तेजाब फेकना, इतिहास और कानून - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 19 अप्रैल 2015

तेजाब फेकना, इतिहास और कानून

तेजाब फेकना एक तरह का हिंसात्मक गतिविधि है, जिसमे दूसरे के शरीर पर तेजाब या कोई अन्य तरल उसको मारने, बदसूरत बनाने या अन्य अत्याचार के उद्देश्य से किया जाता है.. यह इसमे सामान्यतः सल्फ्युरिक, नाइट्रिक और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का इस्तेमाल होता है. यह अक्सर महिलाओ पर किया जाता है, इसका प्रतिफल अन्धापन, चेहरा या शरीर का विक्रित होना है. आगे चल कर ये सामाजिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओ का मूल बन जाता है.

प्रागैतिहासिक काल मे अम्ल धातुकर्म मे, मध्य युग मे नक्काशी के लिए उपयोग होता था. सर्वप्रथम तेजाब १९१५ मे हन्ग्री के राजकुमार Leopold Clement पर उनके व्याकुल पत्नी Famila के द्वारा फेका गया था. उसके बाद तेजाब एक अस्त्र कि तरह विकासशील देशो मे खासकर दक्क्षिन एशियाइ देशो मे होने लगा. इधर पहला हमला १९६७ मे बान्गलादेश मे देखा गया.

भारत मे तेजाब हमले कि पहली घटना १९८२ मे दर्ज की गई, जिसके बाद इसमे बढोतरी हि हुई है. विश्व भर मे तीन देशो मे तेजाब फेकने की घटना ज्यादातर मिलती है, जिसमे भारत, पाकिस्तान और बान्गलादेश है. इन तीन देशो मे बान्गलादेश मे सर्वाधिक सजा है और वो है, आजीवन कारावास या मृत्यु दंड. ACCA  और ACA के तहत बान्गलादेश मे किसी पर तेजाब फेकने से यदि उसका चेहरा, सीना या किसी अन्य सम्बेदनशील अन्ग पिडित होते है तो हमलावर को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और कोइ अन्य साधारण पीड़ा से ७-१२ साल कि कैद.

भारत मे हमलावर को दंडित करने के साथ साथ तेजाब कि खरीद को रोकने पर भी ध्यान दिया गया है. १६ जुलाई २०१३ मे हुए घटना क बाद तेजाब खरीदने वालो का फोटो पहचान पत्र लिया जाने लगा. भारतीय दन्ड संहिता के खन्ड ३२६ ए के तहत तेजाब फेकने वाले पर कम से कम १० साल कैद, ज्यादा संगीन अपराध पर आजीवन कारावास सह आर्थिक दंड भी उल्लिखित है. क्योकि तेजाब फेकना एक गैर कानुनी गतिविधि है और कानुनी तौर पर पिडिता और उसको अस्पताल तक लाने वाले की गवाही बहुत जरुरी है, इसलिए हमारे स्वास्थ्य केन्द्र या अन्य अस्पताल पिडिता को दर्ज करने से कतराते रहते है. इस सन्दर्भ मे कई सारे कानून आए, अभी नवीनतम कानून के अनुसार माननीय उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि हर राज्य के अस्पतालो और नीजी क्लिनीको मे भी पिडिता को मुफ्त चिकित्सिय सेवाए दी जाए, चाहे वो दवाओ की हो या फिर गम्भीर शल्य चिकित्सा.

दरअसल लक्ष्मी (तुगलक रोड, दिल्ली) के मुकदमे कि अन्तिम सुनवाई मे उच्चतम न्यायालय ने हमलावर को दन्डित करते हुए आने वाले समय के लिए आदेश सुनाया.


KUMAR AMAL VATS
Architect, Planner and Sociologist
Astt. Prof.
Gateway College of Arch. & Design
Sonepat (Haryana)

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