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भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की तीन अप्रैल से बेंगलुरू में होनेवाली बैठक में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा हावी रहने की संभावना है क्योंकि इस एक मुद्दे ने जहां विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया है वहीं सरकार के आर्थिक सुधारों के रास्ते में फांस की तरह गड़ गया है । पार्टी इस विधेयक को लेकर विपक्ष द्वारा किये जा रहे दुष्प्रचार से प्रभावी ढंग से निपटने के उपायों पर जहां विचार करेगी वहीं राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यक्रम का स्वरूप भी तय किया जायेगा। इसके तहत किसानों को इस विधेयक के फायदों से अवगत कराया जायेगा। इसके अलावा नरेंद्र मोदी सरकार की दस महीने की उपलब्धियों को गिनाकर बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव जीतने के लिये कार्यकर्ताओं से कमर कसने का आहवान किया जायेगा ।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भाषण से कार्यसमिति की बैठक शुरू होगी जिसमे श्री शाह पार्टी के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने और बिहार के अगले विधानसभा चुनावों को जीतने का मंत्र बतायेंगे। वह पार्टी का जनाधार बढाने के लिये चलाये गये सदस्यता अभियान और कार्यकर्ताओं से नजदीकियां बढाने एवं उन्हें उत्साहित करने के लिये नये कार्यक्रम घोषित कर सकते हैं।
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष खासतौर से कांग्रेस द्वारा हाईकमान के स्तर पर चलाये जा रहे अभियान ने भाजपा के लिये परेशानियां खडी की है। इससे निपटने के लिये श्री शाह किसानों को विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही कथित भ्रांतियों को ग्रामीण स्तर पर दूर करने का इरादा जाहिर कर चुके हैं। कार्यसमिति इस चुनौती का मुकाबला करने के लिये जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की सेवा लेने के तौर तरीके सुझा सकती है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर दो प्रस्ताव पेश किये जायेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यसमिति को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने के साथ ही विपक्ष पर विकास कार्याें में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाते हुये उस पर प्रहार कर सकते हैं। वह कार्यसमिति के सदस्यों से केंद्रीय बजट में की गई घोषणाओं का जिक्र करने के साथ उनसे कोयला ब्लाक और स्पेक्ट्रम आवंटन से मिलने जा रहे लगभग तीन लाख करोड रूपये को बडी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करने का आह्वान भी कर सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की आम आदमी पार्टी (आप)के हाथों करारी शिकस्त का मुद्दा दिल्ली के चुनावों पर प्रदेश अध्यक्ष द्वारा समीक्षा रिपोर्ट रखे जाने पर उठ सकता है, लेकिन भाजपा के लिये आप के नेताओं के मतभेद खुलकर सामने आने के बाद अपना बचाव करने का रास्ता मिल गया है। वह आप की लडाई का राजनीतिक फायदा उठाकर दिल्ली में एक बार फिर अपना जनाधार बढाने का भरोसा दिला सकती है।
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