उत्तराखंड की विस्तृत खबर (29 अप्रैल) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (29 अप्रैल)

भारत और नेपाल के आपसी सहयोग से होना है इस महत्वाकांक्षी पावर प्रोजेक्ट का निर्माण
  • अधर में पंचेश्वर बांध परियोजना का भविष्य
  • दोनों देश इस पावर प्रोजेक्ट को लेकर बेहद उत्साहित, आमजन के साथ ही भूगर्भ वैज्ञानिक इसके विरोध में
  • भारतीय भूभाघ क्षेत्र में ज्यादा खतरे की है आशंका, लगभग 30 हजार लोगों का करना होगा विस्थापन
  • भारत के 314 और नेपाल के 23 गांव डूब क्षेत्र में

देहरादून,29 अप्रैल। नेपाल-भारत के सहयोग से बनने वाले पंचेश्वर बाँध पॉवर प्रोजेक्ट का भविष्य अभी भी अधर में लटका है। एक ओर केंद्र और उत्तराखंड सरकार के साथ ही नेपाल सरकार भी इस बांध के निर्माण में रुचि ले रहे हैं तो वहीं दोनों देशों की जनता और भू-गर्भ विज्ञानी इस परियोजना का विरोध करते नजारा आ रहे हैं। रोटी-बेटी के संबंधों से जुड़ा उत्तराखंड का महाकाली नदी के आस-पास कुमाऊं का हिस्सा और धारचुला से महेंद्रनगर तक फैला महाकाली नदी पार पश्चिमी नेपाल का हिस्सा इस बांध को बनाए जाने के कतई पक्ष में नहीं हैं। वहीँ भूगर्भशास्त्री भी इसे नेपाल का कम बल्कि भारत के लिए ज्यादा खतरा मान रहे हैं। बांध प्रभावित क्षेत्र नेपाल महेंद्र नगर के महेंद्र बराल का कहना है कि बांध बनने फायदा कम और नुकसान ज्यादा दिखाई देता है। एक तो लोगों को विस्थापन की मार झेलनी होगी तो दूसरा नई जगह व्यवसाय जमाने में समय लगेगा। अगर सिर्फ बिजली  ही सरकारों का लक्ष्य है तो यह योजना हमारे लिए नगण्य है। सरकार को नागरिकों की चिंता पहले रखनी चाहिए। नेपाल के ही तुएराज जोशी का कहना है कि भारत के साथ हमारे रोटी-बेटी के रिश्ते हैं। सरकारें कोई भी रही हों लेकिन महाकाली नदी आरपार हमारा आपसी व्यवहार कभी एक दुसरे के प्रति कलुषित नहीं हुआ। दो देशों के इन संबंधों को यथावत रखने के लिए दोनों देशों की सरकार को इसके हर व्यावहारिक पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए। उत्तराखंड में पहाड़ के पानी और पहाड़ की जवानी को रोकने के जुमले राज्य बनने से पहले से ही अक्सर सुनाई देते है। इन पर आजतक अमल राज्य की सरकारें नहीं कर पाई। राज्य बनने के बाद भी पहाड़ का पलायन का प्रतिशत बढ़ता ही जा रहा है। लंबे अरसे से पहाड़ों में बांधों को लेकर आमजन को रोजगार दिलाने के बातें तो की गई लोकिन क्षेत्रीय जनता को लाभ कम ही मिल पाया है। पंचेश्वर बांध को लेकर भारत और नेपाल के लोग आज भी नहीं चाहते है कि बड़ी परियोजना बने। जिससे उनकी संस्कृति, सभ्यता, योजनाओं की बलि चढ़ जाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत भी जहां एक ओर इस बांध के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमत नजर आए वहीँ दूसरी ओर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंचेश्वर बाँध के कारण टनकपुर जौलजीवी मार्ग बाधित न हो। बनबसा के अभिषेक जोशी व बांध प्रभावित क्षेत्र में आने वाले बनवसा के ही मोहन चंद का कहना है कि इस बांध के बनने से जहां 30 हजार लोगों को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ेगी वहीँ उनके बसे बसाए ब्यापार सब चैपट हो जाएंगे। पंचेश्वर बांध को लेकर भारत और नेपाल के लोगों से जब बात हुई तो उनका कहना था कि जिस क्षेत्र में पंचेश्वर बांध का निर्माण किया जाना है वो भूकंप की दृष्टि से जोन पांच में होने के कारण संवेदनशील है। क्षेत्रीय जनता कहती है कि विकास के नाम पर किया जाने वाला विनाश कहीं न कहीं आमजन के हित में नहीं होता। चाहे भारत हो या नेपाल दोनों ही देशों के लोगों का कहना है कि कभी मोटर मार्ग के विस्तारीकरण की बात हो रही है तो कभी रेलवे लाइन की। दोनों तरफ जनता ही परेशान होगी। बांध परियोजना से लाभ की आशा कम है ही वहीँ हमारा आपसी व्यापार भी इस बांध की भेंट चढ़ जाएगा भू-वैज्ञानिकों ने भी पंचेश्वर बांध को संवेदनशील मानते निर्माण को नकारा है। इस पर छोटी-छोटी हलचलों से भी भूकंप की आशाएं समय-समय पर बताई जाती है। वहीँ स्थानीय लोगों का मानना है कि विस्थापन की स्थिति में कम से कम 30 हजार लोगों को अपनी जमीन मकान से बेदखल होकर अन्यत्र बसना होगा। बांध को लेकर बनी डीपआरों में भारत के 314 गांव व नेपाल के 23 गांव को डूब क्षेत्र में दर्शाया गया है। हालांकि अभी तक पंचेश्वर बांध को लेकर तीन डीपाआर तैयार की गई है। इसमें आज तक क्षेत्र के निवासियों को ये जानकारियां उपलब्ध नहीं है कि बांध डूब क्षेत्र में कहां से कहां तक का क्षेत्र प्रभावित होगा। इन तमाम आशंकाओं के बीच में स्थानीय स्तर आमजन का बांध का विरोध ही नजर आता है। चंद लोग ही बांध बनने के बाद क्षेत्र की विकास की बात करते है। पद्मश्री केएस वाल्दिया का कहना है कि इस बांध के बनने से नेपाल को कम नुकसान है। जबकि भारत के बनबसा और टनकपुर क्षेत्र का मीलों भूभाग डेंजर जोन में आ जाएगा। क्योंकि इसके जमीन के नीचे की सिल्ट बेहद कमजोर हैं और बांध का दबाव सहन नहीं कर सकेंगी। अब अगर ऐसे में इस बांध का निर्माण होता है तो क्या यह सिर्फ विकास के लिए ही दृष्टिगोचर होगा या फिर इसमें छिपा विनाश भी हम देख सकेंगे।

