कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पारित भूमि विधेयक की हत्या करने का मंगलवार को आरोप लगाया। राहुल ने आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि उनका आगे का रास्ता आसान नहीं होगा।लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, "इस सरकार को विधेयक पारित करने की जल्दबाजी है। यह इतनी आसानी से नहीं होगा। यदि हम इसे यहां (संसद) रोकने में सक्षम नहीं हुए, तो इसके खिलाफ सड़क पर उतरेंगे।" कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने अपने नए विधेयक में सहमति तथा सामाजिक प्रभाव पर आवश्यक प्रावधानों को हटा दिया है।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में लाए गए भूमि विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने इसे सूट बूट की सरकार तथा कॉरपोरेट समर्थक सरकार करार दिया और इस तरह सरकार की बार-बार चुटकी ली। उन्होंने कहा, "हमने दो साल मेहनत कर इस विधेयक को लाया था। राजग सरकार ने चंद ही दिनों में इसकी हत्या कर दी।" उन्होंने संप्रग सरकार द्वारा 2013 में लाए गए भूमि अधिनियम में सहमति के प्रावधान को इस कानून का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। राहुल ने कहा, "सरकार कहती है कि अगर उसे जमीन छीननी होगी, तो वह किसानों को बताए बिना ऐसा करेगी।" राहुल ने कहा कि विधेयक का शव गिरने के बाद सरकार ने उसपर दूसरी बार कुल्हाड़ी चलाई है।
उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि सामाजिक प्रभाव का आकलन (एसआईए) नहीं होना चाहिए। राहुल ने कहा कि एसआईए से यह जानने में मदद मिलेगी कि परियोजना से कौन लाभान्वित होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने उस प्रावधान को हटाने के लिए तीसरी बार कुल्हाड़ी चलाई है, जिसके तहत पांच साल के भीतर परियोजना शुरू नहीं होने पर जमीन किसान को वापस देने का प्रावधान है। राहुल ने कहा, "परियोजना चाहे पांच साल में पूरी हो या 50 साल में, अब जमीन किसानों को वापस नहीं दी जाएगी।"
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक, केवल आठ फीसदी परियोजनाएं भूमि संबंधी समस्याओं के कारण लंबित हैं। उन्होंने कहा, "सरकार के पास जमीन है। विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) में 40 फीसदी जमीनें खाली पड़ी हैं। लेकिन फिर भी आप किसानों की जमीन छीनना चाहते हैं।" राजग सरकार पर किसानों की जमीन छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, "सोवियत संघ के एक अर्थशास्त्री ने मुझसे एक दिन कहा था कि चोर केवल रात में ही नहीं आते, बल्कि दिन में भी और सूट बूट पहनकर आते हैं।"
उन्होंने कहा, "जमीन की कमी नहीं है। आप गरीबों की जमीन छीनना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि जमीनें नोएडा, गुड़गांव तथा राजधानी के निकट ली जा रही हैं, जहां बेहद बढ़िया रिटर्न है, न कि बुंदेलखंड या राजस्थान में। उन्होंने कहा, "सरकार जमीनें पूंजीपतियों को देना चाहती है। यह वास्तव में सूट-बूट वालों की सरकार है।" तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि उनकी पार्टी जमीन के मालिकों व किसानों की है और वह उनसे चर्चा करेंगे और जमीन की कीमत संबंधी समस्याओं का निपटारा करेंगे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य एम.सलीम ने प्राकृतिक संपदाओं को पूंजीपतियों के हाथों बेचने का सरकार पर आरोप लगाया।

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