देश की आधे से ज्यादा आबादी रक्त की कमी से जूझ रही है, 74 प्रतिशत बच्चों के एनीमिया की समस्या
देहरादून, 22 मार्च (राजेन्द्र जोशी) । सघन आबादी वाले, कृषि पर आधारित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत जैसे देश में एक गंभीर चिकित्सकीय समस्या लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है जिसकी वजह से वयस्कों में कम उत्पादकता, बच्चों की कमजोर वृद्धि, जन्म के समय कम वनज और जन्म के वक्त बच्चों की बढ़ती हुई मृत्यु दर की समस्या जोर पकड़ रही है। एनीमियाको’’खून की कमी’’ कहना कहानी का सिर्फ आधा हिस्सा है। खून दो हिस्सों से मिलकर बनता है। एक तरल हिस्सा जिसे प्लाज्मा कहते हैं और दूसरा सेल्यूलर हिस्सा होता है। सेल्यूलर हिस्से को लालरक्त कणिकाएं, श्वेत रक्तकणिकाएं और प्लेट लेट्स कहा जाता है। एनीमिया एक ऐसी दशा होती है जिसमें मानव शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम हो जाती है। ये लाल रक्त कणिकाएं फेफड़े से शरीर के अन्य हिस्सों तक आॅक्सीजन का संचार करती हैं और इस लिए इनका सेहतमंद जीवन शैली के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में एनीमिया के मामलों में 1998 से 2005 के बीच इजाफा हुआ। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के मुताबिक देश की आधे से ज्यादा आबादी रक्ताल्पता की कमी से जूझ रही है। आयरन की गंभीर कमी, स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की अधिक लागत, भोजन की खराब गुणवत्ता और गंभीर गरीबी इसके प्रमुख कारण हैं। महिलाओं में एनीमिया मातृ मृत्युदर और गर्भ के दौरान मृत्यु का कारण बन सकता है। उत्तर प्रदेश में 49.9 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों वाले देश में काफी राज्यों में फैल रहा है। राजस्थान में 6 महीने से लेकर 5 साल तक के 69.7 फीसदी बच्चों में एनीमिया की समस्या है। 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों वाले देश में काफी राज्यों में फैल रहा है। उत्तर प्रदेश में 6 महीने से लेकर 5 साल तक के 74 फीसदी बच्चों में एनीमिया की समस्या है। लेकिन हैरानी की बात है कि ज्यादातर लोग रक्ताल्पता के शुरूआती लक्षणों की ओर ध्यान ही नहीं देते हैं। यहां तक कि सबसे सामान्य प्रकार के एनीमिया, आईडीए यानी आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया की भी पहचान नहीं हो पाती है। इसके लक्षणों के प्रति लापरवाही ही संभवतः इस का प्रमुख कारण है। आमतौर पर थकान, ऊर्जा की कमी, छोटी सांस, अनियमित धड़कन, कमजोरी और चक्कर आने जैसी मामूली बीमारियों को नजर अंदाज करने की प्रवृत्ति होती है जो कुछ दिन आराम करने से ठीक हो सकती है। इन शुरूआती लक्षणों को नजर अंदाज करना अंगों को पूरी तरह या आंशिक तौर पर क्षति पहुंचने का लक्षण हो सकता है और इनसे रक्ताल्पता की गंभीर स्थिति की ओर बढ़ने का भी रास्ता भी तय हो सकता है।
भीमताल की सुन्दरता विश्व विख्यामः सीएम
देहरादून, 22 मार्च । भीमताल की सुन्दरता विश्व विख्यात है, वही इस कस्बे का ऐतिहासिक महत्व है। होटल व्यवसाय जहां पर्यटन की नींव है। प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर को संजोए रखने मंे भी कडी का कार्य करता है। हम अपने प्रदेश की पारम्परिक विरासत व संस्कृति को बचाने के लिए भीमताल जैसे कस्बों के आसपास के गांवों में हस्तशिल्प ग्राम विकसित करें, ताकि इन छोटे पर्वतीय कस्बों में प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने वाले पर्यटकों को स्थानीय हस्तशिल्प व उत्पाद मिल सके। इससे पर्यटन एवं रोजगार के अवसर बढंेंगे। यह बात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को भीमताल झील के किनारे नवनिर्मित आधुनिकतम सुविधाओं से पूर्ण होटल हर शिखर का लोकार्पण अवसर पर कही। मुख्यमंत्री श्री रावत ने होटल व्यवसायियो से कहा कि वह उत्तराखण्ड की भौतिकी एवं संस्कृति के सम्वर्धन में आगे आयें। उन्होने इस पर चिन्ता व्यक्त करते हुये कहा कि पहाड की लोक संस्कृति, लोकगीत वाद्य यन्त्र, हस्तशिल्प आज की भौतिकता की दौड में हाशिए पर आ गया है। उन्होने कहा कि होटल व्यवसाय के माध्यम से उत्तराखण्ड राज्य के विकास में सहयोग करने का संकल्प लिया है। प्रदेश सरकार ने चारधाम यात्रा पूरे वर्ष के लिए प्रारम्भ कर दिया है। हम यात्राओ के सुगम बनाने की दिशा में कार्यरत है। हमारा प्रयास है कि वर्ष 2012 में जितने पर्यटक आये थे, उसमें से कम से कम 80 प्रतिशत वापस उत्तराखण्ड को वापस लौटे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार मेलों के माध्यम से पर्यटन विकास की दिशा मंे भी रणनीति तैयार कर रही है। प्रदेश भर में विभिन्न स्थानो पर वर्ष भर में आयोजित होनेवाले सांस्कृतिक एवं धार्मिक मेलों का कलैन्डर एवं समय सारणी तैयार की जा रही है। जिसे राष्ट्रीय एवं अन्तराष्टीय स्तर पर प्रख्यापित किया जायेगा, ताकि दुनिया के दूर दराज के इलाकों में इन मेंलो की जानकारी पर्यटको केा मिल सकें और वे उत्तरखण्ड का रूख करें। प्रदेश सरकार ने पर्यटन विकास के लिए साहसिक खेलों एवं रिवरराफ्टिंग को भी पर्यटन को जरिया बनाया है। उन्होने स्थानीय लोगो व होटल व्यवसायियों से कहा कि वह भीमताल, नैनीताल, नौकुचियाताल, सातताल व अन्य झीलों मंे साहसिक खेलो का आयोजन करायें या उससे सम्बन्धित प्रस्ताव सरकार को भेजे। ऐसे आयोजनो को भी सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार साइकिलिंग ट्रैक तथा बाइकिंग ट्रैक भी तैयार करने की दिशा में कार्य कर रही है। ताकि साइकिंलिग व बाइकिंग के जरिये भी पर्यटन विकसित हो। उन्होने कहा कि देश के विभिन्न प्रान्तो एवं विदेशो ंमें पर्यटन का विकास निजी प्रयासो से ही हुआ है। केवल सरकार ने इन प्रयासेा केा मूर्त रूप प्रदान किया है। उन्होने कहा है कि आज भी बडी सख्या मे लोग फूलों का अवलोकन व उनकी सुन्दरता निहारने गंगटोक जाते है। जबकि विश्व प्रसिद्ध फूलों की घांटी उत्तरखण्ड में भी है। उन्होने कहा कि आईये आज हम संकल्प ले कि हम सरकारी प्रयासों के साथ ही निजी प्रयासो के माध्यम से प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय को और अधिक गति प्रदान करने के लिए मददगार बने। होटल हरशिखर के चेयरमैन एसपी सिह ने बताया कि उनके द्वारा भीमताल में होटल स्थापित करना एक अलौेकिक अनुभव है। उन्होने कहा कि वह इस व्यवसाय के माध्यम से देवभूमि की सेवा करना चाहते है। उन्होने बताया कि उनकी संस्था एलपीएस द्वारा वर्ष 2012 में केदारनाथ में आयी आपदा से उत्तराखण्ड को उभरने के लिए लखनऊ पब्लिक स्कूल संगठन की तरफ सेे मुख्यमंत्री राहत कोष मे 21 लाख की धनराशि दी गयी थी। एमएलसी एवं होटल हरशिखर की निदेशक श्रीमती कान्ती सिह ने पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह देकर मुख्यमंत्री हरीश रावत व श्रममंत्री हरीश दुर्गापाल का सम्मान किया। कार्यक्रम मंे ब्लाक प्रमुख गीता विष्ट, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन विनोद गुणवन्त,पूर्व सांसद डा0 महेन्द्र सिह पाल,महेश शर्मा, सदस्य मलिन बस्ती सुधार समिति खजान पाण्डे, उपाध्यक्ष जिला पंचायत पुष्कर नयाल, जया विष्ट, केदार पलडिया,हरीश विष्ट,रामसिह कैडा, मुख्यमंत्री के सलाहकार संजय चैधरी, ओसडी मुख्यमंत्री आन्नद बहुगुणा, आयुक्त कुमायू मंडल अवेन्द्र सिह नयाल,अपर जिलाधिकारी उदय सिह राणा के अलावा बडी संख्या मे गणमान्य नागरिक मौजूद थे। आगन्तुकांे के स्वागत मंे लखनऊ पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा कुमाउनी लोकगीत एव ंस्वागत गीत प्रस्तुत किये।
