मध्य प्रदेश जल सत्याग्रह 32 दिन बाद स्थगित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 12 मई 2015

मध्य प्रदेश जल सत्याग्रह 32 दिन बाद स्थगित


jal-satyagrah-postpont-after-32-days
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहा जल सत्याग्रह 32वें दिन इस संकल्प के साथ स्थगित कर दिया गया कि आगामी कुछ दिनों में जोरदार संघर्ष किया जाएगा। साथ ही किसान-मजदूरों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन करने का ऐलान किया। नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से 191 मीटर किए जाने से खेती की जमीन डूब गई है और कई परिवार रोजी-रोटी के संकट से घिर गए हैं। प्रभावित किसानों ने 11 अप्रैल को घोगलगांव में जल सत्याग्रह शुरू किया था, जिसे नर्मदा बचाओ आंदोलन और आम आदमी पार्टी का समर्थन मिला।

32 दिनों से पानी में सत्याग्रह करने वालों की हालत बिगड़ रही थी, उनके पैर पहले ही गल चुके थे। उधर सरकार ने साफ कर दिया था कि वह जलस्तर कम नहीं करेगी। सरकार ने वादा किया कि पुर्नवास नीति का पालन करते हुए वह कहीं और जमीन मुहैया करा देगी। प्रभावितों को जमीन दिखाई भी गई, मगर उन्हें पसंद नहीं आई।  जल सत्याग्रह के 32वें दिन घोगलगांव पहुंचे आम आदमी पार्टी के पवक्ता संजय सिंह ने नर्मदा घाटी के किसानों के साथ सत्याग्रह को स्थगित करने का आग्रह किया। सब ने सत्याग्रहियों को आश्वासन दिया कि सब लोग मिलकर इस संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे। 

नर्मदा बचाओ आंदोलन की चितरूपा पालित ने बताया कि डूब प्रभावितों के अधिकारों के लिए संघर्ष को तीव्र करने के संकल्प के साथ जल सत्याग्रह को स्थगित किया गया और प्रशासन को विस्थापितों का पुनर्वास करने के लिए दो महीने का समय दिया गया है।  उन्होंने बताया कि सरकार की किसान के प्रति असंवेदनशीलता को देखते हुए, राज्य सरकार के खिलाफ प्रदेशभर में किसान-मजदूर संघर्ष शुरू करने का संकल्प लिया गया। सत्याग्रह स्थगित होने के बाद सारे सत्याग्रहियों को एम्बुलेंस में खंडवा अस्पताल ले जाया गया।

कोई टिप्पणी नहीं: