पूर्व सीएम विजय ने फिर गरमाई सूबे की सियासत, कैबिनेट से कुछ के बाहर होने के संकेत, एक पीडीएफ और एक कांग्रेस मंत्री हो सकते हैं पूर्व मंत्री
- प्रणवदा के दौरे के बाद कैबिनेट में बदलाव के आसार, मंत्री पद के दावेदारों ने फिर शुरू की अपनी पैरोकारी
देहरादून,11 मई। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का देहरादून का हर दौरा सूबे की सियासत के सरगर्म कर देता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। बहुगुणा ने सीएम से मुलाकात के बाद दावा किया कि दोनों के विचार एक जैसे हैं। कैबिनेट में फेरबदल जल्द होगा। उन्होंने एक-दो मंत्रियों के कैबिनेट से बाहर होने का संकेत देते हुए कहा कि जब सीएम बदल सकता है तो मंत्री क्यों नहीं। सूत्र बता रहे है कि प्रणवदा के दून दौरे के बाद संभावित फेरबदल में एक पीडीएफ और एक कांग्रेसी मंत्री के पूर्व होने के आसार दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि सीएम खुद भी इन दोनों की कार्यप्रणाली से बेहद नाराज हैं। पूर्व सीएम बहुगुणा ने पहले सीएम हरीश रावत से मुलाकात की और फिर अपने तरकश के सियासी तीर निकाल लिए। विजय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कैबिनेट में फेरबदल पर उनकी सीएम से बात हुई है। इस मामले में दोनों के विचार एक हैं यानि कैबिनेट में फेरबदल होना चाहिए। विजय ने पीडीएफ कोटे के मंत्रियों के हटाने के सवाल का जवाब भी सियासी अंदाज में दिया। उन्होंने कहा कि इसमें क्या दिक्कत है। जब सीएम को हटाया जा सकता है तो मंत्री को क्यों नहीं। आखिर कांग्रेस के भविष्य का सवाल है। बताया जा रहा है कि विजय का यह बयान यूं ही नहीं आ गया है। अंदरखाने सीएम हरीश भी इससे सहमत बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सीएम पीडीएफ को पूरी तरह तो बाहर नहीं करना चाहते हैं। अलबत्ता एक मंत्री की कार्यशैली उन्हें रास नहीं आ रही है। तमाम कोशिशों के बाद भी मंत्रीजी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं और अपने अंदाज में ही काम कर रहे हैं। इसी तरह एक कांग्रेसी मंत्री के कामकाज को भी हरीश सही नहीं मान रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इन मंत्रीजी को अपने कारनामे की वजह से जनता के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। ऐसे में माना यही जा रहा है कि कैबिनेट की रि-शफलिंग के दौरान इन दोनों को पूर्व कर दिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो हरीश के पास तीन विधायकों को कैबिनेट में एडजस्ट करने का मौका मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि सीएम इस मामले में अपना मन बना चुके हैं। विजय के इस बयान के बाद सूबे की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने विजय की हां में हां मिलाकर इसे और हवा दे दी है। बकौल किशोर कैबिनेट में जल्द ही फेरबदल होगा। मंत्री पद के दावेदारों ने अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं तो हटाए जाने की संभावना को भांप कर मंत्रियों ने भी अपने सियासी आकाओं से संपर्क शुरू कर दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सियासत के मंझे खिलाड़ी हरीश का इस मामले में अगला कदम क्या होता है। हां, इतना तय है कि इस सरगर्मी के बाद कुछ विधायक मंत्री पद हासिल करने की जुगत में लग गए हैं तो कुछ को अपनी कुर्सी की चिंता सता रही है।
हाईकमान के नाम पर होगी सियासत
