पनाश वैली पर संकट और गहराया, आठ साल पहले जारी पट्टे की वैधानिकता पर उठा सवाल
- पट्टा फर्जी निकला को बंद हो जाएगा आवासीय प्रोजेक्ट
- लोगों की करोडों की रकम डूबने का खतरा अब और बढ़ा
- एमडीडीए से पारित मानचित्र पर भी उठ रहे सवालात
देहरादून, 29 मार्च (राजेन्द्र जोषी) । पनाश वैली हाउसिंग प्रोजेक्ट पर छाए संकट के बाद छंटने की बजाय अब और गहराते दिख रहे हैं। इस बार जांच की जद में आठ साल पहले जारी किया गया जमीन का पट्टा आ गया है। माना जा रहा है कि अगर जांच में यह पट्टा फर्जी पाया गया तो यह पनाश वैली प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंदी की कगार पर आ जाएगा और इसमें पैसा इनवेस्ट करने वाले लोगों के करोड़ों रुपये भी डूब जाएंगे। सहस्त्रधारा रोड स्थित पहाड़ की वादियों में बन रहे इस पनाश वैली प्रोजेक्ट के बुरे दिन खत्म होते नहीं दिख रहे हैं। न तो अफसरों की पैरोकारी काम आ रही है और न ही सीएम के दरबारी ही कोई मदद करने की स्थिति में हैं। इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट से भी कोई राहत तत्काल नहीं मिल सकी है। हां, इतना जरूर है कि इस प्रोजेक्ट की ओर से दाखिल याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राजस्व विभाग के अफसरों से जवाब मांगा है। हालात ये हैं कि मामले की जांच आगे बढ़ने के साथ ही इस प्रोजेक्ट की परतें उधड़ती दिख रही है। राजस्व महकमा इस प्रोजेक्ट की जमीनों की गहन पड़ताल कर रहा है। इसी पड़ताल के दौरान अफसरों की नजर में 2007 में जारी जमीन का एक पट्टा भी आया। इस पट्टे की जमीन भी इसी प्रोजेक्ट में शामिल है। पट्टे की पड़ताल की गई तो पता चला कि इसे रविवार के रोज जारी किया गया है। इसके बाद से ही यह पट्टा खासा चर्चा में आ गया है। जांच अफसरों को इस पट्टे के असली होने पर भी शक है। इसी पट्टे के आधार पर जमीन लोगों के नाम दाखिल खारिज की गई है। सूत्रों ने बताया कि अगर जांच से यह साबित हो गया कि पट्टा फर्जी है तो इस प्रोजेक्ट की जमीन एक बार फिर से सरकार में ही निहित हो जाएगी और इस पर किया गया निर्माण भी अवैध हो जाएगा। सूत्रों ने बताया कि अब इस बात की तहकीकात की जा रही है कि पट्टा देने के कौन-कौन से अफसर एसडीएम, तहसीलदार, लेखपाल और इस पट्टे को जारी करने वाले कर्मी तैनात थे। इन सभी के पूछताछ तो होगी कि राजस्व अभिलेखों को भी खंगाला जाएगा। वैसे भी एमडीडीए की ओर से डीएम को भेजे गए एक पत्र से यह साफ हो चुका है कि पनाश वैली प्रोजेक्ट का मानचित्र किसी बिल्डर के नाम स्वीकृत नहीं है। इस प्रोजेक्ट ही जमीन पर बीडी अग्रवाल व अन्य का ही स्वामित्व है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पट्टा असली है या फिर फर्जी। अगर फर्जी निकला तो इस प्रोजेक्ट में सवा करोड़ तक के फ्लैट और लाखों की जमीन खरीदने वालों की रकम डूबना तय है।
अब जीटीएम पर भी कसा शिकंजा, जांच शुरू
ऐसा लग रहा है कि दून शहर में काम करने वाले बिल्डरों में से कुछ ने सरकारी या फिर गोल्डन फारेस्ट की जमीन पर बने आशियाना बनाकर बेचने का तय कर लिया है। दून बस अड्डे की बेशकीमती जमीन को लेकर चर्चा में आने वाले जीटीएम ग्रुप के मोहकमपुर के पास बने आवासीय प्रोजेक्ट पर भी सरकारी मशीनरी की निगाहें तिरछी हो गई हैं। सूत्रों ने बताया कि जीटीएम के उक्त प्रोजेक्ट में भी गोल्डन फारेस्ट की जमीन शामिल होने के मामले की शिकायत काफी पहले की गई थी। उस समय ग्रुप ने कुछ लोगों की मदद लेकर इस फाइल को दबाने में सफलता हासिल कर ली थी। बताया जा रहा है कि किसी माध्यम से इसकी जानकारी दून के नए जिलाधिकारी रविनाथ रमन को हुई। उन्होंने अपने सूत्रों से जानकारी हासिल की तो पता चला कि एक बाबू ने इस फाइल को दबा रखा है। सूत्रों का कहना है कि अब डीएम ने इस मामले की भी जांच कराने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि अगर जांच सही तरीके से की गई तो पनाश वैली की तरह ही जीटीएम ग्रुप के मोहकमपुर स्थित प्रोजेक्ट पर भी संकट आ सकता है।
