नहीं थम रहा निर्यात में गिरावट का दौर, बाजार नहीं दे रहा मोदी का साथ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 20 मई 2015

नहीं थम रहा निर्यात में गिरावट का दौर, बाजार नहीं दे रहा मोदी का साथ

import-not-increasing-in-make-in-india
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों, विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के महत्वकांक्षी कार्यक्रम “ मेक इन इंडिया” की जोर शोर से शुरूआत और नयी विदेश व्यापार नीति घोषित करने के बावजूद केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पिछले एक वर्ष के शासन के दौरान निर्यात में गिरावट का रूख रहा है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार निर्यात में दिसंबर 2014 से गिरावट का दौर चल रहा है। अप्रैल 2014 में कुल निर्यात 25 अरब 63 करोड़ डालर का रहा था जोकि अप्रैल 2015 तक 22 अरब पाँच करोड़ डालर पर सिमट गया। 

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2014 से मार्च 2015 के दौरान कुल मिलाकर 310 अरब 53 करोड़ डालर का निर्यात किया गया। इसी अविध निर्यात के 500 अरब डालर का लक्ष्य रखा गया था। मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद कई निर्णय ऐसे लिए हैं जिनसे विदेश व्यापार प्रणाली में आमूल चूल परिवर्तन हुआ है। इस वर्ष अप्रैल में नयी विदेश व्यापार नीति की घोषणा की गयी। इसमें कहा गया कि विदेश व्यापार के तौर तरीकों में परिवर्तन किया जाएगा और निर्यातकों को छूट,रियायत और सब्सिडी पर भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि नए बाजार तलाशने और निर्यात योग्य नयी वस्तुओं की तलाश करनी चाहिए। 

नयी विदेश व्यापार नीति में निर्यातकों को दी जा रही सभी प्रकार की छूट और रियायतों को वापस लेने की घोषणा करते हुए दो नयी योजनाएं शुरू की जिन्हें विनिर्माण उद्योग और सेवा क्षेत्र से जोड़ा गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए सरकार ने कहा कि यूरोप और अमेरिका के परंपरागत बाजारों को छोड़कर निर्यातकों को अफ्रीका और एशिया के बाजारों की ओर देखना चाहिए। सरकार ने हस्तशिल्प , चाय मसाले,खनिज और कपास जैसे परंपरागत निर्यात के अलावा भारी औद्योगिक उत्पादाें, इंजीनियरिंग उत्पादों, सूचना प्रौद्योगिकी तथा सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: