रेलवे बढ़ते खर्च के बावजूद गुणवत्तापूर्ण यात्री सेवाअेां एवं यातायात प्रणाली में ढांचागत सुधार के लिए धन जुटाने के वास्ते स्टेशनों. प्लेटफार्मो. गाडि़यों के कोच एवं अन्य वस्तुों पर विज्ञापन एवं प्रचार सामग्री के उपयोग से धन जुटायेगी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु के निर्देश पर इस संबंध में एक छह सदस्यीय समिति गठित की गई है. जिसकी अध्यक्षता रेलवे बोर्ड में सदस्य (यातायात) डी पी पांडे करेंगे। समिति में बोर्ड में सलाहकार(वित्त). मध्य रेलवे के महाप्रबंधक. रेलवे बोर्ड में सलाहकार (आधारभूत ढांचा) राइट्स के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक तथा आईआरसीटीसी के प्रबंध निदेशक भी शामिल हैं। समिति से 26 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया है। श्री प्रभु रेलवे की खस्ताहालत पर एक श्वेत पत्र तैयार कर रहे हैं जिसे वह आगामी रेल बजट के साथ पेश करेंगे तथा राजस्व बढ़ाने के लिए अगर उनके वैकल्पिक उपायों एवं विदेशी या निजी पूंजी निवेश के प्रस्ताव नहीं मिले तो वह बजट में रेल यात्री किराये एवं माल भाड़े में वृद्धि के कदम उठा सकते हैं। श्री प्रभु का कहना है कि रेलवे के पास छह से आठ लाख करोड़ रूपये के काम लंबित हैं। जिनमें मौजूदा ढांचे के आधुनिकीकरण का व्यय शामिल नहीं है। रेलवे के सामने धन जुटाने के दो ही रास्ते हैं. किराये भाड़े में वृद्धि या सरकार से बजटीय मदद। तीसरा विकल्प निजी या विदेशी पूंजी निवेश तथा नये रास्ते तलाशना होगा।
श्री प्रभु का मानना है कि संरक्षा. यात्री सुविधायें और ट्रैक एवं सिगनल प्रणाली में निवेश जरूरी है। इसके लिए वह अन्य मंत्रालयों के भी संपर्क में हैं। यात्री सुविधाों में भोजन की गुणवत्ता. चादर तौलियें आदि की सफाई की गुणवत्ता. स्टेशनों पर साफ सफाई. कोच में बैठने के स्थान और शौचालय की स्वच्छता एवं सुन्दरता उनकी प्राथमिकता है। रेल मंत्री की ओर से उनकी प्राथमिकता के अनुरूप स्टेशनों. प्लेटफार्मो एवं कोचों में स्वच्छता के लिए पांच जनवरी तक एक एकीकृत नीति तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं। जोनल रेलवे को भी साफ सफाई के लिए पृथक हाउस कीपिंग विभाग बनाने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार वह रेलवे कोचों में डिजीटल स्क्रीन लगाने की भी संभावना तलाश रहे हैं जिस पर विज्ञापन और स्वच्छता संबंधी प्रेरक संदेश आते रहें। स्क्रीन के लिए निजी प्रायोजक ढूंढे जा सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि रेलवे में निजी पूंजी का आना अवश्यंभावी हो गया है लेकिन इसे ऐसे लाया जायेगा जिससे रेल सेवाों पर पूरा नियंत्रण सरकार का ही बना रहे। उनका कहना है कि रेलवे को दुर्दशा से निकालने के लिए दो से तीन साल लगेंगे। सूत्रों के अनुसार रेल मंत्री बुलेट ट्रेन के विचार से भी अधिक उत्साहित नहीं है। वह चाहते हैं कि भारतीय परिस्थितियों के अनुसार हाईस्पीड रेल सेवा के स्वदेशी पैमाने बनें और स्वदेशी नाम हो।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें