- - औद्योगिक इकाईयों का कचरा सीधे नदियों में बहाया जा रहा है। इससे नदियां अब अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही हैं
- - रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके का चरण पखारने वाली दामोदर व भैरवी अपने काले पड़ चुके स्वरूप को लेकर श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विशय बनी रहती है
रामगढ़: नदी व पर्यावरण संरक्षण के नाम पर आज तक खानापूर्ति होती रही है। सूबाई सरकार केवल विधानसभास्तरीय पर्यावरण समिति गठित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करती रही। आज भी जिले से गुजरने वाली दामोदर व भैरव नदी प्रदूशित हो अपनी स्थिति खुद बयां कर रही है। औद्योगिक इकाईयों का कचरा सीधे नदियों में बहाया जा रहा है। इससे नदियां अब अपने अस्तित्व के लिए जंग लड़ रही हैं। रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके का चरण पखारने वाली दामोदर व भैरवी अपने काले पड़ चुके स्वरूप को लेकर श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विशय बनी रहती है। पर्यावरण एवं प्रदूशण नियंत्रण समितियों की सजगता भी जिले में कुछ खास नहीं दिखती है। दामोदर नदी के संरक्षण को लेकर भी दामोदर महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस आयोजन समिति में वैसे लोग ही ज्यादा सक्रिय दिखते हैं जिनकी औद्योगिक इकाई का कचरा सीधे दामोदर नदी में बहता है।
इसे रोकने के प्रति प्रषासनिक अमला ज्यादा सक्रिय नहीं दिखता। गत माह 14 मई को विधानसभास्तरीय पर्यावरण एवं प्रदूशण नियंत्रण समिति रामगढ़ पहुंची थी। इसमें षामिल सभापति विधायक योगेष्वर महतो, गोड्डा विधायक रघुनंदन मंडल, खिजरी विधायक रामकुमार पाहन थे। बंद कमरे में अधिकारियों के साथ बैठक भी की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात साबित हुआ। बाद में पत्रकारों से सभापति ने कहा कि इस समिति का गठन प्रदूशण को रोकने के लिए हुआ है। प्रदूशण के कारण जलवायु प्रभावित हो रहा है। उन्होंने ओवरलोडिंग बंद करने सहित फैक्ट्रियों में प्रदूशण के नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देष दिया। औद्योगिक इकाईयों का प्रदूशित पानी सीधे नदियों में बहाया जा रहा है। इस संबंध में वर्तमान समिति के सभापति योगेष्वर महतो बाटुल ने कहा कि पिछली समितियों ने क्या किया इससे हमें मतलब नहीं लेकिन हमारी समिति पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें