स्पीकर बोले, गैरसैंण में ढांचा खड़ा होने के बाद सरकार की मजूबूरी होगी स्थायी राजधानी की घोषणा, दून में नहीं नए विधानभवन की कोई जरूरत
- जून-16 तक गैरसैंण में तैयार हो जाएंगी अवस्थापना सुविधाएं, उसके बाद नए विधानभवन में आहूत किया जाएगा विस सत्र
देहरादून, 20 मई । गैरसैंण में ही सूबे की स्थायी राजधानी के प्रबल पक्षधर रहे विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का मानना है कि समर कैपिटल की बात तो अस्थायी है। तमाम अवस्थापना सुविधाएं विकसित होने के बाद गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की घोषणा करना किसी भी सरकार की सरकार की मजूबरी होगी। कुंजवाल ने साफ लफ्जों में कहा कि देहरादून में नए विधानभवन का अब कोई औचित्य नहीं बचा है। न्यूज वेट से खास बातचीत में स्पीकर ने अपनी बात लफ्जों में कही। उन्होंने कहा कि भले ही सवाल इस समय गैरसैंण को समर कैपिटल बनाने का उठ रहा हो। लेकिन स्थायी राजधानी तो गैरसैंण में ही बनेगी। ऐसा किया जाना उत्तराखंड के आम जनमानस की भावनाओं के अनुकूल ही होगा। कुंजवाल ने कहा कि गैरसैंण में नए विधानभवन के साथ ही विधायकों और अफसरों के लिए आवासीय कालोनियां बन रही है। नया सचिवालय भवन भी बनाया जा रहा है। इन कामों के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था कर ली गई है। पैसों की कमी की वजह से कोई काम रुकने वाला नहीं है। हर काम को पूरा करने के लिए समयबद्ध योजना तैयार कर ली गई है और उसी के अनुसार सारे काम चल रहे हैं। इतना तय है कि अगले साल जून में विधानसभा का सत्र गैरसैंण में ही आहूत किया जाएगा। क्या सूबे की जनता जनता समर कैपिटल से मान जाएगी, इस सवाल पर स्पीकर से साफ कहा कि जनता की भावनाओं को सम्मान किया जाएगा। गैरसैंण में तमाम अवस्थापना सुविधाओं का विकास होने के बाद गैरसैंण को स्थायी राजधानी का दर्जा देने की घोषणा करना किसी भी सरकार की मर्जी होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी इस प्रयास की सराहना की है। केंद्र से राजधानी के लिए मिला पैसा गैरसैंण में भी खर्च हो रहा है। अब इस मामले में कोई हीलाहवाली करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। गैरसैंण के साथ ही देहरादून में भी विधानभवन बनने के सवाल पर स्पीकर ने कहा कि अब दून में नए विधानभवन की कोई भी जरूरत नहीं है। अगले साल जून तक गैरसैंण में सारा काम पूरा कर लिया जाएगा और विधानसभा के सभी सत्र वहीं आहूत किए जाएंगे। ऐसे में देहरादून में नए विधानभवन पर पैसा खर्च करने का कोई भी औचित्य नहीं है। राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैंण में ही बननी चाहिए। फिलहाल राष्ट्रपति जी के ऐतिहासिक संबोधन में गैरसैंण को समर कैपिटल की बात करने का स्वागत किया जाना चाहिए। : प्रदीप टम्टा, पूर्व सांसद
अंतिम दौर में राजीव के हाथ से फिसली कुर्सी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए तय हो चुका था नाम
- पार्टी की अंदरूनी खींचतान का शिकार बने दावेदार, मुख्यमंत्री की मीडिया टीम के अहम सदस्य हैं जैन
देहरादून, 20 मई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश की मीडिया टीम के अहम सदस्य राजीव जैन के हाथ से महानगर कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी अंतिम समय में फिसल गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस में चल रही धड़ेबाजी के चलते ही राजीव इस दौड़ में पीछे रह गए। किशोर उपाध्याय के कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के साथ ही महानगर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राजीव जैन का नाम तेजी से चल रहा था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद भी चाहते थे कि राजीव को ही अध्यक्ष बनाया जाए। इस पर किशोर उपाध्याय भी अपनी सहमति दे चुके थे। ऐसे में राजीव का महानगर अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा था। बताया जा रहा है कि राजीव के नाम पर कांग्रेस के कुछ गुटों को अंदरखाने आपत्ति थी। इसके चलते उनके नाम का औपचारिक ऐलान नहीं किया जा रहा था। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष महानगर अध्यक्ष के नाम की घोषणा के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रहे थे। इस बीच धड़ेबाजी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अध्यक्ष ने सभी गुटों की ओर चलाए जा रहे नामों को दरकिनार करके अपनी पसंद के व्यक्ति तो महानगर अध्यक्ष की कुर्सी थमा दी। कहने को तो कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन माना यही जा रहा है कि अब पृथ्वीराज की महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे।
राजीव पहले से थे आशंकित
महानगर अध्यक्ष पद के लिए नाम तय होने के बाद भी राजीव जैन खासे आशंकित थे। पिछले दिनों कुछ लोगों ने उन्हें महानगर अध्यक्ष पद के लिए मुबारकबाद दी तो उनका कहना था कि भाई यह कांग्रेस हैं। जब तक औपचारिक घोषणा न हो जाए। कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
आम आदमी पार्टी में घमासान, ऋषिकेश निवासी एक चर्चित डाक्टर को शामिल करने का विरोध
- जिला संयोजक ने हाईकमान को भेजा एक खत, ड्रग्स के मामले में जेल में रह चुका है डाक्टर
देहरादून, 20 मई (निस)। इन दिनों देहरादून जिले की आम आदमी पार्टी में घमासान मचा हुआ है। इसकी एक बड़ी वजह ऋषिकेश निवासी एक चर्चित डाक्टर आरके गुप्ता को पार्टी में शामिल करना है। विरोध करने वालों का कहना है कि यह डाक्टर ड्रग्स के मामले में तीन साल तक जेल में रह चुका है। ऐसे में उत्तराखंड में पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा है। जिला संयोजक संजय भट्ट ने इस बारे में पार्टी हाईकमान को एक खत भी भेजा है।
सूत्रों ने बताया कि विवाद की शुरुआत पार्टी के सह प्रभारी विवेक यादव ने मनोनयन के बाद सबसे पहले ऋषिकेश स्थित नीरज भवन में एक बैठक की। इसी बैठक के दौरान डाक्टर आरके गुप्ता को पार्टी में शामिल कर लिया गया। इसके बाद से ही पार्टी में घमासान मचा है। ऋषिकेश के नगर इकाई का बैठक में डा. गुप्ता को पार्टी में शामिल करने का विरोध किया गया। जिला संयोजक संजय भट्ट ने तो इस बारे में पार्टी हाईकमान को एक खत भी भेजा है। जिला संयोजक का कहना है कि ड्रग्स के मामले में तीन साल तक जेल में रहने वाले डाक्टर आरके गुप्ता को पार्टी में उनकी सहमति के बगैर ही शामिल किया गया है। इस तरह की छवि वालों को पार्टी में शामिल करने से आम आदमी पार्टी की स्वच्छ छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस प्रदेश को कांग्रेस और भाजपा ने पहले ही भ्रष्टाचार के दलदल में डुबो दिया है। अब प्रदेश की जनता आम आदमी पार्टी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। अगर आप में भी इस तरह की छवि वाले लोगों को शामिल किया जाएगा तो जनता का विश्वास इस पार्टी से भी उठ जाएगा। खत में डाक्टर गुप्ता को पार्टी से बाहर करने की अपील की गई है। इस बारे में जिला संयोजक संजय भट्ट ने कहा कि हाईकमान को पूरी बात से अवगत करा दिया गया है। अगर इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है तो भी डाक्टर गुप्ता के खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा।
आबकारी में करोड़ों का घोटाला, सात पैसे कीमत वाले सिक्योरिटी होलोग्राम की खरीद अब तीस पैसे में इस तरह किया खेल
- टेंडर की शर्तों में नामी कंपनियों को दिखाया गया बाहर का रास्ता, सिक्योरिटी होलोग्राम की बजाय होलोग्राफिक कंपनी को दिया काम
- शराब बनाने वाली कंपनी को दे दिया होलोग्राम सप्लाई का ठेका, किसी भी नामचीन कंपनी से विभाग ने नहीं की प्री-बिड मीटिंग
- एक बड़ी कंपनी की लिखित शिकायत पर भी कोई एक्शन नहीं
देहरादून, 20 मई (निस)। एफएल-टू की नई नीति को लेकर चर्चा में रहने वाले आबकारी विभाग का एक और घोटाला सामने आया है। आबकारी विभाग के अफसरों ने मिलीभगत करके सात पैसे में खरीदा जाने वाला सिक्योरिटी होलोग्राम इस बार 28 पैसे में खरीदने का करार किया है। अफसरों के इस कारनामे से आबकारी विभाग को पिछली साल की तुलना में करोड़ों रुपये ज्यादा खर्च करके होलोग्राम खरीदने होंगे। अहम बात यह है कि इस मामले की शिकायत के बाद भी किसी भी स्तर से कोई कदम नहीं उठाया गया। प्रदेश में बिकने वाली अंग्रेजी या देशी किसी भी तरह की शराब की हर बोतल, अद्धा या फिर पौव्वे पर एक