जलसंस्थान को राजकीय विभाग घोषित करने की मांग
देहरादून, 22 मार्च (निस)। उत्तराखंड जलसंस्थान कर्मचारी संघ ने जलसंस्थान को राजकीय विभाग घोषित करने की मांग की है। जलसंस्थान का राजकीय करण न होने से कर्मचारी संघ में रोष व्याप्त है। सरकार की ओर से केवल आश्वासन दिए गए लेकिन इस संबंध में कार्यवाही कुछ नहीं की गई है। संघ के महामंत्री गजेन्द्र कपिल का कहना है कि पिछले काफी समय से इस मांग को लेकर जलसंस्थान कर्मी आंदोलनरत हैं। सरकार की ओर से आश्वासन दिये गये लेकिन आज तक सरकार ने जलसंस्थान को राजकीय विभाग घोषित नहीं किया है। कई बार मुख्यमंत्री एवं पेयजल मंत्री भी इस संबंध में अपनी सहमति जता चुके हंै, लेकिन अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। उनका कहना है कि जल सम्भरण एवं सीवर व्यवस्था अधिनियम-1975 की उत्तराखंड राज्य में कतिपय संशोधन के उपरांत उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जल संभरण एवं सीवर व्यवस्था अधिनियम-1975 अनुकुलन एवं उपान्तरण आदि 2002 यथावत लागू है। उनका कहना है कि गढ़वाल एवं कुमायूं परिक्षेत्र जलसंस्थान को आमेलित कर उत्तराखंड जल संस्थान निकाय का गठन किया है और इस संस्थान का कार्यक्षेत्र उत्तराखंड राज्य संस्थान, राज्य सरकार के अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत गठित स्वात्यशासी संस्था है और जिस पर राज्य सरकार पूर्ण नियंत्रण है। उत्तराखंड जल संस्थान में पदों का सृजन तथा ऐसे पदों पर नियुक्ति का निबंधन और शर्तों का अवधारण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है और वेतन भत्तों का निर्धारण एवं सेवानिवृत्ति लाभ शासन के अनुमोदन के उपरांत जल संस्थान स्वयं की निधि से करता है। पूर्व में धरने प्रदर्शन किये और आश्वासन मिला कि तीन माह में विभाग का राजकीयकरण कर दिया जाएगा लेकिन अभी तक राजकीयकरण नहीं किया गया है। इस मांग को लेकर संघ विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा कूच भी कर चुका है।
शक्षा आचार्यों व अनुदेशकों में सरकार के खिलाफ रोष
देहरादून, 22 मार्च (निस)। शिक्षा आचार्य और अनुदेशक संगठन का अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना जारी है। शिक्षा आचार्य और अनुदेशक पिछले तीन वर्षों से शिक्षामित्र के रूप में समायोजन की मांग को लेकर देहरादून में धरना दे रहे हैं लेकिन उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। शिक्षा आचार्य और अनुदेशकों ने धरना स्थल हिंदी भवन के पास अपनी मांग को लेकर नारेबाजी की। शिक्षा आचार्यों ने मांग न माने जाने पर उग्र आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि लगातार आश्वासन दिये जा रहे है लेकिन आज तक शासनादेश जारी नहीं किया गया है, जिससे रोष बना हुआ है। सरकार के खिलाफ आर-पार की लडाई लडी जायेगी। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है। आंदोलनरत शिक्षा आचार्यो का कहना है कि वर्ष 2008 से एक सूत्रीय समायोजनकी मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। शिक्षा आचार्य अपनी मांगों को लेकर कई बार सचिवालय कूच, विधानसभा कूच शिक्षामंत्री आवास कूच कर चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। धरने में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह बिष्ट, परविन्द्र कुमार, अशोक गुप्ता, रीमा रावत, शमशाद अली, लक्ष्मी, रामकृष्ण ममर्गाइं, सुमित्रा, अल्का कोठारी, रतिराम, देवेन्द्र सिंह बिष्ट, खेम सिंह, अमरीश, राजेश आदि शामिल रहे।
गदरपुर शुगर मिल को षड़यंत्र के तहत बंद करने का आरोप लगाया
देहरादून, 22 मार्च (निस)। गदरपुर शुगर मिल लाभ में चलने के बावजूद सरकार द्वारा बंद कर दी गई है, इससे क्षेत्रवासियों में रोष व्याप्त है। रुद्रपुर क्षेत्र के विधायक राजकुमार ठुकराल का कहना है कि सरकार द्वारा गदरपुर शुगर मिल को एक षड़यंत्र के तहत बंद किया गया है। यहां जारी एक बयान में विधायक राजकुमार ठुकराल का कहना है कि घाटे में जाने वाली चीनी मिलों को तो सरकार द्वारा बंद नहीं किया गया और गदरपुर शुगर मिल जो कि लाभ की स्थिति में थी उसे बंद कर दिया गया है। श्री ठुकराल का कहना है कि डोईवाला शुगर मिल 250 करोड़, सितारगंज शुगर मिल 200 करोड़, नादेही शुगर मिल 180 करोड़ और गदरपुर शुगर मिल सबसे कम 140 करोड़ के घाटे में चल रही थी। उनका कहना है कि वर्ष 2001 से 2014 तक सरकार द्वारा सितारगंज शुगर मिल को 14902.53 करोड़, बाजपुर शुगर मिल को 12923.69 करोड़, नादेही शुगर मिल को 11382.69 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि गदरपुर शुगर मिल को केवल 11180 करोड़ रुपये का का भुगतान किया गया। विधायक ठुकराल का कहना है कि 2013-2014 में डोईवाला शुगर मिल से 292394 क्विंटल, बाजपुर शुगर मिल से 151709 क्विंटल, सितारगंज शुगर मिल से 115058 क्विंटल, किच्छा शुगर मिल से 110183 क्विंटल, नादेही से 35345 क्विंटल गन्ने का उठान किया गया, जबकि गदरपुर चीनी मिल से मात्र 25504 क्विंटल चीनी का उठान किया गया। श्री ठुकराल का कहना हैै कि सबसे कम चीनी का उठान गदरपुर मिल से एक साजिश के तहत किया गया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि गदरपुर शुगर मिल को शीघ्र चालू किया जाए।
वन विभाग के गुमशुदा कर्मचारी की शीघ्र हो तलाशः अमृता
देहरादून, 22 मार्च (निस)। पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं रामनगर क्षेत्र की विधायक अमृता रावत ने वन विभाग के चतुर्थ श्रेणी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी गणेशराम के लापता होने के प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए वन मंत्री दिनेश अग्रवाल तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल से लापता कर्मचारी को ढूढंने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने आश्वस्त किया कि यदि इस प्रकरण का शीघ्र खुलासा नहीं हुआ तो वे मुख्यमंत्री से प्रकरण पर सीबीसीआईडी से जांच करवाने की मांग करेंगे और लापता कर्मचारी के परिवार को न्याय दिलवाएंगे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल के अनुसार यह प्रकरण कालागढ़ क्षेत्र का है जो कि पौड़ी जनपद के अन्तर्गत है। उन्होंने इस प्रकरण को कालागढ़ संदर्भित करने की जनकारी दी है। विधायक अमृता रावत ने वन मंत्री तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल से अनुरोध किया है कि वे इस प्रकरण को गम्भीरता से लें और कर्मचारी के लापता होने के कारणों का पता लगाते हुए उसे ढूंढने के लिए ठोस एवं सार्थक कदम उठाएं। उन्होंने आश्वस्त किया कि वे इस प्रकरण में गम्भीर हैं और लापता कर्मचारी के ढूंढने तथा उसके लापता होने के कारणों का पता लगाने के लिए प्रयासरत हैं।

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