स्वास्थ्य दिवस विशेष : सभी के लिए खाद्यान्न का सपना कब होगा पूरा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 6 अप्रैल 2015

स्वास्थ्य दिवस विशेष : सभी के लिए खाद्यान्न का सपना कब होगा पूरा

अच्छी सेहत की बात सभी करते हैं। लेकिन स्वास्थ्य को लेकर जागरूक बहुत कम लोग हैं। रोग का सही समय पर पता न चल पाना या उसका सही समय से उपचार नहीं होना कई लोगों को आज असमय काल का ग्रास बना रहा है। लोगों को बीमारी का पता यदि सही समय पर चल जाए तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है। विष्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देष्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। 1948 में वल्र्ड हेल्थ आॅर्गेनाइज़ेषन द्वारा 7 अप्रैल को विष्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने की बात कही गई वह इसलिए आवष्यक थी ताकि भविश्य को रोग मुक्त बनाया जा सके। लेकिन आज हमारे देष में सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के तमाम प्रयासों के बावजूद भी लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं है। वर्तमान में अनियंत्रित खानपान, दूशित पानी, प्रदूशण व तनाव के कारण मनुश्य को होने वाली बीमारियों के ग्राफ में लगातार इज़ाफा हो रहा है। देष के दूरदराज़ क्षेत्रों में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की बड़ी कमी हैं। हां, षहरी क्षेत्रों में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़े बहुत गंभीर ज़रूर होने लगे हैं। 
           
अंग्रेज़ी में एक कहावत है हेल्थ इज़ वेल्थ अर्थात् स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृष्य पर नज़र डालें तो षायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ षरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांष देषों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनषैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो खान-पान पर ध्यान देता है और न ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। लेकिन हमंे यह बात समझनी होगी कि जहां कुछ लोग काम और व्यस्तता के कारण अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते, वहीं ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं जो भूखे पेट रहने और अस्वच्छ खाना खाने के लिए विवष हैं। भारत ने पिछले कुछ सालों में तेज़ी के साथ आर्थिक विकास किया है लेकिन इस विकास के बावजूद बड़ी संख्या में लोग कुपोशण के षिकार हुए हैं जो भारत के स्वास्थ्य परिदृष्य के प्रति चिंता उत्पन्न करता है। कहते हैं अच्छे स्वास्थ्य से आयु बढ़ती है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है स्वच्छ पोशणयुक्त भोजन। लेकिन हमारे देष की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ और पोशणयुक्त भोजन मिलना तो दूर, पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही है। 
             
हमारे देष में यूपीए-2 के षासनकाल में जनसाधारण को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के उद्देष्य से  राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 को संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद 10 सितंबर, 2013 को इसे अधिसूचित कर दिया गया। राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उद्देष्य लोगों को सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में उत्तम खाद्यान्न उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें खाद्य एवं पोशण सुरक्षा मिले और वह सम्मान के साथ जीवन जी सकें। इस कानून के लागू होने से देष की दो तिहाई-जनता को इसका लाभ मिलने का अनुमान है। यूपी में केंद्र सरकार द्वारा राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए 4 अप्रैल 2015 निर्धारित की गई थी लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए समय सीमा 4 अक्तुबर 2015 तक बढ़ाने का अनुरोध किया है। 2014 के अंत तक इसकी समय सीमा तीन बार बढ़ाए जाने के बाद केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को एक अल्टीमेटम जारी कर 4 अप्रैल को हर हाल में इसे लागू करने को कहा था। इसके तहत गरीबी रेखा के ऊपर (एपीएल) वाले परिवारों को नाम मात्र की दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।
             
खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके अलावा पात्र परिवारों को प्रतिमाह पांच कि. ग्रा. चावल, गेहूं व मोटा अनाज क्रमशः 3, 2 व 1 रुपये प्रति कि. ग्रा. की रियायती दर पर मिल सकेगा। इसके अलावा गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के छः माह के उपरांत भोजन के अलावा कम से कम 6000 रुपये का मातृत्व लाभ भी मिलेगा। 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे पौष्टिक आहार अथवा निर्धारित पौष्टिक मानदण्डानुसार घर राशन ले जा सकते हैं। साथ ही साथ खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति न हो पाने की स्थिति में, लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा। अभी तक सिर्फ 11 राज्यों एवं केद्र षासित प्रदेषें में राश्टीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हुआ है। 
          
खाद्य सुरक्षा के महत्व को समझते हुए विष्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस साल ‘‘सुरक्षित भोजन ’’ को अपना थीम चुना है। यह सच है कि  पौश्टिक भोजन से षरीर स्वस्थ रहता है जबकि खराब और सड़ा गला भोजन तमाम बीमारियों की जड़ है। हमारे देष में ऐसे लोगों की एक बड़ी तादाद हैं जिन्हें पौश्टिक आहार तो दूर तो वक्त की रोटी भी समय पर नहीं मिलती है। ऐसे में विष्व स्वास्थ्य संगठन का विष्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर ‘‘खाद्य सुरक्षा’’ को थीम चुनकर दुनिया के सभी देषों को यह संदेष देना कि वह अपने देष के नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा का अधिकार सुनिष्चित करे, एक सराहनीय कदम है। 
             
चिकित्सा के क्षेत्र भारत ने तेज़ी से तरक्की की है। लेकिन हमारे देष के दूरदराज़ क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की हालत अभी भी दयनीय स्थिति में है। इंडिया हेल्थ रिपोर्ट 2010 के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य की सेवाएं अभी भी पूरी तरह मुफ्त नहीं हैं और जो हैं उनकी हालत अच्छी नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रषिक्षित लोगों की काफ़ी कमी है। भारत में डाॅक्टर और आबादी का अनुपात भी संतोशजनक नहीं है। 1000 लोगों पर एक डाॅक्टर भी नहीं है। अस्पतालों में बिस्तर की उपलब्धता भी काफ़ी कम है। अगर हमें स्वस्थ और स्वच्छ भारत का सपना देखना है तो हमें लोगों को पौश्टिक आहार उपलब्ध कराने के साथ अच्छी चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होंगी। तभी यह सपना एक हक़ीकत का रूप ले सकता है। 






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गौहर आसिफ
(चरखा फीचर्स)

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