उत्तराखंड की विस्तृत खबर (07 जुलाई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 7 जुलाई 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (07 जुलाई)

बिजली की नहीं कोई कमी, कुप्रबंधन से बढ़ रहा खर्च और लोग झेल रहे कटौती
  • केंद्रीय बिजली प्राधिकरण की रिपोर्ट से हुआ खुलासा, उत्तराखंड में महज 30 मेगावाट बिजली की है कमी
  • एक्सचेंज में बेहद सस्ती दर पर बिजली है उपलब्ध, मंहगी दर पर लंबी अवधि के करार बने रहे हैं बाधा
  • सूबे की जनता और उद्योग कटौती झेलने को मजबूर

देहरादून,7 जुलाई (निस)। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण की माने तो देश में बिजली की कोई कमी नहीं है। हां, खरीददारों की कमी जरूर है। राज्यों की सरकारों ने मंहगी दरों पर लंबी अवधि के लिए कंपनियों से करार कर रहे हैं। उत्तराखंड की बात करें तो अप्रैल में राज्य में बिजली की मांग 1006 मेगावाट थी और उपलब्धता 976 मेगावाट। यानि महज तीस मेगावाट की कमी। इसके बाद भी सरकार ने मंहगी दरों पर सौ करोड़ से ज्यादा की बिजली खरीदी। यह खरीद भी सूबे की जनता और यहां के उद्योगों को बिजली कटौती की मार से बचा नहीं सकी। अप्रैल में केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि देश में बिजली की कोई कमी नहीं। लेकिन इसे खरीदने के लिए राज्यों की सरकारें आ नहीं आ पा रही है। गोयल ने यह भी कहा कि राज्यों में बिजली की चोरी रुक नहीं है और लाइन लास भी कम नहीं हो पा रहा है। राज्यों ने बिजली कंपनियों से मंहगी दर पर लंबी अवधि के लिए बिजली खरीद करार रखे हैं। नतीजा यह है कि बाजार में उपलब्ध सस्ती दर वाली बिजली कोई खरीद ही नहीं रहा है। उस वक्त केंद्रीय मंत्री के इस बयान को गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके बाद केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने आंकड़े जारी किए तो पता चला कि वास्तव में ही बिजली के खरीददार नहीं है। प्राधिकरण की माने तो इस समय पावर एक्सचेंज में बिजली 2.15 रुपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध है। पहले यह कीमत आठ से दस रुपये प्रति यूनिट थी। खरीददार न होने से कोयले से बिजली पैदा करने वाले प्लांट क्षमता का महज 60 फीसदी ही उत्पादन कर पा रहे हैं। इसी तरह से गैस आधारित प्लांटों ने भी बिजली का उत्पादन कम कर दिया है। अब बात उत्तराखंड की। प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार इसी गुजरे अप्रैल में उत्तराखंड में बिजली की मांग 1006 मेगावाट थी और राज्य के पास 976 मेगावाट बिजली उपलब्ध थी। यानि महज तीस मेगावाट बिजली की ही और जरूरत थी। अब कुप्रबंधन की बानगी देखिए कि ऊर्जा निगम ने एक सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की बिजली प्रतिमाह खरीदी। तर्क दिया गया कि गर्मी में जनता को कटौती न झेलनी पड़े और उद्योगों को लगातार बिजली मिलती रहे, इसी वजह से ऐसा किया गया है। सरकार ने भी यही बातें करके जनता को लुभाने की कोशिश की। सूत्रों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के पीछे ऊर्जा निगम की अपनी खामियां ही हैं। बिजली चोरी रोकने में निगम को अब तक सफलता नहीं मिल सकी है। इस चोरी को लाइन लास के रूप में दिखाया जा रहा है। इससे भी बड़ी वजह यह है कि सरकार ने कई बिजली कंपनियों से खरीद का करार कर रखा है। ये करार लंबी अवधि के लिए किए गए हैं। इन करार के मुताबिक ऊर्जा निगम प्रति यूनिट साढ़े तीन से साढ़े पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करता है। इसी बिजली की चोरी भी होती है तो गरीबों को कम पैसे में बिजली दी जाती है। नतीजा यह है कि सरकार को सालाना अरबों रुपये बिजली खरीद पर ही खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर ये करार न किए गए होते तो एक्सचेंज पावर के तहत उपलब्ध 2.15 रुपये प्रति यूनिट की दर से सरकार अपनी जरूरत के लिहाज से बिजली की खरीद कर सकती थी।