गुरुराम राय मेडिकल कालेज की फीस घटाने को अफसरशाही का दबाव, मुख्यमंत्री ने लगाई फटकार और पूछी इसकी वजह
- दूसरे कालेजों से कम है एसजीआरआर की फीस
- सरकारी मेडिकल कालेजों में बढ़ाया गया है शुल्क
देहरादून,29 मार्च (निस)। ट्रस्ट की ओर संचालित श्री गुरुराम राय मेडिकल कालेज का प्रबंधन इस दिनों खासा परेशान है। बताया जा रहा है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसर इस कालेज के प्रबंधन पर फीस (शिक्षण शुल्क) कम करने का दबाव बना रहे हैं। मामले की जानकारी होने पर सीएम हरीश रावत ने महकमे के अफसरों को फटकार लगाते हुए इसके औचित्य पर सवाल उठाए हैं। श्री गुरुराम राय मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई होती है। इस कालेज की सालाना फीस लगभग पांच लाख रुपये हैं। इसके विपरीत जौलीग्रांट मेडिकल कालेज में फीस सात लाख रुपये सालाना के आसपास है। बताया जा रहा है कि मेडिकल चिकित्सा विभाग के अफसर इस कालेज प्रबंधन पर सालाना फीस कम करने का दबाव बना रहे हैं। इस मामले को लेकर अफसरों की दो बैठकें भी हो चुकी हैं। कालेज प्रबंधन बार-बार तर्क दे रहा है कि उनके कालेज में फीस अन्य मेडिकल कालेज की तुलना में पहले ही कम है। फिर उनका ट्रस्ट गरीबों का रियायती दरों पर इलाज भी करता है। इसके बाद भी फीस कम करने से कालेज के सामने वित्तीय समस्या खड़ी हो सकती है। बताया जा रहा है कि अफसर कालेज का कोई भी तर्क सुनने को तैयार नहीं हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया मुख्यमंत्री हरीश रावत को इस मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने विभागीय अफसरों से पूछा कि आखिर फीस कम करने का आधार क्या है। सीएम ने कहा कि जब सरकारी मेडिकल कालेज तक में फीस बढ़ाई जा रही है तो एक कालेज विशेष पर फीस कम करने का दबाव आखिर बनाया ही क्यों जा रहा है। सीएम ने अफसरों ने यह भी जानना चाहा कि क्या फीस कम करने का दबाव जौलीग्रांट मेडिकल कालेज पर भी बनाया जा रहा है। अगर नहीं तो केवल एसजीजीआर मेडिकल कालेज के बारे में ही ऐसा क्यों किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि सीएम की कड़ी फटकार के बाद अफसर बैकफुट पर आते दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि अफसर इस मामले में सीएम हरीश को कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। अब देखने वाली बात यह होगी कि अफसरों का इस मामले में क्या रुख रहता है।
फिर शुरू हुई मुख्य सचिव की तलाश, रविशंकर के नेशनल हाईवेज अथारिटी में चयन की सूचना
- वरिष्ठता के लिहाज से चर्चाओं से घिरे राकेश शर्मा का नाम
- मुख्यमंत्री के रुख पर निर्भर करेगी किसी और की भी ताजपोशी
