- - सीसीएल आरा, सारूबेड़ा व आईडब्ल्यूएसपी में कार्यरत 125 पानी भारिकों की नौकरी नियमितीकरण को लेकर वर्श 1986 में यूनियन के तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव दिवंगत षिवनंदन झा द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत सहायक श्रमायुक्त (केंद्रीय) न्यायालय हजारीबाग के समक्ष वाद दायर किया गया था
कुजू (रामगढ़): यूनाईटेड कोल वर्कर्स यूनियन के 28 वर्शों के अनवरत संघर्श के बाद आखिरकार सीसीएल कुजू क्षेत्र के 125 पनभरवा मजदूरों को उच्चतम न्यायालय से न्याय मिल ही गया। सीसीएल आरा, सारूबेड़ा व आईडब्ल्यूएसपी में कार्यरत 125 पानी भारिकों की नौकरी नियमितीकरण को लेकर वर्श 1986 में यूनियन के तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव दिवंगत षिवनंदन झा द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत सहायक श्रमायुक्त (केंद्रीय) न्यायालय हजारीबाग के समक्ष वाद दायर किया गया था। बाद में यूनियन के क्षेत्रीय सचिव नरेष प्रसाद ने भारिकों का बीड़ा उठाते हुए संघर्श को आखिरी अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया। इधर सहायक श्रमायुक्त द्वारा असहमत रिपोर्ट बनाकर मामले को वर्श 1989 में श्रम मंत्रालय भारत सरकार को भेज दिया गया।
विवाद के औचित्य के मद्देनजर मंत्रालय ने उसी वर्श मामले को ट्रिव्यूनल न्यायालय धनबाद को अग्रसारित कर दिया। यहां लंबी सुनवाई के पष्चात सन् 1993 में मजदूरों के पक्ष में एवार्ड देने व नौकरी नियमित करने के साथ साथ 40 प्रतिषत फाॅल बैक वेजेज भुगतान का आदेष पारित किया। इसके खिलाफ प्रबंधन ने उच्च न्यायालय रांची के समक्ष अपील दायर की। अपील षर्त के साथ स्वीकार करते हुए न्यायालय में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की उप धारा 17 बी के तहत प्रभावी तिथि से गुजारा भत्ता भुगतान का आदेष दिया। आदेषानुसार प्रबंधन द्वारा भारिकों को अगस्त 1999 से मई 2006 तक गुजारा भत्ता भुगतान किया गया। इधर उच्च न्यायालय में प्रबंधन की अपील स्वीकृत होते ही जून 2006 से बगैर न्यायालय के आदेष के गुजारा भत्ता भुगतान बंद कर दिया गया। वर्श जुलाई 2014 में उच्च न्यायालय ने भारिकों के पक्ष में फैसला देते हुए प्रबंधन को प्रति भारिक 60 हजार रूपये का भुगतान एकमुष्त करने का आदेष दिया।

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