- फेसबुक, ट्वीट्र से लेकर सोशल मीडिया तंत्र गदगद
- कहा, इस फैसले से संविधान में मिले अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूती मिलेगी
जी हां, सोशल साइट पर कुछ भी लिखने पर अब तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया है। माना जा रहा था कि गला काट मीडिया तंत्र में लोग अपनी बातें नहीं कह पा रहे थे। विज्ञापनदाताओं के आगे बहुत हद तक मीडिया में स्वतंत्रता खत्म सी हो चली थी। सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता था और कभी-कभीर जनमानस के दवाब में लिखा भी जाता था तो आरोपी के बातों से ही उसका खंडन कर दिया जाता था। लेकिन फेसबुक-ट्वीटर सहित अन्य सोशल मीडिया की सक्रियता के चलते लोग अपनी बात कह सकते थे। पर इस पर भी कानून की धारा आईटी-एक्ट 66 के तहत रोक लग गयी थी। सच्चाई बयान करने पर कबीना मंत्री आजम खां जैसे अपनी शासन-सत्ता की हनक पर मुकदमा दर्ज कराकर गिरफतारी तक करवा देते थे। लेकिन अब राहत मिल जायेगी। लोगों का कहना है कि सोसल साइट ही एक माध्यम था अपनी बात कहने का, लेकिन इस पर भी न सिर्फ रोक लगी थी, बल्कि मुकदमा दर्ज कर गिरफतारी का भी आदेश था। इस आदेश का यूपी कबीना मंत्री बड़ी तेजी से इसका फायदा उठा रहे थे और उनके काली कारतूते व बड़बोलेपन को लिखने पर इस एक्ट का ढाल बना रहे थे।
बता दें, सोशल मीडिया पर विवादास्पद कमेंट पर जिस आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत कार्रवाई होती थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने अब निरस्त कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि कमेंट करने पर आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है लेकिन इस धारा के तहत अब गिरफतारी नहीं होगी। इस धारा को निरस्त किए जाने से अब कमेंट करने पर तुंरत होने वाली गिरफ्तारियों पर रोक लगेगी। हालांकि इसके बावजूद किसी भी नागरिक को बिना-सोझे समझे कुछ भी कमेंट करने की आजादी नहीं होगी, उससे खिलाफ अन्य धाराओं के तहत पुलिस मामला चलाने में सक्षम होगी। पिछले दिनों यूपी के मंत्री आजम खान के खिलाफ कमेंट करने वाले एक छात्र को 24 घंटे के भीतर इसी धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि देश में आईटी की धारा 66ए का गलत इस्तेमाल नहीं हो इसके लिए सारी कोशिशें की जाएंगी। सरकार ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों को पत्र लिख कर इस धारा के तहत आनन-फानन में गिरफ्तारी न करने को कहा था। इसके बावजूद पिछले दिनों यूपी में आजम खान पर कमेंट करने पर एक लड़के की गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए केंद्र सरकार की दलील को खारिज कर दिया कि अगर मामला हेट स्पीच का है तो अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई करें।
आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालीं श्रेया सिंघल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संविधान में मिले अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूती मिलेगी। इस धारा के तहत पुलिस कुछ भी कमेंट करने पर गिरफ्तार कर सकती थी। देश में ऐसे कई मामले देखे गए, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। किसी को इसलिए डरने की जरूरत नहीं होगी कि वह कुछ लिखेगा तो उसे जेल हो जाएगी। यह हमारे लिए एक बड़ी जीत है। श्रेया ने शहीन और रीनू श्रीनिवासन की गिरफ्तारी के मामले के बाद इस संबंध में जनहित याचिका दायर की थी। गिरफ्तारी के कारण रीनू की इंजीनियरिंग की पढ़ाई एक साल तक प्रभावित हुई थी। बाला साहेब ठाकरे पर साल 2012 में पालघर की शहीन नाम की एक लड़की ने कमेंट किया था जिसके बाद रीनू ने उसे लाइक किया था। शिवसेना की नाराजगी के बाद पुलिस ने धारा 66ए के तहत दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर रीनू ने कहा कि हमें न्याय मिला। कम से कम सोशल साइट पर लिखने और संदेश देने की इजाजत होनी चाहिए। गौरतलब है कि इस धारा के तहत सोशल मीडिया या कंप्यूटर के जरिए आपत्तिजनक, चिढ़ाने, भड़काने, ठगने के उद्देश्य से ई-मेल या कमेंट करने पर गिरफ्तारी का प्रावधाना था। दोष सिद्ध होने पर तीन साल की सजा तक संभव थी। हालांकि धारा 66ए को छोड़कर आईटी एक्ट की अन्य धाराएं मौजूद रहेंगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ एक कार्टून बनाने पर पुलिस ने अंबिकेश महापात्रा नाम के एक प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया था। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में आजम खान के खिलाफ फेसबुक पर एक कमेंट को लेकर पुलिस ने एक छात्र को गिरफ्तार किया था। इसी तरह अन्ना आंदोलन से जुड़े रहने वाले असीम त्रिवेदी ने फेसबुक पर केंद्र सरकार के खिलाफ एक कार्टून पोस्ट किया था, जिसके बाद उन्हें इसी धारा के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाल ठाकरे पर कमेंट के कारण 2012 में दो लड़कियों शहीन और रीनू की गिरफ्तारी हुई थी। शहीन ने कमेंट किया था और रीनू ने उस कमेंट को लाइक किया था।
--सुरेश गांधी--


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