कहीं फजीहत की वजह न बन जाए सीएम का वैध नहीं उपनल में नेगी की नियक्ति
  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं नेगी, अब उन्हें अब दिया उपनल का अध्यक्ष का तोहफा

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देहरादून, 29 अप्रैल। लंबे समय तक इंतजार कराने के बाद सीएम हरीश ने अपने जन्मदिन के अवसर तक कांग्रेसी नेताओं को सरकारी दायित्व का तोहफा दिया है। इन्हीं में से एक सेवा निवृत्त लेफ्टिनेंट जनल गंभीर सिंह नेगी को उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) का अध्यक्ष बनाया गया है। अब इनकी नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह नियुक्ति संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है और विवाद बढ़ा तो इसे निरस्त किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष पद पर की गई नेगी की नियुक्ति पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। कहा जा रहा है कि इस नियुक्ति को करने से पहले सरकार ने या तो विधिक राय नहीं है या फिर अफसरों ने इस कानूनी खामी की ओर सरकार का ध्यान दिलाना जरूर नहीं समझा। गौरतलब है कि जनरल नेगी वर्ष 2006-7 में राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन के पद पर रह चुके हैं और संविधान के अनुच्छेद 319 ( बी) मुताबिक ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी राज्य में पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष पद पर रह चुका हो उनको किसी दूसरे राज्य में लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या केंद्रीय लोक सेवा आयोग में मेंबर और चेयरमैन तो बनाया जा सकता है लेकिन उनकी नियुक्ति केंद्र व राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं बल्कि माननीय सुप्रीम कोर्ट नें यूनियन ऑफ इंडिया बनाम यू डी दिवेदी (1997 ) 3 एस सी सी मामले में साफ तौर पर संविधान के इस अनुच्छेद को अत्यन्त महत्वपूर्ण मानते हुये यहां तक कहा है कि यह उन पर भी लागू होगा जिनको कुछ समय या कुछ घंटे के लिये भी नियुक्त किया गया हो। अब प्रश्न यहां यह उठता है कि आखिर वो कौन सा ऐसा कारण है कि राज्य सरकार न तो संविधान की परवाह कर रही है और न ही माननीय सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग की। बहरहाल भले ही श्री नेगी को उपनल अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया गया है लेकिन यह कभी भी खतरे में पड़ सकती है।

ये सीओ के निलंबन का सच : सीएम की पुत्री के विवाह समारोह में प्रदर्शन की थी तैयारी
  • किच्छा में पुलिस हिरासत में युवक की मौत का मामला, परिजन कर रहे हैं पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी की मांग 
  • एसएसपी और डीआईजी ने कई रोज पहले की थी संस्तुति, सीओ को बचाने में जुटे रहे कई नेता और बड़े अफसर

देहरादून, 29 अप्रैल। । किच्छा में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आरोपी पुलिस अफसरों और कर्मियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो रहा था। इससे परेशान युवक के परिजनों ने सीएम की पुत्री के विवाह समारोह स्थव पर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। इसके बाद हरकत में आई सरकार ने सीओ को निलंबित कर दिया। परिजन अभी भी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं। विगत 20 अप्रैल को ऊधमसिंह नगर जिले की किच्छा कोतवाली क्षेत्र के गांव रामेश्वरपुर निवासी जसविंदर सिंह नामक 32 वर्षीय युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। तमाम प्रदर्शन के बाद सीओ और एसएसआई के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद परिजनों की मांग के बाद भी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो की गई। इतना ही नहीं एसएसपी और डीआईजी के संस्तुति के बाद निलंबन तक नहीं किया गया था। बताया जा रहा है कि सीओ को बचाने के लिए कई नेताओं के साथ ही पुलिस के बड़े अफसर भी पैरोकारी में लगे थे। कोई एक्शन न होता देख युवक के परिजनों ने सीएम हरीश रावत की पुत्री के विवाह समारोह के दौरान प्रदर्शन का ऐलान किया था। इसके बाद सरकारी मशीनरी हरतक में आई विवाह समारोह से 24 घंटे पहले ही सीओ का निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। कहा जा रहा है कि अगर परिजनों की ओर से इस तरह की चेतावनी नहीं दी गई होती तो सीओ को शायद निलंबित भी नहीं किया गया होता।

युवक के गांव में पुलिस तैनात

किच्छा (ऊधमसिंह नगर)। गांव रामेश्वरपुर में आज बुधवार को रस्म पगड़ी के बाद परिजनों व अन्य लोगों का हल्द्वानी की ओर कूच का कार्यक्रम तय है। हल्द्वानी में आज ही सीएम की पुत्री का विवाह समारोह भी है। इस लिहाज से गांव में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। माना जा रहा है कि ग्रामीणों को हल्द्वानी की ओर जाने से रोकने के लिए ही पुलिस फोर्स तैनात किया गया है।

