उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि कोई भी निजी अस्पताल तेजाब हमला पीड़ितों के इलाज से मना नहीं करेगा। यदि कोई अस्पताल ऐसा करता है तो संबंधित राज्य सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की विशेष सामाजिक न्यायपीठ की यह चेतावनी उस वक्त आई जब उन्हें यह जानकारी मिली कि कुछ निजी अस्पताल तेजाब हमले की पीड़ितों का इलाज करने से कतराते हैं।
खंडपीठ ने व्यवस्था दी कि तेजाब हमला पीड़ितों के इलाज में केवल अस्पताल में भर्ती कराना और गंभीर स्थिति में इलाज ही नहीं, बल्कि इसमें मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराना और तेजाब प्रभावित हिस्सों की सर्जरी भी शामिल हाेगी।
न्यायालय ने नये दिशा निर्देश में कहा है कि सभी राज्य सरकारें पीडितों को शीर्ष अदालत के पिछले आदेश का पालन कराते हुए कम से कम तीन लाख रुपये की तत्काल मदद मुहैया कराएं। शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली बार इलाज करने वाला अस्पताल पीड़ित को प्रमाण पत्र जारी करेगा। न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि खुले में तेजाब बिक्री पर लगाई गई शीर्ष अदालत की रोक का सभी राज्य पालन करें।

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