केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रशासनिक हिंदी में कि्लष्टता की परंपरा तोडनें और इसके अनुवाद को बदलने की जरूरत पर आज बल दिया। श्री प्रसाद ने यहां चौथे श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी सहज स्वभाव की भाषा है और इसे सरल बनाकर ही ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सकता है। उनका कहना था कि प्रशासनिक हिंदी के अनुवाद में जो घालमेल की स्थिति है वह पीडा देती है । इसलिए इसकी कि्लष्टता की परंपरा को तोडा जाना जरूरी है।तथा प्रशासनिक हिंदी को सरल और सहज बनाया जाना चाहिए 1 उन्होंने साहित्यकारों से इसमें मदद करने का आग्रह किया. श्री प्रसाद ने आकाशवाणी. दूरर्दशन. संसद. विधानसभा जैसे शब्दों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सभी शब्द हिंदी की सहज प्रकृति के अनुरूप थे इसलिए लोकप्रियता के चरम पर पहुंचे हैं। उन्होंने हिंदी की कि्लष्टता का एक और उदाहरण दिया और कहा कि पिछले दिनों उनके एक अधिकारी ने हिंदी में एक कैबिनेट नोट मंगाया लेकिन दस दिन बाद उसने फिर अंग्रेजी का कैबिनेट नोट मंगाया और कहा कि हिंदी वाले नोट से उन्हें कुछ समझ में आ रहा है ।
उन्होंने कहा कि आज भारतीय भाषाों को प्रोत्साहन देने का समय है ।इसमें हिंदी भाषा को विशेष महत्व दिए जाने की जरूरत है। श्री प्रसाद ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते उन्होंने तकनीकी विशेषज्ञों को कम्प्यूटर और मोबाइल पर संदेशों के आदान प्रदान के लिए भारतीय भाषाों का साफटवेयर तैयार करने के लिए कहा है और इस पर काम चल रहा है। इस मौके पर उन्होंने सरल शब्दों के इस्तेमाल के बहाने अपनी सरकार की उपलबि्धयों को भी गिनाना नहीं भूला और कहा कि जनधन योजना जैसे सरल शब्दों का प्रयोग करके सरकार ने गरीबों के बीच पहुंचने की जो योजना बनाई .उसे रिकार्ड सफलता मिली और 11करोड़ 50 लाख लोगों ने इस योजना के तहत खाते खोले और 90 अरब रुपए जीरो बैलेंस वाले खातों में जमा हुए। चौथे इफको साहित्य सम्मान से नवाजे गए कथाकार मिथिलेश्वर ने कहा कि गांव ही साहित्य की उर्वरक भूमि है और उसी जमीन पर बेहतर साहित्य की रचना संभव है।
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