पिछले कुछ फैसलों पर नजर डालें तो साफ दिख रहा है कि सीएम हरीश रावत ने जो चाहा वो हुआ। यह अलग बात है कि सीएम ने हर बार इसे हाईकमान का फैसला ही बताया। इस तथ्य को राजबब्बर को राज्यसभा और फिर ममता राकेश को भगवानपुर उप चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिलने से साफ समझा जा सकता है। दोनों ही टिकट हरीश की पसंद से दिए गए। लेकिन नाम हर बार हाईकमान का ही लिया गया। इस बार भी हरीश यही दांव खेलने की तैयारी में हैं। सूत्रों का कहना है कि हरीश ने 12 मई को हाईकमान से मिलकर कैबिनेट के संभावित फेरबदल पर बात करने का मन बनाया है। लेकिन सीएम तय कर चुके हैं कि किसे बाहर करना है कि और किसे कैबिनेट में लाना है। हाईकमान की मंजूरी की बात करके सीएम किसी भी कोने से उठने वाले विरोध के स्वरों को दबाने की अपनी सियासी रणनीति तय कर चुके हैं।
स्टोन क्रशरों पर छापे के दौरान बरामद कागजात में दफन हैं कई राज, डायरी खुले तो हटें कई चेहरों से “नकाब”
- बड़े नामों को पढ़कर अफसरों के हौंसले हो रहे पस्त, कच्ची डायरी में दर्ज हैं पैसा वसूलने वालों के नाम
देहरादून,11 मई (निस)। इन दिनों सत्ता के गलियारों में स्टोन क्रशरों पर छापे के दौरान बरामद किए गए दस्तावेजों में से कच्ची डायरी खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। तमाम ऐसे लोग जिनके नाम इन कच्ची डायरियों में दर्ज नहीं है, वो चटखारे लेकर इस पर चर्चा कर रहे हैं तो कुछ बड़े लोग ऐसे में ही जिन्हें लग रहा है कि अगर ये कच्ची डायरियां वास्तव में पढ़ीं गईं तो उनका क्या होगा। बताया जा रहा है कि अगर ईमानदारी से इनकी पड़ताल की गई तो कई सफेदपोश लोगों के चेहरों से शराफत का नकाब हट सकता है। बात की शुरुआत होती है कि पिछले दिनों हरिद्वार क्षेत्र के स्टोन क्रशरों पर मारे गए छापे से। छापा मारने वाली इस टीम में एंटी इल्लीगल माइनिंग सेल के साथ ही वन निगम, परिवहन विभाग और वाणिज्यकर विभाग के स्पेशल इंवेस्टिगेसन ब्यूरो के अफसर भी शामिल थे। उस दौरान इस टीम ने स्टोन क्रशरों पर बेतरतीब अंदाज में छापे मारे। वहां पड़े माल की जांच करने के साथ ही हिसाब-किताब वाले तमाम दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए। इन दस्तावेजों को जब्त करने के पीछे असली मंशा यह थी कि इनकी पड़ताल करके यह देखा जाए कि कहीं हेराफेरी तो नहीं की गई है या फिर किसी तरह के कर की चोरी तो नहीं की जा रही है। बताया जा रहा है कि तमाम दस्तावेज वाणिज्यकर विभाग को देकर इनकी गहन पड़ताल का फरमान भी सुना दिया गया। सूत्रों ने बताया का काजगात जब्त करने वाले वाणिज्यकर विभाग अफसरों ने विभागीय प्रक्रिया को पूरी करके तमाम दस्तावेज जांच करने वाली टीम के हवाले कर दिए। सूत्रों ने बताया कि अफसरों ने इन कागजातों की जांच शुरू कर दी है। जांच अभी आगे बढ़ ही रही था कि एक डायरी ने अफसरों ने हाथ-पांव फुला दिए। कारोबारी बोलचाल में इस डायरी को कच्ची डायरी कहा जाता है। यानि रोजाना होने वाले खर्चों को इसी कच्ची डायरी में दर्ज किया जाता है। आने वाली रकम और किसी तो दी जाने वाली रकम को भी इसी में लिखा जाता है। सामान्य रूप में यह काम व्यापारी का विश्वासपात्र मुंशी ही करता है। बाद में फर्म का एकाउंटेट सारे खर्चों को अपने हिसाब से पक्के अभिलेखों में दर्ज कर देता है। वाणिज्यकर विभाग के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि जांच के सामने आई एक कच्ची डायरी में तमाम बड़े लोगों के नाम के आगे मोटी रकम दर्ज है। यानि कच्ची डायरी में दर्ज मोटी रकम किसी खास दफ्तर या फिर किसी खास व्यक्ति को दी गई है। अब उस कच्ची डायरी में दर्ज नामों को देखकर जांच करने वाले अफसरों को पसीना आ रहा है। अगर खुलासा करते हैं तो भी नपेंगे और नहीं करते हैं तो आने वाले समय में किसी भी वक्त ये नाम उनके खिलाफ एक्शन की वजह बन सकते हैं। बताया जा रहा है कि कुछ खास लोगों को भनक भी लग गई है कि कच्ची डायरी में उनका नाम दर्ज है। धीरे-धीरे अन्य लोगों तक भी इसकी सुगबुगाहट पहुंच गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस कच्ची डायरी का क्या हश्र होता है। डायरी गायब होती या फिर पन्ने या फिर ईमानदारी के साथ क्रशर स्वामी से पूछताछ की जाती है कि आखिर किस काम के ऐवज से यह रकम अदा की गई है।