सिक्योरिटी होलोग्राम लगाया जाता है। इसके पीछे मकसद एक तो राजस्व की किसी भी तरह की हानि की संभावना को दरकिनार करना है और फिर शराब की गुणवत्ता पर नियंत्रण भी है। पिछले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग इस होलोग्राम को सात पैसा प्रति की दर से खरीदता रहा है। इस बार विभाग ने इसी सात पैसे वाले होलोग्राम को तीस पैसे में खरीदने का करार किया है। सूत्रों का कहना है कि अफसरों के इस कारनामे से विभाग को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि होगी। सूत्रों ने बताया कि एक खास कंपनी को यह ठेका देने के लिए अफसरों ने योजनावद्ध ढंग से काम किया। होलोग्राम बनाने वाली एक कंपनी कंटास ने इस पूरे खेल का खुलासा करते हुए शुरू में ही इसकी शिकायत आला अफसरों के साथ ही मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और नेता प्रतिपक्ष तक से की। लेकिन किसी भी स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस कंपनी की शिकायत के मुताबिक प्रतिष्ठित कंपनियों को बाहर रखने के लिए टेंडर में वन-सी,डी,ई और एफ शर्तों को बेवजह जोड़ा गया। इससे मौजूदा समय में विभिन्न राज्यों को होलोग्राम सप्लाई करने वाली कंपनियां बाहर हो गईं। इसी तरह टेंडर के बिंदु टू (बी) में जोड़ दिया गया कि शराब बनाने वाली कंपनियां भी सप्लाई कर सकती हैं। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि होलोग्राम सप्लाई करने वाली कंपनी क्या राजस्व की चोरी नहीं कर सकेगी। शिकायत में कहा गया है कि जिस कंपनी को ठेका दिया जा रहा है वह कंपनी होलोग्राम मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन आफ इंडिया या फिर इंडस्ट्रीरियल होलोग्राम मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन की सदस्य नहीं है। केंद्र सरकार की संस्था एसपीएमसीआईसी भी अपने लिए सिक्योरिटी होलोग्राम इन्हीं दो संस्थाओं की सदस्य कंपनियों से ही खरीदती है। इतना ही नहीं, जिस कंपनी को ठेका दिया गया है,वह कंपनी होलोग्राफिक का काम करती है। यानि कंपनी सजावटी होलोग्राम बनाती है। लेकिन उत्तराखंड के आबकारी विभाग ने उसे सिक्योरिटी होलोग्राम बनाने का ठेका दे दिया है। एक अहम बात यह भी है कि इतने बड़े काम का ठेका देने के लिए विभागीय अफसरों ने प्री-बिड मीटिंग करने तक की जहमत नहीं उठाई। साफ दिख रहा है कि सात पैसे में मिलने वाले होलोग्राम को तीस पैसे में खरीदने से विभाग को करोड़ों रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है। इसके बाद भी सरकारी तंत्र इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर मौन साधे बैठा है।
राश्ट्रपति का 100 दिन विधान सभा चलाना अनिवार्य वाला बयान स्वागतयोग्य : ःसतपाल महाराज
देहरादून, 20 मई,(निस): पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता सतपाल महाराज ने बुधवार को बयान में महामहिम राश्ट्रपति जी द्वारा जन समस्याओं के निदान व प्रदेष के विकास के लिए विधानसभा 100 दिन चलाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि लोक सभा में उनके द्वारा पहले ही इस संबंध में एक प्राईवेट मेंबर बिल रखा गया था। पूर्व केन्द्रीय मंत्री महाराज ने आगे कहा कि महामहिम जी द्वारा यह कहना कि विकास में राज्य पिछड़ गया है यह अपने आप में यह बताता है कि प्रदेष सरकार विकास के प्रति संवेदनषील नहीं है। राज्य में पैट्रोल, डीजल की कमी की वजह से दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कमी हो गई है। पी.डी.एस. व्यवस्था चरमरा गई है। जिससे जनता त्रस्त है उन्होंने कहा कि आज प्रदेष में अवैध खनन, भू व षराब माफिया का राज हो गया है। भाजपा राश्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सतपाल महाराज ने कहा कि महामहिम राश्ट्रपति जी द्वारा यह कहना कि विधायिका की कार्यप्रणाली से जनता वाकिफ होना चाहिए यह दर्षाता है कि प्रदेष में पारदर्षिता की कमी है। आज भी राज्य के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोग विकास व पुर्ननिर्माण की बाट जोह रहे हैं परन्तु सरकार को विकास से नहीं, जनता से नहीं माफिया से सरोकार है।

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