देहरादून, 29 मार्च (निस)। सूबे के मुख्य सचिव एन रविशंकर का चयन केंद्र सरकार के नेशनल हाईवेज आथारिटी के अध्यक्ष के रूप में होने की सूचना के बाद एक बार फिर से राज्य के मुख्य सचिव की तलाश शुरू हो गई है। फिलवक्त वरिष्ठता सूची में मौजूदा अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ही सबसे ऊपर हैं। लेकिन उत्तराखण्ड में उनका खासा विरोध है। ऐसे में इस बार भी उनके हाथों कुर्सी आ भी पायेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता है। मुख्य सचिव एन. रविशंकर का रिटायरमेंट इसी साल जुलाई में होने वाला है। यहां बतौर मुख्य सचिव पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने सूबे की अफसरशाही को काबू में करने की तमाम कोशिशें की। लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकल सका। बताया जा रहा है कि इससे आहत रविशंकर ने इस राज्य से जाने का मन बना लिया था। इस बीच केंद्र सरकार ने नेशनल हाईवेज अथारिटी आफ इंडिया में चेयरमैन पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए। मुख्य सचिव ने इसका फायदा उठाया और पिछले दिनों इस पद के लिए आवेदन कर दिया था। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि चैयरमेन पद के लिए एन. रविशंकर के नाम पर केंद्र सरकार में सहमति बन चुकी है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो कुछ ही रोज में उनकी नियुक्ति के बारे में औपचारिक घोषणा हो सकती है।
सूत्रों ने बताया कि रविशंकर के चयन होने की भनक लगने के बाद एक बार फिर से मुख्य सचिव पद की कुर्सी के लिए घमासान के आसार बन रहे हैं। मौजूदा समय में राज्य में काम कर रहे अफसरों में सबसे वरिष्ठ अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ही हैं। लंबे समय से उनका नाम इस कुर्सी के लिए चल रहा है। लेकिन कतिपय कारणों की वजह से ऐसा हो नहीं पा रहा है। एन. रविशंकर पहले उत्तराखंड वापस आने को तैयार नहीं थे। ऐसे में राकेश शर्मा का दावा पुख्ता माना जा रहा था। लेकिन अचानक ही केंद्र सरकार ने रविशंकर को उत्तराखंड के लिए रिलीव कर दिया गया। नतीजा यह रहा कि वरिष्ठ होने के नाते सरकार ने रविशंकर को ही मुख्य सचिव की कुर्सी सौंप दी। अब अगर एन रविशंकर दिल्ली जाते हैं तो वरिष्ठता के लिहाज से इस कुर्सी पर दावा राकेश का ही बनता है। लेकिन उत्तराखण्ड में खनन माफियाओं से उनके संबधों की चर्चाओं व राज्य की परिसम्पत्तियों को राज्य केे बाहर के भू-माफियाओं को बेचे जाने की चर्चाओं के चलते राज्य सरकार को भी एक बार उनको मुख्य सचिव की कुर्सी देने से पहले कई बार सोचना होगा । जबकि उनसे सीनियर अफसर अमरेंद्र सिन्हा केंद्र सरकार में सचिव हैं और वे यहां अपनी शर्तों पर ही आना चाहते हैं। अगर सिन्हा उत्तराखंड वापस नहीं आते हैं तो इस बार शासन के मुखिया की कुर्सी राकेश शर्मा के बाद किसके हाथ आ सकती है यह अभी कहा नहीं जा सकता है।
स्कूल भवन की न मरम्मत हुई, न खतरे का इन्तजाम, आपदाग्रस्त इण्टर कालेज बलुवाकोट का हाल भाजपा ने सीएम से पूछे सवाल
देहरादून/धारचूला, 29 मार्च(निस)। दो वर्श पूर्व आयी आपदा से आपदाग्रस्त राजकीय इण्टर कालेज बलुवाकोट की किसी ने सुध नहीं ली। इण्टर कालेज के मुख्य भवन का टूटे भाग की अभी तक मरम्मत नहीं की गयी। कालेज के पीछे काली नदी की ओर स्कूल भवन की सुरक्षा का इन्तजाम भी अभी तक नहीं हो पाया। 563 छात्र-छात्राओं के भविश्य का भी सरकार को कोई ख्याल नही ंहै। भाजपा ने मुख्यमन्त्री को पत्र भेजकर सवाल पूछा कि क्या उनकी कार्यषैली में स्कूली बच्चों के भविश्य का कोई स्थान नहीं है। बीते दो वर्श पूर्व आयी आपदा ने राजकीय इण्टर कालेज बलुवाकोट के अस्तित्व पर सवाल खडे कर दिये थे। आपदा के बाद पुर्ननिर्माण के मद में करोड़ो रूपये खर्च हो चुके है। उसके बाद भी आपदाग्रस्त इण्टर कालेज के भवन की स्थिति का बदहाल होना सरकार की नाकामी दर्षाता है। इस क्षेत्र में आयी आपदा ने सरकार के सामने चुनौती पैदा की थी। पहले