ईडी के लिए हो सकता है जांच का विषय
देहरादून में प्रवर्तन निदेशालय की निगाहें इस समय कुछ बिल्डरों और ज्वैलर्स पर तिरछी हैं और ईडी इनकी गंभीरता से जांच कर सकता है। कानून के जानकारों का मानना है कि स्टोन क्रशर ने बरामद कच्ची डायरी भी ईडी के लिए जांच का विषय हो सकती है, क्योंकि यह रकम वैध रूप से तो दी नहीं गई होगी। कहीं न कहीं इसे ब्लैक मनी कहा जा सकता है और ईडी को ऐसे मामलों की जांच का अधिकार है। अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड में भूचाल सा आ सकता है।
दून क्लब का मामला अब कोर्ट में कथित घोटाले के आरोपियों ने लगाई एजीएम रोकने की गुहार
- 13 मई को अदालत में होगी इस मामले की सुनवाई, आरोपियों पर दंड तय करने को एजीएम 16 मई को
देहरादून,11 मई (निस) । शहर की शान समझा जाने वाला दून क्लब इस दिनों खासी सुर्खियों में है। इस क्लब के दो पूर्व पदाधिकारियों पर कथित रूप से क्लब के पैसे में घोटाला करने का आरोप लगा है। इन दोनों पर दंड तय करने को 16 मई को क्लब की एजीएम बुलाई गई है। इधर दोनों आरोपियों ने इस एजीएम को रोकने के लिए अदालत की शरण ली है। अदालत में इस मामले की सुनवाई 13 मई को होगी। दून क्लब का सदस्य होना शान की बात समझी जाती है। तमाम बड़े लोग इस क्लब के सदस्य हैं तो तमाम पैसे वाले सदस्यता के लिए लाइन में हैं। बताया जा रहा है कि क्लब की कार्यकारिणी स्पेस का अभाव बताकर नए सदस्य बनाने के मूड में नहीं हैं। हां, कुछ खास प्रभावशाली लोगों को समय-समय पर सदस्यता दी भी जाती रही है। यह क्लब पिछले कुछ समय से खासी सुर्खियों में हैं। इसकी वजह क्लब के सदस्य ही है। सूत्रों ने बताया कि नई कार्यकारिणी ने क्लब के दो निवर्तमान पदाधिकारियों विशाल बोरा और राजीव शर्मा पर घोटाले की आरोप लगाया है। कार्यकारिणी ने जांच के बाद पाया कि इन दोनों ने क्लब के बाथरूम के रिनोवेशन में 10 लाख का घोटाला किया है। इस घोटाले की जांच रिपोर्ट सभी सदस्यों को भेजी गई है। इस मामले में अगले एक्शन के लिए 16 मई को क्लब की सालाना आम सभा (एजीएम) भी बुलाई गई है। इसी एजीएम में तय होगा कि क्लब के पैसे का घोटाला करने वालों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाए। सूत्रों ने बताया कि क्लब की मौजूदा कार्यकारिणी के इस एक्शन को दोनों पूर्व पदाधिकारी पचा नहीं पा रहे हैं। यही वजह है कि दोनों ने 16 मई को होने वाली एजीएम को रोकने के लिए अदालत की शरण ली है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 13 मई की तारीख तय की है। जाहिर है कि अब 16 मई को होने वाली एजीएम का भविष्य अदालत के फैसले से तय होगा। देखने वाली बात यह होगी कि अदालत दोनों आरोपी पूर्व पदाधिकारियों के तर्कों से सहमत होकर एजीएम पर रोक लगाती है या फिर याचिका खारिज करके एजीएम पर कोई फैसला सुनाती है। मामले के अदालत में जाने से साफ हो गया है कि दून क्लब में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है। कुछ सदस्य इसे गुटबाजी का नतीजा करार दे रहे हैं तो कुछ का कहना है कि क्लब में इन दिनों वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। यह देखना भी बेहद दिलचस्प होगा कि इस प्रतिष्ठित संस्था का यह विवाद आगे चलकर क्या रंग लेता है।
