मां गंगा को मैला करने में यूपी अव्वल, पश्चिम बंगाल के 34 शहरों का सीवर सीधे जा रहा इस पवित्र नदी में
- बिहार के 26 शहर कर रहे गंगा को प्रदूषित
- झारखंड के दो नगरों का सीवर भी इसी में
देहरादून, 30 मार्च (राजेन्द्र जोशी) । नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि गंगोत्री से निकलने वाली पतित पावनी गंगा बंगाल में समुद्र में मिलने तक बेहद प्रदूषित हो रही है। उद्योंगों से निकलने वाली जहरीला पानी सीधे गंगा में जा रहा है तो चार राज्यों के 96 शहरों का सीवर और गंदा पानी इसी पवित्र नदी में समा रहा है। गंगा को मैला करने में उत्तर प्रदेश राज्य सबसे आगे है। पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर गंगा को साफ करने का अभियान चल रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल इसकी निगरानी कर रहा है। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा ने इस पवित्र नदी को गंदे नाले में तब्दील करने में अहम रोल निभा रहे उद्योगों और शहरों को नोटिस जारी किया है। सभी से एक पखवाड़े में एक्शन प्लान मांगा गया है। यह गंगा उत्तराखंड से ही प्रदूषित होना शुरू हो जाती है। यूपी में आने के बाद तो गंगाजल आचमन करने लायक भी नहीं रहता है। बिहार और झारखंड के साथ ही पश्चिम बंगाल की गंदगी भी इसी में समा रही है। पहले बात उत्तर प्रदेश की। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के अनुसार गंगा के उत्तर प्रदेश की सीमा से गुजरने तक कुल 687 औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषित पानी इसी गंगा में बहाया जा रहा है। इसके अलावा मुरादाबाद, बिजनौर, गाजियाबाद, मेरठ, बदायूं, कानपुर और बनारस समेत कुल तीस शहरों का सीवर और गंदा पानी इसी गंगा में बहाया जा रहा है। यूपी से निकलने के बाद गंगा बिहार राज्य में प्रवेश करती है। इस राज्य के 13 उद्योग अपना प्रदूषित पानी सीधे इसी गंगा में डाल रहे हैं। इसके अलावा पटना, बक्सर, सारण, भागलपुर, बेगूसराय, नालंदा, मुंगेर, बैशाली समेत राज्य के 26 शहरों का सीवर और गंदा पानी इसी गंगा में मिल रहा है। बिहार के बाद गंगा झारखंड की सीमा में प्रवेश करती है। इस राज्य के किसी उद्योग का गंदा पानी तो इस गंगा में नहीं जा रहा है। अलबत्ता दो शहरों साहेबगंज और राजमहल का सीवर और गंदा पानी इस गंगा में डाला जा रहा है। झारखंड के बाद गंगा अपने अंतिम पड़ाव की ओर जाने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य की सीमा में प्रवेश करती है। इस राज्य के महज तीन उद्योग ही अपना गंदा पानी गंगा में डाल रहे है। लेकिन देश में सबसे ज्यादा शहरों का गंदा पानी और सीवर इस राज्य से गंगा में मिल रहा है। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के अनुसार पश्चिम बंगाल के हुगली, कोलकाता, पूर्वी मेदनीपुर, नाडिया हाओरा, मुर्शिदाबाद समेत कुल 34 शहरों का गंदा पानी और सीवर गंगा में समा रहा है। उद्गम स्थल से पश्चिम बंगाल में गंगा सागर में बंगाल की खाड़ी में मिलने तक 2525 किलोमीटर का सफर तय करते-करते बेहद ही प्रदूषित हो जाती है। गंगा की सफाई के नाम पर पिछले 10 सालों में अरबों रुपये बहाए जा चुके हैं। लेकिन गंगा आज भी प्रदूषित ही है।
जेलों में मासूमों को तराश रहे शातिर, छह माह से बाल संरक्षण आयोग की रिपोर्ट पर कुंडली मार कर बैठी सरकार
- बे-काबू हालात
- आयोग की रिपोर्ट को नहीं किसी की परवाह
- शातिर अपराधियों के साथ ही मासूम भी बंद
- अगर ये भी शातिर बने तो जिम्मेदार कौन
- नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश से मचा हड़पंक
देहरादून, 30 मार्च । इस देवभूमि में अब तक तो अफसरों और बे-इमान अफसरों के किस्से ही चर्चा में आते रहे हैं। अब नया मामला यह सामने आया है कि कुछ अहम लोगों की शह पर प्रदेश के मासूमों को शातिर अपराधी बनाने की भी नई रणनीति तैयार कर ली गई है। शायद यही वजह है कि मामूली अपराध के सजायाफ्ता आरोपियों के साथ ही विचाराधीन मासूमों को भी शातिर सजायाफ्ता मुजरिमों के साथ रखा गया है। अब जेल की चाहारदीवारी में अपने गुरु के ये मासूम क्या शिक्षा ले रहे है, इसे आसानी से समझा जा सकता है। नैनीताल हाईकोर्ट में यह मामला पहुंचने के बाद से सिस्टम में हड़पंकप मचा है। दरअसल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 मार्च-2012 को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जेलों में वयस्क कैदियों को किशोरों के साथ नहीं रखा जाना चाहिए। अदालत का मानना था कि किशोरों की हर स्तर पर सुनवाई होनी चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा भी होनी चाहिए। इस आदेश के क्रम में ही उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सूबे के सभी जिला जजों और जिला विधिक प्राधिकरणों के अध्यक्षों से कहा कि वे राज्य बाल संरक्षण आयोग के साथ मिलकर सूबे की सभी जेलों का निरीक्षण करें। 27 जुलाई-2013 के आदेश के इस क्रम में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अजय सेतिया ने न्यायिक अफसरों के साथ सूबे की सभी जेलों का निरीक्षण किया। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस काम को 30 नवंबर-2013 तक हर हाल में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। नतीजा यह रहा कि आयोग ने न्यायिक अफसरों के साथ सभी जेलों का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण की जांच की रिपोर्ट बेहद चैंकाने वाली रही। राज्य बाल संरक्षण आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अजय सेतिया की ओर से सरकार को दी गई रिपोर्ट बेहद चैंकाने वाली है। इसमें साफ कर दिया गया है कि न केवल सजायाफ्ता मासूमों (कानून की नजर में अवयस्क) को शातिर मुजरिमों के साथ बैरकों में बंद किया गया है, बल्कि अदालतों में विचाराधीन मामलों में अभियुक्त बनाए गए मासूमों को भी शातिर बदमाशों के साथ ही बैरक में रखा गया है। इनके लिए जेल में अलग कोई व्यवस्था नहीं है। भले ही अवयस्कों की मामलों की सुनवाई को लिए देश में अलग कानून और अलग अदालतें हैं। लेकिन इस उत्तराखंड की सरकार को सरकार को दोनों में कोई फर्क नजर नहीं आता है। जेल की जिल बैरक में शातिर अपराधी को रखा जा रहा है, उसी बैरक में मासूमों को भी रखा जा रहा है। अब इस बात की क्या गारंटी है कि ये मासूम उन बड़े उस्तादों से जुर्म की दुनिया के रसूख नहीं सीख रहे होंगे। हो सकता है कि इसके ऐवज में उनका उत्पीड़न भी हो रहा हो। अगर यकीनन ही ऐसी हो रहा है तो आने वाले वक्त में ये मासूम गुनहगार क्या-क्या गुल खिलाएंगे, इस विषय पर सोचने की का वक्त शायद इस सूबे के हुक्मरानों के पास नहीं है।
सरकार भले ही आयोग की इस रिपोर्ट को दबा कर बैठ हो। लेकिन एक रिपोर्ट के आधार पर नैनीतील हाईकोर्ट से इस मामले में खुद ही संज्ञाने लेते हुए सरकार से रिपोर्ट तलब की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जेल महकमे के अफसर इस अहम मामले में क्या रुख अपनाते हैं।
चार्ट
जेल आरोप सिद्ध कैदी विचाराधीन कैदी
देहरादून 01 14