आम लोग और उद्योगों पर भारी मार
राज्य बिजली नियामक आयोग ने इस बार फिर से बिजली की दरों में बढ़ोतरी की है। साथ ही उद्यमियों के साथ बैठक में यहां तक कह दिया है कि अगर लगातार बिजली चाहिए तो ज्यादा कीमत देने को तैयार रहे। सवाल यह उठ रहा है कि बाजार में सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध है तो बिजली चोरी की कीमत आम उपभोक्ता से क्यों वसूली जा रही है। ऊर्जा निगम अपने कुप्रबंधन की वजह से घाटे में जा रहा है तो इसकी भरपाई आम जनता की जेब से क्यों कराई जा रही है। एक तरफ बिजली की कीमत बढ़ाई जा रही है तो दूसरी तरफ अघोषित कटौती का सिलसिला भी थमता नहीं दिख रहा है। सवाल यह भी है कि निगम ने मंहगी दरों पर लंबी अवधि का बिजली खरीद करार करने से पहले भविष्य के हालात पर गौर क्यों नहीं किया।

जिले में जीता केवल एक मुस्लिम विधायक, इसी कारण समुदाय को कैबिनेट में नही मिली जगह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कथन 

रुड़की, 7 जुलाई (निस)। 2012 के विधानसभा चुनावी घोषणापत्र में वादा करने के बावजूद कांग्रेस ने पिछले साढे़ तीन सालों में किसी मुस्लिम को कैबिनेट में हिस्सेदारी क्यों नहीं दी इसका राज प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने खोला। तत्सम्बंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘‘पहले चार-छह विधयक जीता कर लाएं, फिर कैबिनेट में हिस्से की मांग करें।’’ जो तथ्य सामने आए वे ये हैं कि सूबाई सरकार यदि मुस्लिम हितों को लेकर कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं तो उसका कारण यह है कि मुसलमानों ने कांग्रेस की उपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया। जनपद में मुस्लिम मतों का प्रतिशत करीब 30 प्रतिशत है बसपा की जातीय राजनीति के कारण 2002 व 2007 के विधानसभा चुनाव में यहां बसपा के नौ में से तीन विधायक जीते थे जबकि कांग्रेस का एक भी मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर नहीं आया था। 2009 के लोकसभा चुनाव तक स्थिति बदल गई थी और तब मुस्लिम समुदाय ने जातीय राजनीति को नकारते हुए बसपा के बेहद शक्तिशाली प्रत्याशी हाजी शहजाद को नकार दिया था और कांग्रेस के हरीश रावत को जीत का आधार बिन्दु दिया था। इससे उत्साहित होकर कांग्रेस ने 2012 विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को आश्वासन दिया था कि यदि उनका एक भी प्रतिनिधि कांग्रेस के टिकट पर जीत कर आएगा तो उसे कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। यह वादा कांग्रेस ने अभी तक पूरा नहीं किया है जाहिर है कि तत्सम्बंधी सवाल भी यह पुख्ता रहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय तथा अल्पसंख्यक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मंजूर अहमद बेग तक की क्लास ले चुके हैं। इसके बावजूद सवाल अपने स्थान पर कायम है। यही सवाल विगत दिवस किशोर उपाध्याय से भी किया गया तो उन्होंने उसका उपरोक्त जवाब दिया। जानलें कि 2012 में कांग्रेस के जिले में तीन विधयक जीते थे। मंगलौर, झबरेडा, हरिद्वार देहात। ज्वालापुर और भगवानपुर सीट पर उसके प्रत्याशी सीधे मुकाबले में पराजित हुए थे। हर सीट पर मुस्लिम समुदाय का समर्थन कांग्रेस को मिला था। पर जाहिर है कि 30 प्रतिशत मतदाता 70 प्रतिशत का मुकाबला नहीं कर सका था। यही स्थिति 2014 के लोकसभा चुनाव में लागू हुई थी। इस चुनाव में जितनी प्रबल आंधी नरेन्द्र मोदी के पक्ष में हिन्दूओं के बीच दिखाई दी थी उतनी ही रेणुका रावत के पक्ष में मुस्लिम समुदाय के पक्ष में दिखाई दी थी। चुनाव सीधे सीधे साम्प्रदायिक आधार पर हुआ था और उसका नतीजा भी वही हुआ था जो अपेक्षित था। अर्थात सवा चार लाख वोट लेकर भी रेणुका रावत हार गई थी। इसके बावजूद किशोर उपाध्याय को मुसलमानों से शिकायत है कि उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं जिताए। जाहिर है कि 30 प्रतिशत आबादी 70 प्रतिशत का मुकाबला तो कर नहीं सकती। फिर भी किशोर उपाध्याय मुसलमानों से नाराज हैं तो कोई क्या कर सकता है। अब भले ही कोई यह कहता रहे कि कांग्रेस इसी चीज का बदला मुसलमानों से चुका रही है।