‘‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’’ के तहत तीन बसों को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
- अंर्तजनपदीय पर्यटन को बढ़ावा देना है इस यात्रा का उद्देष्य: मुख्यमंत्री
देहरादून,11 मई (निस)। ‘‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’’ योजना से लाभान्वित बुजुर्गों को वर्ष 2014 के बाद फिर से चारधाम व अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा कराई जाएगी। बीजापुर हाउस में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ‘‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’’ के तहत तीन बसों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य बुजुर्गों का सम्मान व राज्य के भीतर अंर्तजनपदीय पर्यटन को बढ़ावा देना है। बीजापुर हाउस में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यात्रा पर जा रहे बुजुर्गों को माला पहनाकर सम्मानित किया। एक बस में 30 बुजुर्ग गंगोत्री धाम के लिए जबकि दो बसों में 64 बुजुर्ग बदरीनाथ धाम के लिए रवाना किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत अरमान से यह योजना प्रारम्भ की गई है। इस वर्ष 20 से 25 हजार बुजुर्गों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। धीरे-धीरे इस योजना को और अधिक विकसित किया जाएगा। वर्ष 2017 से नए लोगों के साथ ही इस योजना के तहत यात्रा कर चुके बुजुर्गों को फिर से यात्रा कराई जाएगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उŸाराखण्ड के लोग दूसरे राज्यों के लोगों की तुलना में राज्य के भीतर बहुत कम घूमने के लिए जाते हैं। हम चाहते हैं कि राज्य के एक जिले के लोग दूसरे जिलों में घूमने जाएं। इससे एक-दूसरे के बारे में परिचित होने का अवसर मिलेगा, क्षेत्रीय व सांस्कृतिक समन्वय बढ़ेगा और राज्य की अर्थव्यस्था भी गतिशील होगी। अपने राज्य के भीतर भ्रमण करना लोगों की आदत बन जाए। यह योजना वर्षभर चलेगी और इसमें पीरान कलियर, नानकमŸाा, जागेश्वर, मदमहेश्वर, छोटा कैलाश आदि अन्य तीर्थस्थलों को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उŸाराखण्ड उतना ही सुरक्षित है जितना कि कोई अन्य प्रदेश। इस वर्ष बड़ी संख्या में देश विदेश के श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए हैं। उनके द्वारा राज्य सरकार के प्रयासों को सराहा गया है। यात्रा पर जा रहे बुजुर्गों का उत्साह देखते ही बनता था। उनका कहना था इस तरह की योजना के तहत अपनी ही उम्र के लोगों का साथ मिल रहा है। परिवार के लोगों के साथ जाने की बजाय इसमें अधिक आनंद आ रहा है। बच्चों के पास इतना समय भी नहीं होता है कि हमें तीर्थ करवाने ले जा सकें। मुख्यमंत्री हरीश रावत व राज्य सरकार ने हमें बहुत सम्मान दिया है। यात्रा पर जा रहे श्री गीता प्रसाद नैलवाल का कहना था ‘‘सरकार ने बुजुर्गों का सम्मान किया है। उम्मीद है कि इसे आगे भी जारी रखा जाएगा। मुख्यमंत्री हरीश रावत की इस पहल की प्रशंसा की जानी चाहिए।’’ 75 वर्षीय बुजुर्ग श्री एचआरएस शर्मा ने कहा ‘‘सरकार ने बहुत बढि़या व्यवस्था की है। बच्चों से भी उतना आदर नहीं मिलता है जितना सरकार कर रही है। किसी भी अन्य राज्य ने अपने बुजुर्गों के लिए इस प्रकार दिल नहीं खोला है।’’ इस अवसर पर पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, उपाध्यक्ष जीएमवीएन विशाल डोभाल, सचिव पर्यटन डा.उमाकांत पंवार, अपर सचिव आशीष जोशी सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।




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