नहीं आ सके पूर्व सीएम बहुगुणा
किच्छा (ऊधमसिंह नगर)। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को आज रस्म पगड़ी कार्यक्रम में शामिल होना था। लेकिन वे आ नहीं सके। बताया जा रहा है कि बहुगुणा को दिल्ली से ट्रेन से आना था। लेकिन रेलवे स्टेशन पर लेट पहुंचने की वजह से बहुगुणा ट्रेन नहीं पकड़ सके। बताया जा रहा है कि बहुगुणा के यहां के दौरे से मामले में सियासी रंग मिल सकता था। क्योंकि बहुगुणा ने इन दिनों मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावती तेवर अपना रखे हैं।

विजय को रास नहीं आ रहा मुख्यमंत्री हरीश का केंद्र सरकार से पैसे की मांग करना बोले, इससे खराब हो रही उत्तराखंड की साख
  • बहुगुणा उवाच : केंद्र से हर मौके पर मिल रही है उचित सहायता

देहरादून, 29 अप्रैल। इस सियासत के रंग भी अजीब है। खुद मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से बार-बार मदद मांगने वाले विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री हरीश रावत का यही अंदाज रास नहीं आ रहा है। विजय को लग रहा है कि बार-बार मदद की मांग करने से उत्तराखंड राज्य की छवि खराब हो रही है। अब विजय को यह भी महसूस हो रहा है कि केंद्र से राज्य सरकार को समय पर मदद मिलती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इन दिनों उत्तराखंड की सियासत में अपना वजूद तलाशते दिख रहे हैं। विजय के सीएम की कुर्सी के हटने के बाद मौजूदा सीएम हरीश रावत ने अपनी सियासी चालों ने उन्हें हाशिए पर धकेल सा दिया है। उनकी किसी भी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आलम यह है कि खुद दावेदारी करने के बाद भी उन्हें राज्यसभा में जाने का मौका नहीं दिया गया। विजय अपने खास सिपहसालार विधायक सुबोध उनियाल को कैबिनेट मंत्री बनवाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उनकी इस मांग को हवा में उड़ा दिया जा रहा है। यही वजह है कि विजय इस समय हरीश विरोधी रुख अपनाए हुए हैं। मौका चाहें जो हो, विजय की ओर से हरीश पर सियासी हमला करने का सिलसिला जारी रह सकता है। इसी क्रम में दो ताजे मामले सामने आ रहे हैं। एक तो किच्छा के रामेश्वरपुर निवासी एक युवक की मौत में सरकार के रुख का विरोध का है। इस गांव के लोगों ने सीएम की पुत्री के विवाह के दौरान प्रदर्शन का एलान किया तो विजय दिल्ली से इस गांव में आने को तैयार हो गए। अब विजय ने अपने तरकश से नया तीर निकालकर हरीश पर निशाना साधा है। सीएम हरीश पिछले लंबे समय के केंद्र सरकार पर उत्तराखंड की उपेक्षा का आरोप लगा रहे है। सीएम की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर राज्य के बजट में कटौती की जा रही है और हरिद्वार कुंभ के लिए पैसा नहीं दिया जा रहा है। सीएम चारधाम यात्रा के लिए भी पैसा मांग रहे हैं। अब विजय को यह रास नहीं आ रहा है। मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा कि बार-बार केंद्र सरकार से पैसा मांगना ठीक नहीं है। इससे उत्तराखंड राज्य की छवि खराब हो रही है। केंद्र सरकार राज्य की हर मौके पर मदद करती रही है। 2013 में आई आपदा के वक्त वे सीएम थे। उस समय भी केंद्र ने भरपूर मदद की। विजय के इस रुख से साफ हो गया है कि पूर्व सीएम का रुख अब हरदा की ओर और भी सख्त हो गया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में विजय की ओर से हरीश पर ओर भी सियासी हमले हो सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि सियासत के मंझे खिलाड़ी हरीश इन हमलों पर क्या तेवर दिखाते हैं।

मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर पुलिसअधिकारियों द्वारा उत्तराखण्ड के नक्षे का केक कटवाना षर्मनाक : अजय भट्ट

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देहरादून, 29 अप्रैल। नेता प्रतिपक्ष, अजय भट्ट, ने कहा कि प्रदेश के मुखिया के जन्मदिवस पर पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रदेश के नक्षे का जिसमें सम्पूर्ण जनपदों को भी दर्शाया गया हो केक कटवाना अत्यधिक शर्मनाक व उत्तराखण्ड प्रदेश का अपमान है। उन्होने कहा कि इन अधिकारियों के प्रदेश के मुख्यमंत्री से क्या निजी सम्बन्ध हैं उनसे उन्हें कोई लेना देना नहीं है, किन्तु उन्हें जन्मदिवस के अवसर पर उपहार के रूप में प्रदेश के नक्षे का केक भंेटकर उसे चाकू से कटवाना अत्यधिक शर्मनाक है। श्री भट्ट ने कहा कि एक ओर प्रदेश की कांग्रेस सरकार आये दिन नये-नये घोटाले कर प्रदेश की जनता के पेट में रोज चाकू घोंप रही है और अधिकारियों द्वारा उनसे प्रदेश के नक्से पर चाकू मरवाने से साबित हो गया है कि प्रदेश के प्रति सरकार कितनी संवेदनहीन बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार को स्वयं ही सोचना चाहिए था कि प्रदेश के नक्से पर इस तरह से चाकू मारकर काटना कहाॅ तक उचित है।  श्री भट्ट ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के जन्मदिवस पर प्रदेश के आबकारी विभाग ने जिसे वे स्वयं देख रहे हैं और उन्हीं की देख-रेख व दिशा-निर्देष पर एफ0एल0-2 का तोहफा दे दिया था, किन्तु सरकार ने जहाॅ करोड़ों रूपये के वारे-न्यारे कर आबकारी विभाग की नीति परिवर्तन कर प्रदेश की जनता के पेट में चाकू मारा वहीं दूसरी ओर प्रदेश के नक्षेे पर चाकू मारकर साबित कर दिया कि सरकार अपने निजी हितों के लिए प्रदेश की जनता और उनकी आस्था के साथ कोई समझौता कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक अधिकारी द्वारा प्रदेश के नक्षे का केक बनवाना और अपने अधिकारियों सहित दल-बल के साथ बीजापुर गेस्ट हाउस पहुॅचकर प्रदेश के नक्षे पर चाकू चलवाना उनकी और सरकार की मंशा तथा मानसिकता को दर्शाता है कि वे किस कदर प्रदेश के प्रति संवेदनशील हैं तथा प्रदेश का कितना सम्मान करते हैं। भट्ट ने कहा कि सरकार अपने अहंकार में प्रदेश का सम्मान करना भी भूल गयी है आने वाले दिनों में जहाॅ प्रदेश की जनता उसे पूरी तरह से सबक सिखाने को पलक बिछाये बैठी है वहीं देवभूमि भी ऐसी सरकार को कभी माफ नहीं करेगी। 

भूकम्प प्रभावितों के लिए एक माह का वेतन दिया 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, तीर्थाटन प्रबन्धन एवं धार्मिक मेले तथा युवा कल्याण मंत्री, दिनेश धनै ने गत शनिवार 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल राष्ट्र में आये विनाशकारी भूकम्प से प्रभावितों की सहायता के लिए अपना एक माह का वेतन दिया है। उन्होंने इस हेतु अपना वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया है।

पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम का राजभवन में स्वागत 

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देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने आज पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के राजभवन पहुॅचने पर उन्हें पुष्प गुच्छ और उत्तरीय भेंट कर उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया।पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने राज्यपाल को स्वलिखित व स्वहस्ताक्षरित पुस्तक ‘बियोंड 2020‘  की एक प्रति भेंट की। राज्यपाल ने भी उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया। ऋषिकेश में एक निजी डेंटल काॅलेज के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने के बाद डा. कलाम ने कुछ समय के लिए राजभवन का आतिथ्य ग्रहण किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, देहरादून स्थित एक और निजी स्कूल के बच्चों के साथ इंटरेक्शन (बातचीत) के बाद डा. कलाम आज ही दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। 

मेडिकल वेस्ट मैनेजमैंट की समस्या को कार्यशाला आयोजित 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। प्रदेश में बढ़ती मेडिकल वेस्ट की समस्या को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नवज्योति सोसाईटी एंव टोक्सिक्स लिंक के सामूहिक तत्वधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर अपने विचार रखते हुए महानिदेशक स्वास्थ्य जीसी जोशी ने कहा कि सभी प्रकार का अपशिष्ट प्रबन्धन महत्तवपूर्ण है। जिसके विषय में जानकारी होनी चाहिए है। जैव अस्पताल अपशिष्ट के प्रबन्धन का सवाह है तो विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। पीएसबी निदेशक श्रीमती कुसम नरियाल ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल बेस्ट मैनेजमेंट के लिए दो संस्थाऐं सामने आयी है। जिनके प्रयास से प्रदेश में मेडिकल बेस्ट का अच्छी तरह निपटारा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट कराना इसलिए आवश्यक हो गया है कि एचआईवी जैसे बीमारी को फैलाने में यह भी सहायक है। टोक्सिकस लिंक की कुमारी कंकना दास ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रत्येक अस्पताल में नियमित रूप से अस्पताल अपशिष्ट प्रबन्धन का प्रशिक्षण होना चाहिए। दुनिया भर में स्वास्थ्य एजेसिया ने आज यह माना है कि साफ-सफाई व उचित अपशिष्ट प्रबन्धन अच्छी स्वास्थ्य सेवाऐं प्रदान करने के मूल है। उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पतालों की संख्या मे वृद्धि हुई है जो अपने अस्पतालों के अपशिष्ट के प्रबन्धन में निवेश कर रहे है और अपने कर्मचारियों का संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए प्रशिक्षण दे रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेडिकल वेस्ट मैजेनमेंट के लिए केवल एक ही संस्था काम कर ही है। लेकिन प्रदेश में स्थित 10 हजार अस्पतालों तक उसकी पहुंच नहीं है और न ही संसाधन प्रयाप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकतर राष्ट्रीय राजमार्ग एवं नदियों के किनारे पर मेडिकल वेस्ट डंम्प किया जा रहा है जिसके कारण यह खतरनाक है। उन्होंने बताया कि भारत में अस्पतालों में पारें के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए सितम्बर 2014 में मिनामाटा कनवेंशन में हस्ताक्षर किये है। पारे से अलग- अलग तरीकों से नुकसान पहंुचता है। उन्होंने बताया कि टोक्सिकस लिंक उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर अस्पतालों के कर्मचारियों को टेªनिंग देगा जिससे कि वेस्ट मैनेजमेंट सही तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कहा गया है कि अगामी बजट में केन्द्र सरकार से मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बजट की मांग की जायेगी।