हरिद्वार 22 04
रुड़की 00 08
पौड़ी 00 04
पुरसारी(चमोली) 01 00
टिहरी 01 00
हल्द्वानी 01 12
योग 26 42
कुल योग 68
कोट- आयोग में अपनी पूरी रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। पता चला है कि सरकार ने इसे अभी तक विधानसभा के पटल पर ही पेश नहीं किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड की जेलों में किशोर अपराधियों के बारे में सरकार कोई भी गंभीरता नहीं दिखा रही है।- अजय सेतिया, निवर्तमान अध्यक्ष, राज्य बाल संरक्षण आयोग, उत्तराखंड
रुद्रप्रयाग माडल नहीं भ्रष्टाचार माडल, पांच करोड़ तक के काम बगैर टेंडर ही कराने का मामला
- भाजपा नेता ने सरकार की मंशा पर उठाए तीखे सवाल
- राज्यपाल को भेजे खत में इस प्रक्रिया पर रोक की मांग
देहरादून,30 मार्च(निस)। राज्य मीडिया सलाहकार समिति के पूर्व उपाध्यक्ष और भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने रुद्रप्रयाग जिले में पांच करोड़ रुपये तक के काम बगैर टेंडर ही कराने के कैबिनेट के फैसले पर तीखे सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता ने इस बारे में राज्यपाल को भेजे खत में कहा कि सरकार इसे रुद्रप्रयाग माडल बता रही है, जबकि वास्तव में यह भ्रष्टाचार माडल है। भाजपा नेता ने कहा कि कैबिनेट ने तय किया है कि रुद्रप्रयाग जिले में आपदा राहत कार्य में तेजी लाने के लिए पांच करोड़ रुपये तक के काम जिलाधिकारी बगैर टेंडर यानि महज वर्क आर्डर के आधार पर ही करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर तो असर पड़ेगा ही, इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके पीछे सरकार की मंशा अपने चहेतों के बीच आपदा राहत राशि की बंदरबांट करने की है। भाजपा नेता ने कहा कि सरकार टेंडर के जरिए होने वालों कामों की पारदर्शिता को भी समाप्त करने की है। अब सत्तारूढ़ दल के नेताओं में इस तरह से काम हासिल करने की होड़ मचेगी। कहीं सिफारिशों के काम कराया जाएगा तो अधिकांश मामलों में कमीशनबाजी का खेल चलेगा। भाजपा नेता ने राज्यपाल से इस मामले में तत्काल ही प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है।
अभावों में जीवन व्यतीत कर रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास सराहनीय: हरीष रावत
देहरादून,30 मार्च(निस) । सामाजिक कार्य यज्ञ की भांति होते हैं, जिसमें सभी को आहुति देनी होती है। जितने अधिक लोग इसमें सम्मिलित होते हैं, उतना ही इसका प्रभाव होता है। संजय कालोनी, मोहिनी रोड़ में अनुग्रह संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि देहरादून में सिविक सोसायटी के जरिए अभावों में जीवन व्यतीत कर रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार व सामाजिक संस्थाओं की आपसी साझेदारी से वंचित वर्गों के लोगों के लिए अवसर उत्पन्न कर सकते हैं। हमारे सामने बड़ी चुनौति है कि उन लोगों को जो कि विकास की धारा से बाहर रह जाते हैं, उनके लिए अवसर कैसे पैदा किए जाएं। साथ ही छोटे-छोटे अवसरों को बड़े अवसरों में कैसे बदला जाए। हमारे सामने ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जिनसे पे्ररणा प्राप्त की जा सकती है। सीएम ने अनुग्रह संस्था की अध्यक्षा डा. आभा चैधरी से अनुरोध किया कि देहरादून में एक पार्क को बुजुर्गों के लिए विकसित करने की कार्ययोजना बनाएं। सरकार भी इसमें सहयोग करेगी। राज्य सरकार ने बुजुर्गों व महिलाओं के लिए अनेक नई पहल की है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को