विधायक इस चुनौती से नहीं निपट पायी। बाद में सीएम को विधायक बनते देख जनता में कुछ आषाऐं थी लेकिन अब वह भी निराषा में बदल गयी है। पुर्ननिर्माण के मद में करोड़ो रूपये खर्च हो चुके है। बलुवाकोट इण्टर कालेज के मुख्य भवन का जो भाग आपदा से टूट गया था उसकी मरम्मत भी नहीं हो पायी। महाकाली से लगे इण्टर कालेज के पीछे की ओर खसक रही जमीन को रोकने के लिए उपाय किये जाने थे। केवल सिचाई विभाग द्वारा बाढ़ सुरक्षा के लिए दीवार बनायी जा रही है। इस दीवार के बाद इण्टर कालेज के भवन तक की जगह जो जल निकास होने के कारण लगातार कटाव और धसाव का षिकार हो रही है। इस जगह के मरम्मत के लिए कोई कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। स्कूल जैसी महत्वपूर्ण संस्था के लिए सरकार के हाथ बधे हुए है। भाजपा के ब्लाक प्रभारी जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमन्त्री ने पीआईयू के तहत 25-25 लाख रूपये के ठेके बिना निविदा के कांग्रेसी नेताओं को देने के लिए षासनादेष जारी किया। इसके तहत धारचूला तहसील में 10 करोड़ रूपये की बंदरबांट हुई है। कांग्रेसी नेताओं के लिए दिल खोलने वाले मुख्यमन्त्री ने इण्टर कालेज के भवन को बचाने के लिए 1 रूपया तक नहीं दिया। जमीन और भवन की कीमत आज करोड़ो रूपयें में है। उसके बाद भी मुख्यमन्त्री इसे सुरक्षित रखने के लिए कोई पैरवी नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि आवष्यक स्थानों में आपदा मद का धन खर्च नहीं किया जा रहा है।
मसूरी में किंक्रेग में मल्टीलेविल कार पार्किंग निर्माण कार्य का मुख्यमंत्री ने किया शिलान्यास
- सरकार की कोशिश है कि विद्यार्थियों को टेक्नोलोजी व दस्तकारी का प्रशिक्षण दे: हरीष रावत
देहरादून/मसूरी, 29 मार्च(निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को मसूरी में किंक्रेग में मल्टीलेविल कार पार्किंग निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। 13 वें विŸा आयोग के अंतर्गत बनने वाले इस पार्किंग की अनुमानित लागत 31 करोड़ 95 लाख रूपए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी में आॅडिटाॅरियम के काम को जल्द क्रियान्वित कराया जाएगा। सरकार के प्रयासों से देश विदेश के पर्यटकों में उŸाराखण्ड के प्रति विश्वास बढ़ा है। चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। वर्ष 2012 से बेहतर सुविधाएं चारधाम यात्रा मार्ग पर विकसित की गई हैं। इसके बाद एमपीजी महाविद्यालय छात्र संघ के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि नियमित पढ़ाई के साथ ही विद्यार्थियों को हुनर का ज्ञान महत्वपूर्ण है। आज जमाना प्रथम में प्रथम आने का है। कम्पीटीटीव एक्सीलेंस के युग में पीछे नहीं रहा जा सकता है। सरकार की कोशिश है कि विद्यार्थियों को टेक्नोलोजी व दस्तकारी का प्रशिक्षण दिया जा सके। हाॅस्पीटेलिटी की भी अपार सम्भावनाएं हैं। जो व्यक्ति स्वयं को जितना अच्छे तरीके से प्रस्तुत कर पाता है, उतनी ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इसके लिए भाषाओं विशेष रूप से स्पोकन इंग्लिश का ज्ञान भी आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एमपीजी महाविद्यालय नगर पालिका मसूरी के अंतर्गत है। नगर पालिका इसके विस्तारीकरण का प्रस्ताव बनाकर भेजे, सरकार इसकी स्वीकृति दे देगी। यह तय कर लिया जाए कि कौन से 1-2 विषय आवश्यक हैं, उन विषयों की पढ़ाई वर्ष 2016-17 के सत्र से प्रारम्भ कर दी जाएगी। राज्य सरकार ने रेगुलर कक्षाओं के बाद वोकेशनल टेªनिंग के लिए उत्कर्ष