दलाई लामा का जन्मदिन मनाया 

uttrakhand news
मसूरी7 जुलाई (निस)। स्थानीय तिब्बती समुदाय, क्षेत्रीय तिब्बतन महिला समिति एंव क्षेत्रीय तिब्बतन युवा समिति के तत्वाधान में पूज्य दलाई लामा का 80 वां जन्म दिन धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर लाइब्रेरी स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी ने तिब्बती समुदाय को धर्मगुरू दलाई लामा के 80 वें जन्म दिन पर बधाई दी। भारत में तिब्बती समुदाय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। तिब्बती समुदाय ने निर्वासन के पचास साल बाद भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखा जो महत्वपूर्ण है। पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि तिब्बती समुदाय का मसूरी से विशेष संबंध है। निर्वासन के बाद का पहला घर है। सर्व प्रथम दलाई लामा मसूरी आये थे। यहां निर्वासित जीवन जिया। उन्होंने समुदाय को दलाई लामा के जन्म दिन पर बधाई दी व दीर्घायु की कामना की। पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने भी तिब्बती समुदाय को दलाई लामा के जन्म दिन पर बधाई दी व सभी की सुख समृद्धि की कामना की।  तिब्बती समुदाय के लोगों ने अपनी पारंपरिक संस्कृति व वेष भूषा के साथ लोक नृत्य कर दर्शकों का मन मोहा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए तिब्बतन युवा समिति के अध्यक्ष टीसिंरिंग छोडन ने सभी का आभार व्यक्त किया। तिब्बतन स्थानीय समुदाय के अध्यक्ष न्गवांग टिस्टेन, क्षेत्रीय महिला समिति की अध्यक्ष टासी डोलमा सहित व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, परमजीत कोहली, पूर्व सभासद नंद लाल, भाजपा मंडल अध्यक्ष रूप सिंह कठैत, मदन मोहन शर्मा सहित बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय के लोग मौजूद थे।

एनडीआरएफ के सदस्य मिले सीएम से 

देहरादून7 जुलाई (निस)। मंगलवार को बीजापुर हाउस में मुख्यमंत्री हरीश रावत से नेशनल डिजास्टर मेनेजमेंट ओथाॅरिटी के सदस्य ले.ज.(से.नि.) एनसी मारवाह ने भेंट की। मुख्यमंत्री ने लगभग 350 संवेदनशील गांवों के अविलम्ब पुनर्वास, पहाड़ों में जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन व नदियों में लगातार इकट्ठा होते जा रहे मलबे के निस्तारण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए जनसहभागिता आवश्यक है। इसके लिए स्थानीय लोगों विशेषरूप से महिलाओं को प्रशिक्षित कर उनकी क्षमता विकास को प्राथमिकता देनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूस्खलन जोन के उपचार में जोशीमठ-बदरीनाथ मार्ग पर विशेष ध्यान देना होगा। उŸाराखण्ड भूकम्प की दृष्टि से भी अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है। इसलिए राज्य सरकार हर प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूल को प्री-फैब स्ट्रक्चर में लाने की कार्ययोजना तैयार कर रही है। इसके साथ ही प्रत्येक गांव में कम से कम एक सामुदायिक भवन ऐसा जरूर हो जो कि पूर्णतया भूकम्परोधी हो। उŸाराखण्ड में एनसीसी, एनएसएस, स्काउट, युवक मंगल दल, महिला मंगल दलों को भी आपदा प्रबंधन से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने बताया कि प्रदेश में लगभग 350 गांवों को चिन्हित किया गया है जो कि आपदा की दृष्टि से अति संवदेनशील हैं। इनका सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास बहुत जरूरी है। परंतु राज्य सरकार के लिए सीमित संसाधनों से इसे कर पाना कठिन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय से उŸाराखण्ड में नदियों की प्रकृति में बदलाव आ रहा है। लगातार मलबा जमा होते रहने से नदियों का तल उथला होता जा रहा है। नदियांे की दिशा बदलने से निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है। इससे जहां जानमाल का नुकसान होता है वहीं नदियों के किनारे के वनों को भी नुकसान होता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जिस प्रकार की स्थिति बिहार में कोसी नदी में बाढ़ से हर साल उत्पन्न होती है, वैसी ही स्थिति अब उŸाराखण्ड में भी होने लगी है। इस समस्या का एकमात्र हल यही है कि नदियों के तल से मलबा निस्तारण की उपयुक्त व्यवस्था हो। इसके लिए तमाम तरह की स्वीकृतियों की आवश्यकता होती है। इसमें केंद्र सरकार मदद कर सकती है। उŸाराखण्ड ऐसा राज्य है जो कि हर साल लगभग आधा प्रतिशत भूमि जलकटाव के कारण खो रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में खेती को प्रोत्साहित करना भी जरूरी है। खेतों में जुताई से बारिश का पानी जमीन के अंदर जाएगा जिससे एक ओर जहां प्राकृतिक जलस्त्रोत संरक्षित होंगे वहीं मैदानी क्षेत्रों में नदियों के बाढ़ का खतरा कम होगा। एनडीएमए के सदस्य ले.ज.(से.नि.) एनसी मारवाह ने कहा कि देश में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को लेकर उŸाराखण्ड को श्रेष्ठ उदाहरण के तौर पर लिया जाता है। यहां आपदा प्रबंधन के लिए जिस प्रकार की पहल की गई है, वह दूसरे राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है। श्री मारवाह ने कहा कि उŸाराखण्ड में एसडीआरएफ का गठन कर उसका कुशलतापूर्वक उपयोग किया गया है। वर्ष 2013 की दैवीय आपदा के बाद चारधाम यात्रा को सीमित समय में पुनः न केवल प्रारम्भ किया गया है बल्कि इसका कुशलतापूर्वक प्रबंधन भी किया गया है। श्री मारवाह ने राज्य में संचालित आपातकालीन परिचालन केंद्रों की भी प्रशंसा करते हुए राज्य सरकार को एनडीएमए के पूरे सहयोग के प्रति आशान्वित किया। आपदा की दृष्टि से उŸाराखण्ड की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य को सिविल हेलीकाप्टर उपलब्ध करवाने के मामले को गम्भीरता से लिया जाएगा।

