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सोमवार, 29 जून 2015

मैगी कॉड के चलते कैट करेगी ब्रेंड एमबैस्डरों की भूमिका पर राष्ट्रीय सेमीनार

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मैगी के मामले मे खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता और उनके पैकेटों पर लगे लेबलों पर छपी क्वालिटी की विश्वसनियता को लेकर उपजें संदेहों को बीच चल रहे विवाद के दौरान एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है की इन वस्तुओं को विज्ञापन में उसको अंजाम तक पहुुॅचाने के लिए कॅन्फैडरेशन ऑफ आल इंडिया टेªडर्स ने आगामी 30 जून को नई दिल्ली में “क्या ब्रांड एम्बैसेडर उनके द्वारा प्रचारित किए गए विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार हैं अथवा नहीं ” विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सेमीनार में व्यापारियों के अलावा उपभोक्ता, एडवरटाइजिंग, मीडिया, जनसम्पर्क, टैक्सेशन, कानून, सोशल मीडिया आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया है। कैट ने एडवरटाइजिंग क्षेत्र की संस्था एडवरटाइजिंग स्टैण्डर्ड काउंसिल आफ इंडिया एवं फिल्म क्षेत्र के शिखर संगठन फ़िल्म फैडरेशन आफ इंडिया को भी सेमिनार का न्यौता दिया है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया सेमीनार की अध्यक्षता करेंगें।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा ब्रांड ऐम्बैसेडरों के विज्ञापन उपभोक्ताओं की पसंद को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं लिहाजा उनके लिए भी एक नीति और स्पष्ट दिशा निर्देशों को बनाने की बेहद जरूरत है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि वस्तु की बिक्री में वृद्धि के उद्देश्य से ही विज्ञापनों में ब्रांड एम्बैसेडर एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत अपनी सेवाएं देते है जिसके बदले वो एक निश्चित राशि लेते हैं। इस द्ष्टि से ये नितांत रूप से एक कमर्शियल गतिविधि है और अपने द्वारा किए गए विज्ञापन के लिए उत्तरदायित्व से पीछे नहीं हट सकते। अपने द्वारा विज्ञापन में किए गए दावों के प्रति उनके जिम्मेदारी बनती है।

श्री खण्डंेलवाल ने कहा कि ब्रेंड एम्बैसेडर अपने प्रभाव के कारण सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को कौन सी वस्तु खरीदनी चाहिए, के विचार को काफी हद तक प्रभावित करते है। ज्यादातर उपभोक्ता विज्ञापनों में ब्रेंड एम्बैसेडरों द्वारा किसी वस्तु के बारें में किए गए अच्छे दावों पर आसानी से भरोसा भी कर लेते है।  यह एक सर्वविद्त तथ्य है कि विशुद्ध रूप से किसी भी वस्तु की ब्रिकी में वृद्धि के लिए ही विज्ञापनों में ब्रंेड एम्बैसेडर का उपयोग किया जाता है और ब्रेंड एम्बैसेडर इस तथ्य से भली-भांति परिचित होते है कि उनका अथवा उनके प्रभाव का उपयोग व्यवसायिक लाभ के लिए ही किया जा रहा है और वो बेहद समझ-बुझ कर ही अधिकतर एक कान्टेैक्ट के तहत अपनी सेवाएं देते है।

इसमें निश्चित रूप से किसी प्रकार का कोई सामाजिक सेवा भाव नहीं है बल्कि सेवाओं का मूल्य लिया जाता है। इस दृष्टि से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर क्यों नहीं ब्रेंड एम्बैसेडर को भी उन वस्तुओं के लिए जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाए जिनका वो विज्ञापन करते है। निश्चित रूप से वो उन सभी टैैैेक्स कानूनों का भी पालन करते होेंगे जो व्यवसायिक सेवाएं देने पर उन पर लागू होते है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया ने कहा कि विज्ञापनों में ब्रेड अम्बेस्डर की भूमिका पर कोई निश्चित कानून अथवा नीति न होने के कारण यह मामला ज्यादा पैचिदा है। क्योंकि विज्ञापनों का सीधा असर उपभोक्ताओं पर होता है इसलिए ब्रेंड एम्बैसेडरों से यह अपेक्षा की जाती है कि वो अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ ही विज्ञापनों में काम करें और किसी भी प्रकार के भ्रामक अथवा गलत जानकारी देने वाले विज्ञापन से बचें। सेमीनार में इस बात पर भी विचार होगा कि सरकार ब्रेेंड एम्बैसेडरों के लिए भी कोई नीति बनाए।

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