भूकंप की भीषण त्रासदी से उबरने के बाद नेपाल एक नए मार्ग पर चलने को तैयार दिख रहा है। लगभग एक दशक से संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच जारी गतिरोध समाप्त होने के बीच नेपाल के उप प्रधानमंत्री बामदेव गौतम ने विश्वास जताया है कि देश में नया संविधान अगले दो महीने में अस्तित्व में आ जाएगा। उप प्रधानमंत्री ने कहा है कि 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप ने संविधान के निर्माण के लिए सभी दलों को एकजुट किया है। गौतम ने यहां अपने निवास स्थान पर बीते सप्ताह एक साक्षात्कार में कहा, "अब से दो महीने के भीतर हम संविधान की घोषणा करने में सक्षम होंगे। गौतम ने कहा कि नया संविधान धर्म निरपेक्ष होगा और मजहब को मानने में देश कोई बाधा नहीं पैदा करेगा।"
उन्होंने कहा कि अप्रैल में आए भीषण भूकंप में अपने मकान खोने वाले लोगों को मॉनसून में अस्थायी निवास स्थान दिए जा रहे हैं और पुनर्निर्माण का कार्य बारिश बंद होने के साथ ही फिर से युद्धस्तर पर शुरू हो जाएगा। गौतम ने कहा, "हम राहत के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं। इसके बाद हम पुननिर्माण व पुनर्वास का काम शुरू करेंगे। एक योजना बनाई गई है और इसे लागू किया जाएगा। यह (भूकंप) एक राष्ट्रीय आपदा है और इस आपदा से लड़ने के लिए हर किसी को साहस दिखाने की जरूरत है।" उल्लेखनीय है कि नेपाल में 25 अप्रैल को आए भीषण भूकंप में 8,500 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 23 हजार से अधिक लोग घायल हो गए। इस आपदा के कारण हिमालयी देश के मध्य व पश्चिम क्षेत्र के कई गांव पूरी तरह से तबाह हो गए, जिसके कारण लाखों लोग बेघर हो गए।
देश में जारी संविधान निर्माण प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर गौतम ने कहा कि 90 फीसदी राजनीतिक पार्टियां जल्द से जल्द नए संविधान के पक्ष में हैं, लेकिन हाल में संविधान सभा की बैठक के दौरान असहमत अल्पसंख्यकों द्वारा कुछ बाधा उत्पन्न की गई है। उन्होंने कहा कि नेपाल की चार राजनीतिक पार्टियों द्वारा जून में 16 सूत्री समझौते पर सहमति जताने के बाद आशा है कि एक महीने में संविधान का निर्माण हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि 16 सूत्री समझौते पर नेपाली कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी), एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) तथा तराई वाले मधेशी जनाधिकार मंच-लोकतांत्रिक (एमजेएफ-एल) ने नए संविधान के निर्माण के लिए मुख्य मुद्दों को जल्द निपटाने के उद्देश्य से हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता कई सालों की वार्ता के बाद अस्तित्व में आया है।
उल्लेखनीय है कि नेपाल के माओवादी एक दशक से अधिक समय के बाद साल 2006 में बंदूक त्यागने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने को राजी हुए। यह पूछे जाने पर कि संकट की इस घड़ी में क्या यह समझौता राजनीतिक एकता दर्शाने के लिए है, गौतम ने कहा कि भूकंप से लोगों में एकता की भावना जगी है, जो पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, "इसने राजनीतिक दलों को एकजुट किया है। ऐसा पहले ही हो जाना चाहिए था। और इसका इस्तेमाल कर हमने संविधान के निर्माण के लिए सभी पार्टियों के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। चार बड़ी पार्टियां इसमें शामिल हो चुकी हैं। हमें आशा है कि हम सफल होंगे।" चार बड़ी पार्टियों द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के मुताबिक, निचले सदन में 275 सीटें होंगी, जिनमें से 60 फीसदी (165 सीट) सीधे निर्वाचित होकर आएंगे और 40 फीसदी (110 सीटें) आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से आएंगे। नए संविधान के अस्तित्व में आने के बाद संविधान सभा केंद्रीय विधायिका संसद में बदल जाएगा।

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