों से अधिक दर पर र्कज मिलता है लेकिन बैंकिंग प्रक्रिया की जटिलता के कारण वे बैंकों से दूर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि ग्रामीण बैंकों के पास अच्छी प्रौद्योगिकी और अच्छे प्रबंधक आयें जिससे उनके कामकाज में सरलता एवं सुगमता आये और लोगों को अधिक से  अधिक ऋण उपलब्ध हो सके। 

श्री सिन्हा ने कहा कि ग्रामीण बैंकों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केन्द्र सरकार. 35 प्रतिशत प्रायोजक बैंक और 15 प्रतिशत राज्यों की होती है। सरकार इस विधेयक के माध्यम से केन्द्र सरकार की कुल 85 प्रतिशत (50 प्लस 35) की हिस्सेदारी को घटाकर 34 फीसदी पर लाना चाहती है तथा 34 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचा जाएगा जिसे निजी निवेशकों के साथ राज्यों को भी लेने की छूट होगी। उन्होंने विपक्षी सदस्यों के ग्रामीण बैंकों के निजीकरण करने की कोशिश के आरोपों को नकराते हुए कहा कि राज्य सरकार को 34 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की पूरी छूट होगी। उन्होंने कहा कि निजी पूंजी आने के बावजूद 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ केन्द्र का पूरा नियंत्रण होगा और बैंकों को निजी पूंजी. प्रौद्योगिकी एवं पेशेवर प्रबंधक मिलने से कामकाज में सुधार आयेगा। बाद में सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। 

पिछले सप्ताह पेश इस क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक संशोधन विधेयक 2014 में किसी भी ग्रामीण बैंक की प्राधिकृत पूंजी पांच करोड रुपए से बढाकर 20 अरब रुपए करने और उनके कामकाज शुरू करने के पांच साल भी प्रायोजक बैंक से वित्तीय सहायता जारी रहने का प्रावधान किया गया है। बीस अरब रुपए की प्राधिकृत पूंजी दस.दस रुपए के चुकता शेयरों में बंटी होगी। इस विधेयक के जरिए 1976 के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम में संशोधन किए जाने हैं। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक केंद्र सरकार. राज्य सरकार तथा प्रायोजित बैंक कों छोडकर दूसरे स्रोतों से पूंजी जुटा सकता है लेकिन इससे केंद्र सरकार और प्रायोजित बैंक की संयुक्त शेयर पूंजी 51 प्रतिशत से कम नहीं होने पाए। अगर संबंधित राज्य सरकार की शेयर पूंजी 15 प्रतिशत से कम की जानी हो तो उससे सलाह मशविरा किया जाए।

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