पाकिस्तान में 500 आतंकवादियों को फांसी पर चढाये जाने की योजना है। इन सभी को आतंकवादी घटनाों में शामिल होने के कारण फांसी की सजा मिली हुयी है। गत सप्ताह पेशावर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान ने फांसी की सजा पर लगी रोक हटा ली थी। इस हमले में 133 स्कूली बच्चों समेत 149 लोगों की मौत हो गयी। पाकिस्तान के इतिहास में सबसे क्रूर इस आतंकवादी हमले के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने छह वर्ष से फांसी की सजा पर लगे प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की।
पेशावर हमले के बाद जनता में बढते गुस्से के मद्देनजर शुक्रवार से लेकर अब तक छह आतंकवादियों को फांसी पर चढाया जा चुका है। इनमें में पांच को वर्ष 2003 में तत्कालीन सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ की हत्या की कोशिश का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा दी गयी जबकि एक आतंकवादी को 2009 में सेना मुख्यालय में हुए हमले के लिए फांसी पर लटकाया गया।
इन आतंकवादियों को फांसी पर लटकाते समय और उत्तर पश्चिमी कबाइली क्षेत्रों में तालिबान आतंकवादियों के खिलाफ सेना के तीव्र अभियान के मद्देनजर पुलिस. सैन्य और अद्र्धसैन्य बलों को हवाई अड्डों. कारावासों और देश भर में तैनात किया गया। हालांकि फांसी की सजा देने के इस निर्णय की संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने निंदा की है। मानवाधिकार पर्यवेक्षकों ने इस कदम को पेशावर हमले की कायरतापूर्ण राजनीतिक प्रतिक्रिया बताया है और आगे फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है।
पाकिस्तान ने 2008 में फांसी की सजा पर रोक लगायी थी लेकिन अदालतें लगातार मौत की सजा सुनाती रही। तब से लेकर शुक्रवार को दी गयी फांसी से पहले केवल एक व्यक्ति को नवंबर 2012 में फांसी पर लटकाया गया।

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