बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने आज आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की उदासीन और टालमटोल नीति के कारण प्रदेश में धान अधिप्राप्ति के कार्य में जहां बाधा उत्पन्न हुई है वही किसानों को नुकशान उठाना पड़ा । श्री रजक ने आज यहां कहा कि केन्द्र सरकार ने धान अधिप्राप्ति के लिए बिहार में अंतिम तिथि 31 जनवरी 2015 निर्धारित की थी जो व्यवहारिक नहीं था । उन्होंने कहा कि केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान बिहार से ही है और वह राज्य के फसल कैलेंडर से भलीभांति परिचित है । उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार के बार-बार अनुरोध किये जाने के बाद धान अधिप्राप्ति की तिथि 31 जनवरी से बढ़ाकर 28 फरवरी की गयी थी और फिर इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2015 निश्चित किया गया था 1 उन्होंने कहा कि रोक-रोक कर काफी विलम्ब से धान अधिप्राप्ति की अंतिम तिथि बढ़ाने से धान अधिप्राप्ति के कार्य में बाधा उत्पन्न हुई ।
श्री रजक ने कहा कि बिहार सरकार ने धान अधिप्राप्ति के लिए निर्धारित अंतिम तिथि 31 मार्च का विस्तार करने के लिए केन्द्र से अनुरोध किया था लेकिन आठ अप्रैल तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया । उन्होंने कहा कि नौ अप्रैल को केन्द्र से बिहार सरकार को एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया था कि अधिप्राप्ति की अंतिम तिथि 15अप्रैल 2015 तक बढ़ाई गयी है । उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने कहा कि अब 15 अप्रैल में काफी कम समय बचा है और इस अवधि में 12 तथा 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश है जिसके कारण धान अधिप्राप्ति का कार्य असंभव लग रहा है । उन्होंने कहा कि पिछले नौ दिनों तक किसी तरह का केन्द्र से आदेश नहीं आने के कारण धान अधिप्राप्ति का कार्य ठप्प था और इसे फिर से इतनी कम अवधि में शुरू करना असंभव है 1 श्री रजन ने कहा कि केन्द्र सरकार ने यदि समय से धान अधिप्राप्ति की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए निर्णय लिया होता तो किसानों को काफी सहुलियत होती और अधिक से अधिक धान अधिप्राप्ति किया जा सकता था । उन्होंने भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: के नेताओं को सलाह दी कि इस संवेदनशील मामले में राजनीति करने की बजाये किसानों के हित के लिए कार्य करें तो ज्यादा बेहतर होगा ।

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