महान सम्राट अशोक की जयंती ‘दी बुद्धिस्ट सोसायटी आॅफ इण्डिया (बिहार शाखा) समता सैनिक दल (दोंनो संगठनों के संस्थापक अध्यक्ष डा॰ बी॰आर॰ अम्बेडकर है) सम्राट अशोक फाउंडेशन, अ॰भा॰ सम्राट अशोक विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में सन् 2009 से पटना में पुनः मनायी जा रही है। भारत का प्राचाीन इतिहास, बौद्ध ग्रंथ महावंश एवं दीब्यावदान के अनुसार सम्राट अशोक की जयंती चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को बड़े धूम धाम से तत्कालीन देशवासियों द्वारा मनायी जाती थी जो सम्राट अशोक की सातवीं पीढ़ी के सम्राट बृहद्रथ के शासन तक एक पर्व का रूप धारण कर चुका था। वृहद्रथ की हत्या कर पुष्पमित्र शुंग ने शासन व्यवस्था पर कब्जा जमा लिया। शंुग ने सिर्फ शासन व्यवस्था पर ही कब्जा नहीं किया बल्कि यहाँ के लोगों के धर्म, संस्कार एवं परम्पराओं को भी मिटाने की भरपूर कोशिस की। परिणाम स्वरूप तत्कालीन रीति-रिवाज ही नष्ट नहीं हुए बल्कि भारत टुकड़े-टुकडे़ में बट गया लोग अंधविश्वास एवं रूढि़वादिता का गुलाम बन कर रह गये। सोने की चिडि़या कहलाने वाला देश कंगालों एवं मदारियों का देश कहलाने लगा। जिस धरती से पैदा हुये बुद्ध धम्म को विश्व गुरू का दर्जा प्राप्त हुआ, जिस धरती को नमन करने दुनिया भर के लोग भारत की यात्रा करते है। वहाँ के वासिंदे लगभग आठ सौ वर्षो तक उस ज्ञान विज्ञान से अछूते रहे।
बाबा साहब डा॰ बी॰आर॰ अम्बेडकर ने ‘दी बुद्धिस्ट सोसायटी आॅफ इण्डिया की स्थापना कर बुद्ध धम्म का प्रचार-प्रसार प्रारम्भ किया। वे सम्राट अशोक की शासन व्यवस्था से काफी प्रभावित थे। उनकी प्रेरणा से सम्राट अशोक से जुड़े महत्वपूर्ण पर्वों को पुनः जागृत कर देश की गौरवशाली परम्परा की शुरूआत बिहार में फिर से की गयी है। 27 मार्च को प्रातः 8 बजे समता शांति सद्भावना मार्च कार्यक्रम स्थल से शहीद स्मारक तक बेली रोड, आयकर गोलम्बर, आर ब्लाक के रास्ते जायेगा, जहाँ शहीदों को नमन कर पुनः कार्यक्रम स्थल लौटेगा। मुख्य कार्यक्रम दोपहर दो बजे से प्रारम्भ होगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ भंते प्रज्ञा दीप (बोधगया) के नेतृत्व में भिक्खु संध के बुद्ध बंदना मंगल पाठ से होगा कार्यक्रम में श्री अवधेश प्र॰ कुशवाहा मंत्री निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध, श्री नौशाद आलम मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण, श्री सी.पी. सिंहा अध्यक्ष किसान आयोग डा॰ रेणु कुमारी स॰वि॰स॰पूर्व मंत्री सहित दर्जनों मंत्री पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक एम.एल.सी भाग लेने की स्वीकृति दे चुके है। कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु राज्य के कोने-कोने से करीब दस हजार आयोजक संगठनों के प्रतिनिधि पटना पधार रहे है। कार्यक्रम का उद्देश्य फिर से भारत की गौरवशाली परम्परा की वापसी एवं समाज में करूणा मैत्री एवं भाईचारे की भावना को जागृत करना है।

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