- - एससी एसटी थानों में संसाधनों की कमी के कारण भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है
- - पूर्णिया प्रमंडल में 350 और कोसी प्रमंडल में 280 मामले
- - पूर्णिया में सर्वाधिक 155 एवं किशनगंज में सबसे कम 44 उत्पीड़न के मामले हुए दर्ज
- - पिछले 11 माह में आगजनी के दो मामले हुए हैं प्रतिवेदित
एक ओर जहां सूबे में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार को लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर से कई कवायद शुरू की गई है वहीं दूसरी ओर कांडों के निष्पादन में सुस्ती एवं अत्याचार के मामलों में सुसंगत धारा नहीं लगाए जाने के कारण इसका लाभ दोषियों को आसानी से मिल जाता है। हाई प्रोफाइल मामले को छोड़ दे ंतो अधिकांश मामलों में निचली अदालत से दोषियों की रिहाई का आदेश होने के बाद उपरी अदालत में इसे चुनौती देने का काम भी पुलिस महकमा नहीं करती है। एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम का कड़ाई से पालन नहीं होने के कारण उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सिर्फ कोसी क्षेत्र की बात करें तो प्रतिदिन एससी एसटी थानों में विभिन्न मामलों से संबंधित औसतन दो कांड प्रतिवेदित होते हैं। पिछले ग्यारह माह में कोसी के जिलों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की हत्या के चार, दुष्कर्म के तीन, आगजनी के दो सहित विभिन्न मामलों के 630 मामले दर्ज किए गए हैं। कटिहार व किशनगंज जिले में आग लगाकर उत्पीडि़त करने के एक एक मामले सामने आए हैं। पूर्णिया जिले मे सबसे अधिक उत्पीड़न के 155 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं किशनगंज जिले में सबसे कम 44 कांड प्रतिवेदित हुए हैं। अपराध अनुसंधान विभाग कमजोर वर्ग द्वारा एससी एसटी उत्पीड़न के मामले में त्वरित विचारण एवं निष्पादन का निर्देश दिया गया है। लेकिन सुस्त पुलिसिया कार्रवाई के कारण निष्पादन की गति धीमी है। एससी एसटी थानों में संसाधनों की कमी के कारण भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोसी क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार के तहत पीसीआर एवं पीओए एक्ट के किसी तरह का मामला सामने नहीं आया है।
कोसी व पूर्णिया प्रमंडल के जिलों में दर्ज मामलों की संख्या:
जिला दर्ज मामलों की संख्या
कटिहार - 73
पूर्णिया - 155
अररिया - 79
किशनगंज - 44
सहरसा - 133
मधेपुरा - 66
सुपौल - 81
त्वरित कार्रवाई का दिया है निर्देश: अरविंद पांडेय, एडीजी, कमजोर वर्ग सूबे में एससी एसटी अत्याचार को लेकर त्वरित कार्रवाई एवं विचारण का निर्देश दिया गया है। सभी अनुसूचित जाति एवं जनजाति थाना को माडल थाना बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। 53 संगीन वारदातों की समीक्षा मुख्यालय स्तर से की गई है।
कुमार गौरव,
सहरसा:

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