योजना प्रारम्भ की है। सभी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है। सितम्बर-अक्टूबर तक हाई स्कूल व इंटरमीडिएट काॅलेज में भी अध्यापकों की नियुक्ति कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के लिए ढांचागत सुविधाएं जुटाना सरकार का दायित्व है परंतु प्रदेश में शैक्षिक वातावरण बनाने में छात्र-छात्राओं, अभिभावकों, अध्यापकों को भी सरकार के साथ आना होगा। इसके लिए सहभागिता विकसित करनी होगी। शिक्षा का अर्थ केवल एकेडमिक पढ़ाई नहीं है बल्कि हुनर का ज्ञान भी इसमें समाहित है। सरकार प्रदेश के युवाओं को जीविकोपार्जन व आजीविका के अवसर विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। हमें अपने कृषि उत्पाद व ग्रामीण उत्पादों की मार्केटिंग पर ध्यान देना होगा। मंडुवा, काला भट, कंडाली, भांगुल, भीमल आदि स्थानीय उत्पादों के उपयोग से ग्रामीणों की आय बढ़ाने की कार्ययोजना बनाई गई है। इस अवसर पर मसूरी नगर पालिका के अध्यक्ष मनमोहन मल्ल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोदावरी थापली, महाविद्यालय के प्राचार्य डा.सुधीर गैरोला, छात्रसंघ अध्यक्ष रीतेश सिंह रावत सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
सन्वयक, जिला कंाग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष पद से बिश्ट ने दिया इस्तीफा
देहरादून, 29 मार्च(निस)। किषोर उपध्याय की नवगठित कार्यकारिणी में प्रदेष उपाध्यक्ष बनाये गये जोत सिंह बिश्ट ने एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का पालन करते हुए सन्वयक, जिला कंाग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के प्रदेष अध्यक्ष को लिखे पत्र में उन्होने कहा कि मुझ पर विष्वास व्यक्त करते हुए मुझे प्रदेष कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा है, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। आपकी पहल पर पहली बार पार्टी में एक व्यक्ति एक पद की स्वस्थ परम्परा की षुरूआत हुई है। इस पहल से प्रदेष के अधिकतम कांग्रेसजनों को पार्टी संगठन एवं सरकार में उनकी क्षमता के अनुरूप काम करने का मौका मिलेगा। आपकी इस पहल का स्वागत एवं सम्मान करते हुए मैं अपने से ही इसकी षुरूआत करते हुए आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि प्रदेष कांग्रेस कमेटी के गठन से पूर्व मैं पार्टी संगठन में प्रदेष कंाग्रेस कमेटी के मुख्य सन्वयक, जिला कंाग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष पद पर काम कर रहा था। मुझे राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक आपदा के मानकों के पुनरीक्षण हेतु गठित उच्च स्तरीय समिति में सदस्य तथा जिला स्तरीय समाज कल्याण समिति टिहरी गढ़वाल के उपाध्यक्ष का दायित्व भी सौंपा गया है। मैं पूर्व की पार्टी संगठन के दोनों पदों की जिम्मेदारी के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा दिये गये दोनों पदों की जिम्मेदारी के बजाय प्रदेष कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष के रूप में आपके साथ काम करने का इच्छुक हूं। अतः आपसे अनुरोध है कि अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के पद से मेरा त्यागपत्र स्वीकार करने की कृपा करें। प्राकृतिक आपदा के मानकों के पुनरीक्षण हेतु गठित उच्च स्तरीय समिति में सदस्य तथा जिला स्तरीय समाज कल्याण समिति टिहरी गढ़वाल के उपाध्यक्ष पद से मैं पृथक से सरकार को त्यागपत्र प्रस्तुत कर रहा हूं।


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