भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का मार्गदर्शन भाषण नहीं हुआ। श्री आडवाणी कार्यकारिणी में बोलेंगे या नहीं, इसे लेकर पिछले दो दिन से अटकलों का बाजार गर्म था। पार्टी के नेता भी इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ कहने को तैयार नहीं थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में आडवाणी के संबोधन को प्रासंगिक नहीं माना जा रहा था। पार्टी के मार्गदर्शक मंडल तक सीमित किये जा चुके श्री आडवाणी के पिछले इतिहास को देखते हुए पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि वह कोई ऐसा बयान दें, जिससे सरकार और पार्टी पर उंगली उठे। यही कारण है कि कार्यक्रम में उनके संबोधन के लिए समय नहीं रखा गया। परंपरा के मुताबिक अध्यक्ष या प्रधानमंत्री के समापन भाषण से पहले या बाद में श्री आडवाणी अपना संबोधन करते थे, जिसे मार्गदर्शन करना कहा जाता है। सूत्रों के मुताबिक खुद श्री आडवाणी ही भाषण देने के इच्छुक नहीं थे।
इस बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आडवाणी जी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, वह जब चाहें किसी मंच पर पार्टी का मार्गदर्शन कर सकते हैं। पार्टी की व्यवस्था सामूहिक तौर पर तय की जाती है और आंतरिक फैसले मीडिया के साथ साझा नहीं किए जाते हैं। उनसे जब पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में श्री आडवाणी के बारे में कुछ कहा, तो उन्होंने कहा कि भाषण विषयों पर था, किसी व्यक्ति पर नहीं।

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