पटना, 21 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बिहार राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक 19-20 मई को पटना में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता रामबाबू कुमार और मोहन प्रसाद ने संयुक्त रूप से की जिसमें केन्द्रीय प्रेक्षक के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय उपमहासचिव गुरूदास दासगुप्ता और राष्ट्रीय सचिव रमेन्द्र कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नागेन्द्र नाथ ओझा (सभी पूर्व सांसद) ने भाग लिया।
पार्टी के दरभंगा में संपन्न राज्य सम्मेलन द्वारा निर्वाचित राज्य परिषद की प्रथम बैठक में राज्य सचिवमंडल और राज्य कार्यकारिणी समिति के चुनाव के साथ-साथ भावी संघर्ष की रूपरेखा तैयार की गयी जिसका विवरण निम्नलिखित है :-
सांगठनिक फैसले:-
सर्वसम्मति से नौ सदस्यीय राज्य सचिवमंडल चुना गया जिसमें पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह के अलावे मो॰ जब्बार आलम, रामनरेष पाण्डेय, चक्रधर प्रसाद सिंह, जानकी पासवान, रामचन्द्र महतो, रामाबाबू कुमार और अखिलेष कुमार शामिल हैं। सर्वसम्मति से 31 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी समिति का भी चुनाव हुआ जिसमें सचिवमंडल के नौ सदस्यों के अलावेे बद्री नारायण लाल, जीतेन्द्र नाथ, अर्जुन प्रसाद सिंह, बचन प्रभाकर, विजय नारायण मिश्र, गजनफर नवाब, हेमचन्द्र झा, प्रो॰ सुषीला सहाय, उषा सहनी, गणेष प्रसाद सिंह, ओम प्रकाष नारायण, प्रमोद प्रभाकर, अजय कुमार सिंह, मोहन प्रसाद, राजेन्द्र राजन, संजय कुमार, पूर्व विधान पार्षद, डा॰ शरद, प्रयाग चन्द्र मुखिया, विजयषंकर सिंह, ओम प्रकाष क्रांति, प्रभाषंकर सिंह और नारायण जी झा शामिल हैं। गिरिजानंदन सिंह नौसदस्यीय राज्य अनुषासन आयोग के अध्यक्ष और अखिलेष कुमार राज्य परिषद के कोषाध्यक्ष चुने गये।
आंदोलनात्मक फैसले:-
(क) 14 मई, 2015 के राष्ट्रव्यापी भूमि अधिग्रहण अध्यादेष के विरूद्ध अभियान के तहत राजधानी पटना में सफल प्रतिरोध मार्च का संदेष गाँव-गाँव तक पहुँचाने हेतु जिला और प्रखंड स्तरों पर इस मुद्दे पर अभियान जारी रखने का निर्णय लिया गया।
(ख) ़िद्वतीय विष्वयुद्ध फासीवाद पर विजय की 70वीं वर्षगांठ को समारोहपूर्वक आगामी 29 मई को आई॰एम॰ए॰ हाॅल पटना में मनाने का निर्णय लिया गया जिसमें वामदलों, जनसंगठनों, बुद्धिजीवियों, शांति और सौहाद्र्र के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक संगठनों व व्यक्तियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा ताकि भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद से जारी साम्प्रदायिक विभाजन और विध्वंस, जनविरोधी और धुर दक्षिणपंथी आर्थिक नीतियों के सहमेल से आसन्न फासीवाद के खतरे के प्रति व्यापक एकजुटता कायम की जा सके।
(ग) वामदलों के किसान-मजदूर संगठनों द्वारा किसान विरोधी और जनविरोधी भूमि अधिग्रहण के विरोध में भूमि अधिकार की हिफाजत के लिए, धान खरीद के बकाये के भुगतान के लिए, प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को समूचित मुआवजे देने के लिए सर्वदलीय समिति से आकलन कराने, गेहँू की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिष्चित करने, पैक्सो को भुगतान की गारंटी करने आदि सवालों को लेकर 25 मई, 2015 को जिला समाहारणालयों का घेराव के कार्यक्रम को हर संभव सहयोग देने का निर्णय लिया गया।

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