प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल में बर्नपुर स्थित भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के उपक्रम इंडियन आयरन एंड स्टील कारपोरेशन (इस्को) के आधुनिकीकृत एवं विस्तारित संयंत्र को आज यहाँ एक समारोह में राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केन्द्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केन्द्रीय राज्य इस्पात एवं खनन मंत्री विष्णु देव साय, केन्द्रीय राज्य शहरी विकास मंत्री बाबुल सुप्रियो, इस्पात सचिव राकेश सिंह एवं सेल के प्रमुख सी एस वर्मा के साथ सेल, केंद्र और राज्य सरकार से कई वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
समारोह से पहले प्रधानमंत्री ने 4160 कम ब्लास्ट फर्नेस कल्याणी का भी दौरा किया, जो देश में सबसे बड़ी ब्लास्ट फर्नेस है। उन्होंने इसके कामकाज के बारे में रूचि का प्रदर्शन किया। फर्नेस को पोस्को तकनीक से बनाया गया है, और इसमें कई अत्याधुनिक विशेषताएँ हैं जो कम कार्बन फुटप्रिंट लौह निर्माण में योगदान करती हैं। इस नई ब्लास्ट फर्नेस के अतिरिक्त आईएसपी में जो नई सुविधाएं हैं वे हैं, 7 मीटर लम्बी कोक ओवन बैटरी, कोक ड्राई कूलिंग संयंत्र के साथ, दो 210 वर्गमीटर का सिनास्टर संयंत्र, तीन 150 टी बेसिक ऑक्सिजन फर्नेस (बीओएफ) वेसेल, दो निरंतर बिलेट कैस्टर, एक बीम ब्लैंक कम ब्लूम कास्टर, एक वायर रोड मिल, बार मिल और एक यूनिवर्सल सेक्शन मिल सम्मिलित हैं।
इस्को के नए संयंत्र का निर्माण केवल 950 एकड़ में किया गया है जो इसे उद्योग के मानकों के द्वारा दुनिया के सबसे संघनित संयंत्रों में से एक बनाता है। आधुनिक और विस्तारित संयंत्र उच्च गुणवत्ता वाले रेबारो को उत्पन्न करता है, जिसमें भूकंप रोधी ग्रेड, वायर रॉड और यूनिवर्सल सेक्शन का निर्माण होगा जिनमें भारत के विकसित होते बुनियादी ढाँचा और निर्माण क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पैरेलल फ्लैंज्ड बीम सम्मिलित हैं।
लगभग 16000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ इस्को के आधुनिकीकरण और विस्तार कार्यक्रम से न केवल इसकी हॉट मैटल निर्माण क्षमता साढ़े आठ लाख टन से तीन गुना बढ़कर 29 लाख सालाना टन हो जाएगी बल्कि वह हरित व उच्च गुणवत्ता वाले स्टील के निर्माण के युग का आरम्भ भी होगा। यह संयंत्र जो कभी देश में इस्पात निर्माण में अग्रणी हुआ करता था, वह अब पूरी तरह स्टील निर्माण के सभी सभी पहलुओं को समेटे हुए एक अत्याधुनिक एकीकृत इस्पात संयंत्र में बदल चुका है, कच्चे माल से लेकर फिनिशिंग मिल के प्रबंधन तक।
वर्ष 2025 तक देश में 30 करोड़ टन की क्षमता विकसित की जानी है। सेल ने इसके अंतर्गत यह तय किया है कि वह अपनी उत्पादन क्षमता पाँच करोड़ टन तक करेगी। श्री तोमर के अनुसार दुर्गापुर स्टील प्लांट के विस्तार और आधुनिकीकरण का चरण शुरू होगा तो इस पश्चिम बंगाल की धरती पर 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

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