सत्तापक्ष के एक सदस्य द्वारा परिचर्चा के दौरान छत्तीसगढ में जारी नक्सलवाद में वामपंथी उग्रवादियों के शामिल होने के बयान पर राज्यसभा में वामदलों के सदस्यों ने उक्त सदस्य से माफी की मांग की जिसके कारण सदन में कुछ समय तक हंगामे की स्थिति रही। कार्यवाही शुरू होते ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा ने इस मुद्दे को उठाते हुये कहा कि सत्तापक्ष के सदस्य तरूण विजय ने कल परिचर्चा के दौरान वामपंथियों को उग्रवादी करार दिया जो आपत्तिजनक है। इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि इसको कार्यवाही से हटाया जा चुका है।
इस पर श्री राजा ने कहा कि इस तरह के बयान को कार्यवाही से हटाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि संबंधित सदस्य को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। वामपंथियों को किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा कि श्री विजय को माफी मांगनी पडेगी और सभापति को इसके लिए आदेश देना चाहिए।
श्री कुरियन ने कहा कि जो आपत्तिजनक था उसे हटाया जा चुका है और वह सदस्य को इसके माफी मांगने का आदेश नहीं दे सकते हैं। इस पर श्री विजय ने कहा कि वह श्री राजा का सम्मान करते हैं और उन्होंने माक्र्सवादी लेनिनवादी वामपंथियों के बारे में यह बात कही थी। उनका इरादा सदस्यों को आहत करने की नहीं थी। हांलाकि उन्होंने माफी नहीं मांगी जिसके कारण सदन में कुछ समय तक हंगामे की स्थिति रही।

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