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गुरुवार, 2 जुलाई 2015

दोगुनी होगी सांसदों की तनख्वाह, पेंशन में होगी 75% बढ़ोतरी

जहां एक ओर सांसद तक लोगों को एलपीजी पर मिल रही सब्सिडी छोड़ने के लिए कह रहे हैं, वहीं वे अपनी तनख्वाह   और भत्तों में बेतहाशा इजाफा कर लेना चाहते हैं। इसके लिए संसद की संयुक्त समिति ने अपनी सिफारिशें सरकार को भेज भी दी हैं और हो सकता है कि वे हूबहु मान भी ली जाएं।

समिति की रिपोर्ट में न केवल सांसदों की सैलरी में 100 फीसदी बढ़ोतरी बल्कि पेंशन में भी 75 फीसदी इजाफे के लिए कहा गया है। पार्लियामेंट सेशन के दौरान दिए जाने वाले 2 हजार के भत्ते को भी बढ़ाने की बात की जा रही है। ये सारे इजाफे तब भी मांगे जा रहे हैं जब संसद कैंटीन में बाजार से कई गुना सस्ता खाने की सुविधा है और इसके लिए भी सांसद सब्सिडी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

द टाइम्स ऑफ इंडियामें छपी खबर के मुताबिक, अगर संसदीय समिति की सिफारिशें मान ली गईं तो जल्द ही आपके द्वारा चुने गए सांसदों की सैलरी दोगुनी हो जाएगी और पूर्व सांसदों की पेंशन में 75 फीसदी इजाफा हो जाएगा। संसद की संयुक्त समिति ने इस बाबत अपनी सिफारिशें सरकार को भेज दी हैं। अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह भी कहा है कि सांसदों की सैलरी आदि को लेकर ऑटोमैटिक  पे-रिवीजन सिस्टम होना चाहिए जैसा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए पे-कमिशन के तौर पर होता है। वैसे यहां बता दें कि सांसदों की सैलरी फिलहाल 50 हजार रुपए महीना है। इस खबर के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि पैनल ने करीब 60 सिफारिशें दी हैं। सरकारी सूत्र के हवाले से वेबसाइट ने खबर में कहा है, 'समिति का कहना है कि पिछली बार सांसदों की सैलरी 2010 में बढ़ी थी और उन्हें सरकारी कर्मियों की तरह किसी तरह का कोई महंगाई भत्ता भी नहीं मिलता।'

यदि इन सिफारिशों को मान लिया गया तो सांसदों को उनकी सैलरी के अलावा पार्लियामेंट्री सेशन के दौरान सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाने वाला 2 हजार रुपए का अलाउंस भी बढ़ाया जा सकता है। इस  बारे में जब बीजेपी के एक सांसद से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'वेतन में इजाफा तो जरूरी है। विजिटर्स को सिर्फ चाय देने में हमारा रोज का खर्चा करीब 1,000 रुपए बैठता है। क्या हम अपने निर्वाचक मंडल के प्रति इतना छोटा शिष्टाचार निभाना भी बंद कर दें?''

अखबार ने अपनी इस खबर में लिखा है कि उसे पता चला है कि बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली इस संसदीय समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि पूर्व सांसदों को साल में 20 से 25 मुफ्त घरेलू हवाई यात्रा करने का अधिकार भी दिया जाना चाहिए। साथ ही उनके पेंशन की राशि हर महीने 20000 रुपए से बढ़ाकर 35000 रुपए कर दी जानी चाहिए। साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि हरेक सांसद को निजी सचिव जैसे अपने सहयोगियों के लिए एक अतिरिक्त एसी फर्स्ट क्लास रेलवे पास मिलना चाहिए। वर्तमान में, सिर्फ सांसद के साथ पति/पत्नी को ही एसी फर्स्ट क्लास में यात्रा करने की सुविधा दी गई है।

पैनल ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा है कि सांसदों को पॉकेट मनी के तौर पर फर्स्ट क्लास रेल टिकट के किराए के बराबर पैसे भी दिए जाने चाहिए। अभी उन्हें भत्ते के तौर पर एक सेकंड क्लास एसी टिकट की कीमत दी जाती है। वहीं, हवाई यात्रा के लिए भी भत्ते के तौर पर एक टिकट के बराबर राशि दी जाने की सिफारिश की गई है। सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि पैनल ने एयरपोर्ट्स पर सांसदों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान किए जाने के लिए कहा है। समिति यह भी चाहती है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत सांसदों को जो लाभ मिलते हैं, उनमें सांसदों के बच्चों और पोते-पोतियों को भी शामिल कर लिया जाए।

एक आरटीआई के तहत मिले जवाब के अनुसार, संसद परिसर में स्थित कैंटीनों को पिछले पांच साल के दौरान 60.7 करोड़ रुपये की कुल सब्सिडी दी गई और पूड़ी-सब्जी जैसी चीजें 88 प्रतिशत सब्सिडी पर बेची जा रही हैं।  भत्तों के साथ 1.4 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी वाले सांसदों के लिए स्वादिष्ट ‘फ्राइड फिश’ और चिप्स 25 रुपये में, मटन कटलेट 18 रुपये में, सब्जियां पांच रुपये में, मटन करी 20 रुपये में और मसाला डोसा छह रुपये में उपलब्ध हैं। इनकी कीमतों में क्रमश: 63 प्रतिशत, 65 प्रतिशत, 83 प्रतिशत, 67 प्रतिशत और 75 प्रतिशत की सब्सिडी है। सब्जियों जैसे कई खाद्य पदार्थों के लिए कच्चा सामान जहां 41.25 रुपये में मिलता है, लेकिन सांसदों के लिए यह चार रुपये में उपलब्ध है और इस पर करीब 90 प्रतिशत सब्सिडी है।

आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल को मिले जवाब के अनुसार, मांसाहारी व्यंजनों के लिए कच्चा सामान 99.05 रुपये में खरीदा जाता है, जबकि सांसदों को वह 66 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 33 रुपये में परोसा जाता है।
2009-10 में 10.4 करोड़ रुपये और 2010-11 में 11.7 करोड रुपये की सब्सिडी दी गई। इसके अलावा 2011-12 में 11.9 करोड़ रुपये, 2012-13 में 12.5 करोड़ रुपये और 2013-14 में 14 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। इस प्रकार कुल 60.7 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई।

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