आठ वर्श का पंकज, पहले न ठीक से बोल पाता था और न ही चल पाता था। पर अब तो पंकज लिखने लगा है, मन की बात कहता है और अपना नाम तक बता सकता है। ऐसी ही कहानी कविता की है। स्कूल आते जाते अब वह भी अपने समाज को समझने लगी है। हमारे समाज में ऐसे कई बच्चे हैं जो न ठीक से बोल पाते हैं न ही कुछ समझ पाते हैं। मंद बुद्धि होने के चलते समाज में जहां इन्हें तिरस्कार झेलना पड़ता है वहीं इनके अपने परिवार वाले भी इनसे दूरी बनाकर चलने की कोशिश करते हैं। लेकिन समाज सेवा का संकल्प लिए हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो निस्वार्थ भाव से इनका जीवन संवारने में तल्लीनता के साथ लगे हुए हैं। ऐसे बच्चों की देख रेख निश्चित तौर पर कठिन काम है लेकिन शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये प्यार, समझ व धैर्य के साथ इनका जीवन संवारा जा सकता है ।
वर्तमान में मानसिक रूप से मंद बुध्दि बच्चों के लिए हरियाणा के झज्जर जि़ले के बहादुरगढ तहसील में एक ऐसा स्कूल चल रहा है जो बच्चों को षिक्षा के माध्यम से इनके जीवन में नई जोत जला रहा है। पिछले 3 वर्षों से बहादुरगढ़ में मानसिक बच्चों के लिए कार्यरत संस्था बाबा रामदास एजुकेशन सोसाइटी अपने स्कूल आशा किरण में मंद बुद्धि बच्चो के जीवन में ज्ञान की अलख जगा रही है। समाज के उपेक्षित विकलांग बच्चों के जीवन को षिक्षा के माध्यम से निखारने का काम यह संस्था बखूबी कर रही है। बाबा रामदास एजुकेशन संस्था इन बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही उनके जीवन में बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। मंद बुद्धि के बच्चो के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाने की संस्था की मुहिम अब रंग जमाने लगी है। जहां पहले मंद बुद्धि बच्चे परिवार व समाज पर बोझ समझे जाते थे वहीं अब इनकी दुनिया बदल रही है। पिछलेे साढ़े तीन बरसों में 400 से अधिक मंद बुद्धि बच्चांे का जीवन संवारा जा चुका है । संस्था उन परिवारों के लिए आशा और उम्मीद की किरण लेकर आई है जिनके घरों में मंदबुद्धि बच्चों के जन्म के बाद उनका पालन-पोषण एक गंभीर समस्या बनी हुई थी। प्राय देखने में आता है कि जिन परिवारों में ऐसे बच्चे जन्म लेते हैं उनमें से अधिकांश इसे ईश्वर का अभिशाप समझकर हमेशा अपने आपको कोसने के साथ-साथ ऐसे बच्चों को बहुत बड़ा बोझ मानते हैं। यह बात भी सच है कि ऐसे बच्चे न तो अपनी व्यथा किसी को बता सकते हैं और न ही कोई उन्हें अपनी बात आसानी से समझा सकता है लेकिन शिक्षा के जरिये इनके जीवन में बदलाव लाया जा सकता है जो इस संस्था ने बखूबी कर दिखाया है।
बहादुरगढ़ में मंदबुद्धि बच्चों के लिए आशा किरण स्कूल एक मात्र ऐसा केंद्र बन चुका है जो मंदबुद्धि बच्चो का जीवन शिक्षा के जरिये संवार रहा है। तीन साल पहले शहर के कुछ बुद्धिजीवियों ने समाज के इन उपेक्षित बच्चों के लिए इस केंद्र की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक इस स्कूल के बच्चे हर जगह शानदार सफलता हासिल रहे हैं। वर्तमान में यहां पर 85 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिन्हें न केवल संस्कार युक्त शिक्षा दी जा रही है बल्कि समय - समय पर आर्थिक मदद भी उपलब्ध की जाती है। संस्था के सदस्यों ने बताया कि अधिकांश अभिवावक खराब मानसिक हालत वाले बच्चों को अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं लेकिन बाबा रामदास सोसाइटी मानसिक मंद बच्चों की देखरेख के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग देती है। संस्था का मानना है कि मंद बुद्धि का होना एक अभिशाप नहीं बल्कि चुनौती है जिसे हर व्यक्ति हर परिवार और समाज को स्वीकारना होगा। संस्था के ज़रिए बच्चों के लिए चलाया जा रहा नए तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम बच्चों के लालन पालन को मजबूत बनाता है ।
यह संस्था लगातार मानसिक विकलांग बच्चों को उनकी रुचि अनुसार आत्मनिर्भरता प्रदान करके उन्हें सामान्य बच्चों की तरह जीवन जीने का रास्ता दिखा रही है। बाबा रामदास एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी के आशा किरण स्कूल में कार्यरत कुसुमलता मदर टरेसा को अपना आदर्श मानती हैं । वह कहती हैं कि वह खुद अपने बच्चो को उतना समय नहीं दे पाती जितना समय और प्यार वह यहां पढ़ने वाले बच्चो को देती हैं । इनके साथ काम करने से दिल को सुकून मिलता है । यदि कोई व्यक्ति समाज कल्याण का काम कर रहा है तो वह प्रशंसनीय है।
समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बाबा रामदास एजुकेशन सोसाइटी का यह प्रयास प्रषंसनीय है। संस्था इस मुहिम में समाज के अंतिम छोर पर खड़े आम आदमी का सहयोग चाहती है । संस्था मंद बुद्धि के बच्चो को सुनने, बोलने, पढने-लिखने, तर्क-वितर्क करने, आत्मनिर्भर बनने आदि गुणों को फलीभूत करवा रही है। संस्था की हमेषा यह कोषिष रहती है कि वह बच्चों को इस योग्य बना दिया जाए कि वह यहां अर्जित ज्ञान को अपने दैनिक जीवन में उतार सकें। यहां पर बच्चों को हाॅस्टल सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है।
संस्था का मुख्य उद्देश्य मंद बुद्धि बच्चों केे जीवन को संवारना है। संस्था का मिशन सांस्कृतिक धरोहर एवं आधुनिक शिक्षा का सामंजस्य कर मंद बुद्धि बच्चो को शिक्षा प्रदान करना है। शिक्षा से ही ऐसे बच्चो का सर्वागींण व्यक्तित्व विकास संभव है जिससे वह समाज का एक अहम हिस्सा बन सकते हैं । संस्था का मानना है कि मंद बुद्धि के छात्र अपनी क्षमता के अनुसार उद्देश्यपूर्ण दिशा में सीढी दर सीढ़ी अग्रसर हो ताकि वह समाज में अपनी मज़बूत पहचान बना सके। संस्था के सदस्यों का कहना है कि आमतौर पर मंदबुद्धि के बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चे अपने अभिवावकों और समाज की बेरुखी के कारण शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। इसे देखते हुए आशा किरण स्कूल ने गांव गांव जाकर ऐसे बच्चो को ढूंढा ताकि बच्चों को अनुकूल माहौल में शिक्षा प्रदान की जा सके।
मंदबुद्धि बच्चों को अपने साथ रखते हुए जहां उसके परिवार के लोग शुरुवात से कतराते रहे हैं वहीं आशा किरण स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं इन बच्चों को अपने घर परिवार का हिस्सा मानते हुए उनका जीवन संवारने में लगे हैं। यहां के सभी शिक्षक बच्चों को शिक्षा के साथ समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए दिन रात लगे हुए हैं। संस्था का मानना है कि मंदबुद्धि का होना एक अभिशाप नहीं बल्कि चुनौती है जिसे हर व्यक्ति हर परिवार और समाज को स्वीकारना होगा। संस्था का नए तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम बच्चों के लालन पालन को मजबूत बनाता है । इतना सब होने के बाद भी यह संस्था बिना किसी सरकारी मदद के चल रही है। लेकिन प्रबंधन हमेशा इन बच्चों के लिए मददगार साबित हो रहा है। वहीं इन बच्चों के लिए अच्छी खबर यह है कि समाज के संवेदनशील लोग अपने चंदे से समाजसेवा के इस पुण्य में भागीदार बन मदद कर रहे हैं। स्कूल की सदस्य कुसुमलता कहती है उनकी संस्था का मिशन सांस्कृतिक धरोहर एवं आधुनिक शिक्षा का सामंजस्य कर मंदबुद्धि के बच्चो को शिक्षा प्रदान करना है। वह कहती हैं ‘यह स्कूल उन मातापिता के लिए एक मिसाल है जो मंदबुद्धि के बच्चों को अभिशाप समझकर उनकी सुध लेने से कतराते हैं लेकिन आज यहाँ दी जा रही शिक्षा का असर यह हुआ है कि ऐसे सभी अभिवावको को अपनी सोच बदलने पर मजबूर होना पड़ा है।
हर्षवर्धन पाण्डे
(चरखा फीचर्स)


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