वृद्वावस्था, किसान पेंशन, कलाकार, शिल्पकार आदि किसी ना किसी रूप में पैंशन की सुविधा दी जा रही है। रोड़वेज में बुजुर्गों के लिए निशुल्क यात्रा की सुविधा प्रारम्भ की गई है। इसी प्रकार किसी एक धाम की यात्रा भी सरकार करवा रही है। ग्रामीणों की आजीविका व महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं प्रारम्भ की जा रही है। यात्रा मार्ग पर छोटे-छोटे बाजार विकसित किए जाएंगेें जहां स्थानीय उत्पादों की बिक्र्री की व्यवस्था की जाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अनुग्रह संस्था की ओर से बुजुर्गों की देखभाल के लिए 2 माह का कोर्स पूरा करने वाली छात्राओं को सर्टिफिकेट वितरित किए। संस्था की अध्यक्ष डा.आभा चैधरी ने बताया कि विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के सहयोग से ‘‘बुजुर्गों की देखभाल के दो माह का केयरटेकर कोर्स’’ वंचित वर्गों की 40 छात्राओं को कराया गया था। इसे एनआईएसडी व अनुग्रह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक राजकुमार, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा, श्रीमती राकेश धवन सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
बगवानी के जरिए बढ़ाई जा सकती है लोगों की आमदनीः एन. रविशंकर
देहरादून, 30 मार्च(निस) । मुख्य सचिव एन. रवि शंकर की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में हार्टिकल्चर मिशन फाॅर नार्थ ईस्ट हिमालयन स्टेट्स की बैठक हुई। इस राज्य स्तरीय परिचालन समिति (एसएलएससी) में वर्ष 2014-15 के 46 करोड़ रूपये की कार्ययोजना को मंजूरी दी गई। साथ ही वर्ष 2015-16 के 61.33 करोड़ रूपये की कार्ययोजना का अनुमोदन अप्रैल माह में लेने के लिए कहा गया। मुख्य सचिव ने कहा कि बगवानी के जरिए लोगों की आमदनी बढ़ाई जा सकती हैं। क्लस्टर के आधार पर सेब, माल्टा, अदरक आदि फसलों की पैदावार को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही किसानों को आसानी से बाजार उपलब्ध हो सकें, इसकी भी व्यवस्था की जाय। निदेशक बागवानी मिशन, बी.एस.नेगी ने बैठक में बताया कि वर्ष 2014-15 में कुल 3923 हैक्टेयर बागवानी फसलों की खेती की गई। इसमें से 1277 हेक्टेयर फल, 1453 हेक्टेयर सब्जी, 944 हेक्टेयर मसाला, 95 हेक्टेयर सगंध पौध और 204 हेक्टेयर फूलों की खेती की गई। 510 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विभिन्न फलों के पुराने उद्यानों का जीर्णोंद्धार किया गया। संरक्षित खेतों के लिए 1.88 वर्गमीटर में पाॅलीहाउस, 4500 वर्गमीटर में शेडनेट, 1.50 वर्गमीटर में एंटी हैलनेट और 648 हेक्टेयर प्लास्टिक मल्चिंग से किसानों को लाभ पहुंचाया गया।बैठक में प्रमुख सचिव नियोजन एम. रामास्वामी, एमडी सिडकुल राजेश कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सबसे कम उम्र के नेत्रदाता के नाम पर होगा नेत्र बैंक
देहरादून, 30 मार्च(निस) । प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ओम प्रकाश ने बताया है कि गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय, देहरादून में प्रस्तावित प्रदेश के प्रथम नेत्र बैंक का नाम, प्रदेश के सबसे कम उम्र के नेत्रदाता दिवंगत अर्जुन चावला के नाम पर ‘‘अर्जुन नेत्र बैंक’’ रखे जाने का निर्णय लिया है। प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ओम प्रकाश ने यह भी बताया हैं कि श्री अमरनाथ की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के लिये स्वास्थ्य परीक्षण हेतु राज्य के राजकीय चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्साधिकारियों को नामित किया गया है। इनमें दून चिकित्सालय सहित जिला चिकित्सालय बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नई टिहरी, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, गोपेश्वर (चमोली), हरिद्वार सहित संयुक्त चिकित्सालय हरिद्वार, चम्पावत, श्रीनगर, कोटद्वार, ऊधमसिंहनगर व रामनगर के साथ ही बेस चिकित्सालय श्रीनगर, हल्द्वानी व अल्मोड़ा, बी.डी.पाण्डे महिला व पुरूष चिकित्सालय नैनीताल, एस.पी.एस.चिकित्सालय ऋषिकेश के साथ ही श्रीदेव सुमन चिकित्सालय नरेन्द्रनगर टिहरी के नामित चिकित्सक शामिल है।
भीषण बस हादसा ,बच गए दोनों बसों के सभी 62 लोग
देहरादून, 30 मार्च (निस) । सोमवार सुबह देहरादून से गुप्तकाशी जा रही विश्वनाथ बस व जयालगढ़ से ऋषिकेश आर रही बस की कौडि़याल के पास आमने सामने की भिड़ंत हो गई। देहरादून से सोमवार सुबह सवा सात बजे रवाना हुई विश्वनाथ सेवा की बस में कुल 17 लोग सवार थे जबकि जयाल गढ़ से ऋषिकेश आ रही बस में कुल 42 लोग सवार थे । दोनों बसों में ड्राईवर कंडक्टर्स सहित दोनों बसों में 62 लोग सवार थे । दुर्घटनास्थल से शषि भूषण मैठानी कोे विश्वनाथ बस के ड्राइबर विशाल सिंह ने बताया कि मैं अपने बस को लेकर तोता घाटी की चढ़ाई पर चढ़ रहा था इतने में तीव्र ढलान पर यात्रियों से भरी एक बस बहुत तेजी व बेतरतीब ढंग से हमारी ओर बढ़ रह थी सभी लोग जोर जोर से चिल्लाने लगे मैंने बस को पहले ही पूरी तरह से चट्टान वाली साईट में दबा दिया था इतने में सामने से आ रही बस विपरीत दिशा में तेजी से ढलान पर दौड़ रही थी जो सीधे मेरी बस से भीड़ गई । जिसमे दोनों ही बसों में बैठे सभी लोगों को हल्की चोटें भी आई जबकि एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी ।
दूत बनकर आया आर्मी का डॉक्टर
बस ड्राइवर विशाल ने बताया कि दुर्घटना के तुरंत बाद आपातकालीन सेवा 108 सेवा को फोन किया गया था । लेकिन उसे आने में बहुत देर हो गई थी और घायल लोग दर्द से कराह रहे थे । परन्तु तभी सेना की एक जिप्सी आई उसमे डॉक्टर (अधिकारी) था जिसने तुरंत घायलों को प्राथमिक उपचार दिया उसके बाद गंभीर रूप से घायल महिला एवम् उनके परिजनों को अपने साथ श्रीनगर अस्पताल ले गए । इसके कुछ देर बाद 108 भी मौके पर पहुँची थी ,जिससे बाकी घायलों को मदद की गई ।
बस की टूट गई थी फेन बेल्ट
जयाल गढ़ से आ रही बस के ड्राईवर दीवान सिंह ने खुद को बेकसूर बताया उसने कहा कि बस लगभग 500 मीटर पहले ही नियंत्रण खो चुकी थी । काबू करने की बहुत कोशिष की परन्तु तीब्र ढलान होने से बस नियंत्रण से बाहर होती चले गई । दीवान सिंह ने बताया कि बस की फेन बेल्ट टूटने की वजह से यह हादसा हुआ । उसने कहा कि गनीमत यह रही कि दोनों बसों में सवार यात्रियों को ज्यादा नुकसान नहीं हुवा । उसने बताया भले ही विश्वनाथ बस का नुकसान हुआ है पर वह जानबूझ कर या लापरवाही से नहीं किया गया है । उसने आखिरी पल तक सभी को बचाने का प्रयास किया। अगर दोनों बसें आपस में न भिड़ती तो जयाल गढ़ से ऋषिकेश लौट रही बस 42 यात्रियों सहित सैकड़ों मीटर नीचे गंगा नदी मे समा सकती थी ।यह सबके लिए राहत की बात है कि आज उत्तराखंड में एक बड़ा बस हादशा होते होते रह गया । इसी बीच सेना अधिकारी डॉक्टर के जज्बे को हम सबको मिलकर सलाम तो करना ही होगा। जिसने समाज सेवा की एक जीती जागती मिशाल कायम कर दी है।


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