नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय )। पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा विवाद जगजाहिर है अब हरियाणा में खटटर सरकार है तो दिल्ली में भाजपा को बुरी तरह हराने वाली आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार है। विवाद बढ़ाना लाजमी है लेकिन अब एक एजेंसी नज़र रखेगी की दिल्ली को पानी मिल रहा है या नहीं। हरियाणा सिंचाई विभाग के कर्मचारियों द्वारा दिल्ली जल बोर्ड कर्मचारियों की पिटाई मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि यह कोई जंगलराज नहीं है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाकर उन्हें जेल भिजवाया जाए। न्यायमूर्ति बीडी अहमद व संजीव सचदेव की खंडपीठ के समक्ष जल बोर्ड ने आरोप लगाया कि हरियाणा से उचित मात्र में पानी न मिलने से कई जलशोधन संयंत्र पूरी तरह से काम नहीं कर रहे। हम कहा पानी लाएं। खंडपीठ ने दिल्ली जल बोर्ड व हरियाणा सरकार को जल विवाद को हमेशा के लिए निपटाने के लिए एक निष्पक्ष एजेंसी का गठन करने के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने कहा कि यह एजेंसी निगरानी रखेगी कि दिल्ली को पर्याप्त मात्र में पानी मिल रहा है या नहीं।
इस बारे में दोनों पक्षों को 27 मार्च तक अपने सुझाव देने का आदेश जारी किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले जल बोर्ड ने अदालत में हरियाणा सरकार को लिखे पत्र पेश करते हुए कहा था कि हरियाणा सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने बोर्ड के कर्मचारियों की पिटाई करके फरार हो गए। जल बोर्ड ने बताया कि हैदरपुर प्लांट को 230 एमजीडी पानी मिलना चाहिए था, लेकिन उसे 190 एमजीडी पानी मिल रहा है। इसी प्रकार द्वारका संयंत्र को 50 एमजीडी की अपेक्षा 10 एमजीडी, नांगलोई को 40 एमजीडी की अपेक्षा 30 एमजीडी व ओखला को 20 एमजीडी की अपेक्षा 10 एमजीडी पानी मिल रहा है। यहां तक की बवाना को 20 एमजीडी मिलना था, लेकिन उसे कुछ नहीं मिल रहा है। अदालत में हरियाणा सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि हम तय नियमों के तहत पूरा पानी छोड़ रहे हैं और उन पर गलत आरोप लगाया जा रहा है। बल्कि जल बोर्ड हरियाणा से मिला पानी बर्बाद कर रहा है।

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