‘हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान’बाल साहित्यकार डाॅ. राष्ट्रबंधु और व्यंग्यकार शांतिलाल जैन को - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 28 दिसंबर 2014

‘हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान’बाल साहित्यकार डाॅ. राष्ट्रबंधु और व्यंग्यकार शांतिलाल जैन को

  • समारोह 29 दिसंबर ‘मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के सभागृह में

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भोपाल। विगत हिंदी दिवस पर मरणोपरांत देह दान करनेवाले वरिष्ठ साहित्यकार हरिकृष्ण तैलंग की स्मृति में ‘अंतरनाद’ द्वारा स्थापित ‘हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान’ बाल साहित्य के मूर्धन्य साधक डाॅ. राष्ट्रबंधु और युवा व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन को प्रदान किया जायेगा। ‘मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन’ के सभागृह में सोमवार, 29 दिसंबर सायं 4 बजे आयोजित समारोह में दोनों सृजनकारों को 11-11 हजार रुपए सम्मान स्वरूप दिए जायेंगे। इस मौके पर श्री तैलंग के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर उपस्थित जनों के संस्मरण सुनाए जाएंगे और बाल साहित्य तथा व्यंग्य पर चर्चा होगी। ज्ञातव्य है कि विभिन्न विधाओं की लगभग दो दर्जन पुस्तकों के रचनाकार श्री तैलंग को बाल मनोविज्ञान के अद्भुत, सक्षम और संस्कारशील लेखन के लिए विशेष स्मरण किया जाता है।

‘कुत्तापालक कालोनी’ और मप्र साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत ‘घास चोरी का मुकदमा’ शीर्षक व्यंग्य संग्रहों से अग्रणीय व्यंग्यकारों में शुमार श्री तैलंग की मारक और गुदगुदानेवाली व्यंग्य रचनाओं में समकालीन जीवन की विसंगति और विरोधाभासी विडंबनाओं के पैने, चुुटीले विश्लेषण को खूब सराहा गया। उनकी प्रमुख पुस्तकें ‘पतंग बोली’, ‘होली का हौवा’, ‘जूता चर्चा’, ‘बात का बतंगड़’, ‘मेंढक की करामात’, ‘बकरी के जिद्दी बच्चे’, ‘अच्छे दोस्त बनाओ’, ‘कथाओं में नाचता मोर’, ‘बोलती पुतलियाँ’, ‘वाहन कैसे बने कैसे चले’, ‘हमारा
गाँव हमारा देश’, ‘फलों का राजा आम’, ‘प्याज और लहसुन’, ‘पर्यावरण और संतुलित भोजन’, ‘जल: जीवन और जहर’, ‘संस्कृत कथाएँ’, ‘बुद्धचरितम्’, ‘अपंग जिनसे दुनिया दंग’ आदि हैं।

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