थोक महंगाई दर हो, कच्चे तेल की कीमत हो, पेट्रोल-डीजल के दाम हो, भारतीय रूपया हो, मौसम का तापमान हो या सेंसेक्स हर तरफ तरफ गिरावट जारी है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिंसो की कीमतों में जोरदार गिरावट के कारण नवंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति घटकर शून्य पर आ गयी है जो पिछले महीने 1.77 प्रतिशत पर थी। थोक महंगाई का यह स्तर पिछले पांच साल का न्यूनतम है। शून्य पर आई थोक महंगाई ने रिज़र्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव बढ़ा दिया है।
वहीँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत भी पांच साल के निचले स्तर पर है। इस वजह से पेट्रोल-डीजल के कीमतों में भी लगातार गिरावट जारी है। अक्टूबर के बाद से पेट्रोल - डीजल के दाम चार बार घटाए गए जबकि अगस्त के बाद यह लगातार आठवीं गिरावट है।
भारतीय रूपया भी बुरे दौर से गुजर रहा है और इसमें भी लगातार गिरावट जारी है। रूपये ने पिछले तेरह महीने का न्यूनतम स्तर छू दिया है। परिस्थितियां भी ऐसी बन रही है जिससे गिरावट थमने की उम्मीद कम ही है।
पिछले दिनों बारिश और बर्फबारी के कारण मौसम के तापमान में गिरावट देखने को मिली जो आने वाले दिनों में और भी गिरेगा। मेरी सलाह है तापमान के गिरावट में खुद को बचाइये और बेसहारों को भी।
अगर सेंसेक्स में गिरावट की बात करें तो यहां हाहाकार मचा हुआ है। सेंसेक्स में लगातार हो रही गिरावट ने निवेशकों और शेयर कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है। सेंसेक्स गिरकर 27000 के निचे जबकि निफ़्टी 8100 के निचे आ चूका है। कुछ विशेषज्ञों को निफ़्टी में 300 से 500 अंकों के और गिरावट का अंदेशा है। हालांकि वर्ष 1980 से 2013 तक सिर्फ 6 बार ही मार्केट ने दिसंबर के महीने में निगेटिव रिटर्न दिया है।
राजीव सिंह
संपर्क : rajivr.singh@yahoo.co.in

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