- 36 घंटे बाद भी आतंकी ठेकानों पर नहीं की गयी छापामारी, पकड़ना तो दूर
- मुंबई हमले का आतंकी खुलेआम घूम रहा पाकिस्तानी सड़कों पर, लचर व्यवस्था के चलते कोर्ट ने मुंबई हमलों के आरोपी लखवी को दी जमानत, अमेरिका ने भी उठाएं शरीफ के वादे पर सवाल
जीं हां, एक बार फिर सामने आया है पाक का दोगला चेहरा! मतलब पाकिस्तानी कोर्ट ने मुंबई हमलों के आरोपी लखवी को जमानत दे दी है। जबकि अभी 24 घंटे भी नहीं बीते है, जिसमें नवाज शरीफ ने आतंकियों के खिलाफ आखिरी सांस तक युद्ध कर उन्हें पाकिस्तानी सरजमी से नेस्तनाबूद करने की दुहाई दी थी। शरीफ की कारगुजारियां देख देख कर नहीं लगता कि वह अपने वादे पर टिके रह पायेंगे। हालांकि शरीफ मियां के वादे पर खुद पाकिस्तानी आवाम को भी यकीन नहीं है। वजह भी साफ है, 132 मासूम बच्चों को गवाने के 36 घंटे बीतने को है लेकिन अभी तक एक भी आतंकी ठेकानों पर छापामारी नहीं की गयी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस हाफिज सईद को आतंकी घोषित किया जा चुका है, वह पाकिस्तान की सरजमी पर ही न सिर्फ खुला घूम रहा है बल्कि टीवी न्यूज चैनलों के सामने रहकर भारत को उड़ा देने की धमकी दे रहा है। यहां तक कि अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी पाकिस्तानी सेना और शरीफ के दोहरे रवैये पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि भारत को अपना दुश्मन नंबर-1 बताकर अमेरिकी मदद के सहारे भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ कई तालिबानी संगठनों को मदद पहुंचाती रही है, लेकिन उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि आतंकवादी उसके अस्तित्व के लिए ही खतरा बन सकते हैं।
जबकि आर्मी स्कूल पर हमले के बाद उम्मीद की जा रही है कि आतंकवाद पर पाकिस्तान सख्त रुख अपनाएगा। लेकिन हालात बता रहे है वहां कुछ नहीं बदलेगा। धर्म, राजनीति और सेना के कई लोग आज भी दहशतगर्दों के साथ हैं, उनकी पूरी संवेदना आतंकियों के साथ थी और आगे भी रहेगी। फिलहाल, भले ही वे घटना की निंदा कर रहे हों लेकिन कुछ ही दिनों में उनका असली रंग फिर सामने आ जाएगा, इसलिए बेहतर कल की कोई उम्मीद जेहन में पालना बेमानी होगी। कबीलाई इलाकों में पाकिस्तान का यह खेल और भी जोखिम भरा साबित हुआ है। इंटेलिजेंस एक्सपर्ट्स की मानें तो पाक सेना अब भी अफगानिस्तान की सरकार के खिलाफ तालिबान का इस्तेमाल कर रही है। वहीं, पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान ने इस मामले में बेहद बुद्धिमानी वाला निर्णय लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल करने के लिए देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को वापस ले लिया। हालांकि, उन्हें अब अपनी इस मांग को भी खारिज करना चाहिए कि सरकार आतंकवादियों से लड़ने के बजाय उनसे बातचीत करे। इस तरह की असफल कोशिश पहले भी हो चुकी है। आतंकवादियों का खात्मा करने के लिए पाकिस्तान को सेना का इस्तेमाल करने के साथ-साथ अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। आतंकवादियों का खात्मा करने के लिए उसे एक जिम्मेदार सरकार चाहिए। इस सरकार के नेताओं को यह साबित करना होगा कि वे किसी भी आतंकवादी संगठन का समर्थन नहीं करेंगे। वैसे भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का शरीफ का वादा बिलकुल दमदार नहीं है-क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस हाफिज सईद को आतंकी घोषित किया जा चुका है, जिसके खिलाफ भारत सबूत सौंप चुका है, वह खुला घूम रहा है और संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित कर दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान सरकार सईद को सामाजिक कार्यकर्ता मानती है। उसे सुरक्षा सहित हर तरह की सुविधा दे रही है। अब तक आतंकवाद के खिलाफ ठोस कानून तक नहीं बना पाई है पाकिस्तान सरकार। एक कानून है भी तो उसके तहत छह महीने में केवल दो मामले दर्ज हुए हैं। 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में आतंकी छूट जाते हैं। जिन मामलों में सजा हुई भी, उनमें सजा की तामील न के बराबर हुई।
सुरेश गांधी
वाराणसी

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