मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की अहम कड़ी मानी जा रही झाबुआ की नम्रता डामोर की मौत के मामले को पुलिस एक बार फिर खोल सकती है। नम्रता का उज्जैन जिले के तराना क्षेत्र में जनवरी 2012 में रेल पटरी के किनारे शव मिला था और पुलिस ने मौत को हादसा मान प्रकरण बंद कर दिया था। उज्जैन के पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह वर्मा ने बुधवार को मीडिया से कहा, "नम्रता की मौत की जांच हुई थी। जांच में पता चला था कि मौत दुर्घटनावश हुई थी। अगर कोई नया तथ्य सामने आता है तो पुलिस जांच के लिए तैयार है।" व्यापमं घोटाले के सामने आने के बाद से नम्रता की मौत चर्चा में रही है। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा नम्रता का शव सात जनवरी, 2012 को उज्जैन जिले के कायथा के समीप शिवपुरा-भेरुपुर रेलवे लाइन पर मिला था।
वह इंदौर-बिलासपुर रेलगाड़ी से जबलपुर जा रही थी। शव मिलने के 22 दिन बाद नम्रता के भाई दीपेंद्र ने उसकी शिनाख्त की थी। सूत्रों का कहना है कि नम्रता की पोस्टमार्टम रपट में उज्जैन के चिकित्सकों ने मुंह दबाकर हत्या होने का कारण बताया था, जिसके आधार पर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया था। मगर बाद में भोपाल से आए जांच दल की रपट पर नम्रता की मौत को हादसा बताकर दिसंबर 2012 में प्रकरण बंद कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि व्यापमं घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित एसआईटी की देखरेख में हो रही है। एसआईटी के अनुसार इस मामले से संबंधित अबतक 33 मौतें हुई हैं, जिसमें नम्रता की मौत शामिल नहीं है। नम्रता की मौत एसआईटी के गठन से पहले हुई थी।

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