चारधाम यात्रा के लिए डीजीसीए की  अनुमति न मिलने से कांग्रेस नाराज

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। देहरादून-प्रदेशा कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने केदारनाथ में केन्द्र सरकार द्वारा हैलीकाॅप्टर से यात्रा की अनुमति न मिलने के कारण केदारनाथ दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं को अत्यधिक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। जबकि 21, अपै्रल से धारधाम यात्रा का शुभारम्भ हो चुका है, राज्य सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी अभी तक केन्द्र सरकार के उड्डयन मंत्रालय द्वारा चारधाम यात्रा की अनुमति प्रदान नही की है। केदारनाथ दर्शन करने वाले यात्री गौरीकुण्ड, फाटा एवं निंलचोली आदि विभिन्न स्थानों में रूके हुए है, जिससे स्थानीय प्रशासन को भी अत्यधिक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है, हैलीकाॅप्टर कम्पनियों को भी काफी हानि उठानी पड़ रही है तथा राज्य सरकार की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होनेें कहा कि केन्द्र सरकार के इस रवैये से स्थानीय लोगों तथा व्यापारियों के रोजगार पर हथौड़ा पड़ रहा है। कांगे्रस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी द्वारा केदारनाथ यात्रा पैदल करने से श्रद्वालुओं का विश्वास चारधाम यात्रा की ओर बडा है देश और विदेश के श्रद्वालुओं में इसका अच्छा सन्देश गया है, परन्तु केन्द्र सरकार के उपेक्षा के कारण यात्रियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है, श्री उपाध्याय ने भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सासंदों से केन्द्र सरकार से बात कर सहयोग करने की अपेक्षा की है।

डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग 
  • -बजरंग दल के कार्यकर्ता वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिले 
  • -युवती की शिकायत पर कार्रवाई न करने का आरोप 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग की है। दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले डेढ़ वर्ष से छेड़छाड़ की शिकायत पर पुलिस द्वारा आज तक तक कार्यवाही नहीं की गई है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में एसएसपी को एक ज्ञापन सौंपा। एसएसपी को सौंपे गए ज्ञापन में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि डाकपत्थर पुलिस शिवपुरी कालोनी डाकपत्थर निवासी अंजना बिष्ट की शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रही है। कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस उल्टा शिकायतकर्ता को धमकाने का कार्य कर रही है। बजरंग दल के जिला संयोजक अमित तोमर ने कहा कि पुलिस की इस प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उनका कहना है कि अंजना बिष्ट के पड़ोस में जिशान अली पुत्र उस्मान खान रहता है जिसे वह बड़ा भाई समझ कर उसका सम्मान करती थी, लेकिन नवम्बर 2013 में जिशान ने उसे अश्लील टिप्पणी की और दोस्ती के लिए कहा, मना करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। इसकी शिकायत मां व भाई से करने के बाद जिशान को डांटा गया और उसने सभी के सामने हाथ जोड़कर अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन इसके बाद भी जिशान बाज नहीं आया और वह उसका फिर से पीछा करने लगा और 24 मार्च को घर से बाहर उसे रोककर उसका हाथ पकड़ लिया। इसकी सूचना महिला हेल्पलाइन कंट्रोल रूम को फोन पर दी गई, शिकायत की जांच के लिए पुलिस के अधिकारी घर आये और पुलिस को सभी घटनाक्रम की जानकारी दी और इसके लिए जिशान को पुलिस चैकी बुलाया गया जहां पर उसे थोड़ा डांटकर घर भेज दिया गया, लेकिन पुलिस ने किसी भी प्रकार की कार्यवाही जिशान के खिलाफ  नहीं की, जिससे उसके हौसले बुलंद हो गये और वह दिन-प्रतिदिन उसे परेशान करने लगा। उनका कहना है कि पुलिस को सूचना दिये जाने के बाद भी किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि शिकायतकर्ता को ही पुलिस द्वारा डराने-धमकाने का काम किया गया। उनका कहना है कि अंजना जब भी घर से निकलती है तो जिशान व उसके चार-पांच दोस्त उसका पीछा करते हैं और मौका मिलने पर वह गालीगलौच भी करते हंै, कई बार उसका हाथ पकड़कर गाड़ी में घसीटने का प्रयास जिशान व उसके मित्रों ने किया, लेकिन उनका यह प्रयास कामयाब नहीं हो पाया और वह अब खौफ में जीने के लिए मजबूर है। कई बार शिकायत करने के बाद भी डेढ़ साल बाद भी उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि शीघ्र ही डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही की जाए और युवती को न्याय प्रदान किया जाए।

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