कई मोटर मार्ग भूस्खलन से हुए बंद 

देहरादून7 जुलाई (निस)। आपातकालीन परिचालन केन्द्र से प्राप्त सूचना के अनुसार जनपद में औसतन 42 मिमी वर्षा रिकार्ड की गयी है। बताया कि अलकनन्दा नदी का जल स्तर 95360 मी० नन्दाकिनी का 86722 मी० तथा पिण्ड़र नदी का 76858 मी० है। मुख्य मार्गों की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि कर्णप्र्रयागग्वालदम कर्णप्रयागगैरसैंण कर्णप्रयागबद्रीनाथ मुख्य मोटरमार्ग यातायात हेतु खुले हैं। अन्य मोटर मार्गों की अद्यतन स्थिति के बारे में बताया कि प्रान्तीय खण्ड़ गोपेश्वर तथा कर्णप्रयाग के अन्तर्गत सभी मोटर मार्ग खुले हैं। निर्माण खण्ड़ गैरसैंण के अन्तर्गत बन्द 9 मोटरमार्गों में से एक मोटरमार्ग बन्द है शेष 8 मोटरमार्ग यातायात हेतु खुले हुए है। एक बन्द मोटरमार्ग को 7 जुलाई तक खोल दिया जायेगा। निर्माण खण्ड़ थराली के अन्तर्गत 12 बन्द मोटरमार्ग में से 10 मोटरमार्ग यातायात हेतु खोल दिये गये हैं। बताया गया कि 2 बन्द मोटरमार्ग 8 जुलाई तक खोल दिये जायेंगे। अस्थाई खण्ड़ गौचर के अन्तर्गत 21 बन्द मोटरमार्गों मे से 18 मोटरमार्ग खोल दिये गये हैं शेष 3 बन्द मोटरमार्गों को 8 जुलाई तक यातायात हेतु खोल दिया जायेगा। वल्डऱ् बैंक खण्ड़ लोनिवि गोपेश्वर के 8 बन्द मोटरमार्गों में से 5 खुल गये हैं। 3 बन्द मोटरमार्गों को 8 जुलाई तक खोल दिया जायेगा। पीएमजीएसवाई पोखरी की 15 बन्द मोटरमार्गों में से 8 मोटरमार्ग खोल दिये गये हैं शेष 7 बन्द मोटरमार्गों को 9 जुलाई तक खोल दिया जायेगा। पीएमजीएसवाई कर्णप्रयाग एक के अन्तर्गत बन्द 12 मोटरमार्गों में से 10 मोटरमार्ग यातायात हेतु खोल दिये गये है 2 मोटरमार्ग 9 जुलाई तक खुल जायेंगे। पीएमजीएसवाई कर्णप्रयाग दो के अन्तर्गत बन्द 11 मोटरमार्गों में से 7 मोटरमार्ग खुले हुए हैं शेष 4 मोटरमार्ग 9 जुलाई तक यातायात हेतु खोल दिये जायेंगे।

मंगलवार को भी जमकर बरसे मेघा

देहरादून, 7 जुलाई (निस)। रात को मौसम साफ रहने के बाद मंगलवार को करीब दोपहर 12 बजे से देहरादून में मौसम बदला और बारिश शुरू हो गई। इसके अलावा गढ़वाल मंडल के कई जनपदों में मंगलवार को भी बारिश होने की खबर है।  कुमाऊं मे अलमोड़ा जिले के कई स्थानों पर अभी भी मलबा होने से विनायक-सिनार, बासोट-भिकियासैण मार्ग अवरुद्ध है। इससे दिल्ली व अन्य महानगरों से आए वाहन गंतवय तक नहीं पहुँच सके। ऐसे में लोग वाहन बदल कर गंतवय तक पहुंच रहे हैं। फिलहाल रात को बारिश के रुकने से लोग थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। रामनगर-ड़ोटियाल मार्ग पर झिमार के पास आधा दर्जन वाहन झिमार के पास जाम में फंसे हैं। हाईवे खुलाचंपावत में रात से लगातार बारिश हो रही है। टनकपुर चंपावत हाईवे पर अमरूबैंड के पास मलवा व पेड आने से यातायात बाधित हो गया। दिल्ली देहरादून से चंपावत पिथौरागढ को आने वाली बसें भी मौके पर फंसी रही। सुबह करीब साढ़े आठ बजे इस हाईवे को खोल दिया गया। अलमोड़ा में जिले भर में हल्की बूदाबादी शुरू हुई। पिथोरागढ़ में सुबह से ही जिले भर में रिमझिम वर्षा हो रही थी। मुनस्यारी टनकपुर तवघात मार्ग बंद। जान जोखिम में डालकर आवाजाही टनकपुर के पूर्णागिरि को जाने वाली रोड पर किरोडा नाले के उफान में आने के चलते आवाजाही बाधित हो गई। लोग जान जोखिम में डाल कर नाला पार करने को विवश हैं। इससे थ्वालखेडा व अन्य गांवों के लोगों करना पड रहा दिक्कतों का सामना। खटीमा में दो दिन के भीतर 104 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। जलभराव की समस्या बरकरार बागेश्वर में सुबह से बारिश शुरू हो गई। जिले की सभी सड़कें खुली हैं। सितारगंज में भी लगातार बारिश से जलभराव की समस्या बनी है। नैनीताल में भी सुबह से तेज बारिश हो रही है। शहर को जोड़ने वाली मुख्य सड़कें फिलहाल खुली हैं।

बोल्डर गिरने से ग्रामीणों में भय 

मसूरी, 7 जुलाई (निस)। कार्ट मेंकंजी रोड पर रोड कटिंग के कारण पहाड़ी ने खिसक रहे बडे़ बडे़ बोल्डरों के आने से गांव को खतरा हो गया है तथा ग्रामीणों की रात की नींद उड़ चुकी है। विधायक गणेश जोशी ने कार्ट मेंकंजी रोड पर बांसा घाट गांव जाकर निरीक्षण किया व मौके पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को बुलायाकर आवश्यक निर्देश दिए। विधायक गणेश जोशी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन बोल्डरों को आने से रोकने के लिए विभाग तत्काल ट्रीटमेंट करे। मालूम हो कि कार्ट मेकंजी रोड चैड़ीकरण का कार्य 14 करोड़ 23 लाख की लागत से कराया जा रहा है। सहायक अभियंता एलएस नेगी, अपर सहायक अभियंता पुष्पेद्र कुमार ने कहा कि जब से बारिश शुरू हुई है विभाग ने रोड कटिंग का काम को रोक दिया गया है।ं जहां बोल्डर  आने की शिकायत आ रही है उस पर शीघ्र ट्रीटमेंट का कार्य किया जायेगा व सुरक्षा दीवार लगाई जायेगी। पत्रकारों ने सहायक अभियंता नेगी से पूछा कि कार्य की धीमी गति विभाग की मिली भगत से पत्थर बजरी की चोरी करवाई जा रही है ताकि लंबे समय तक रोड चैड़ी करण के नाम पर खनन किया जाता रहे तो उन्होंने कहा कि ऐसा हमारे संज्ञान में नहीं है अगर ऐसा पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी वहीं यह कार्य खनन विभाग का है। इस मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष रूप सिंह कठैत, मोहन पेटवाल, गंभीर पंवार सहित ग्रामीण मौजूद थे।

चार धाम यात्रा बंद नहीःविजय सारस्वत, खराब मौसम के चलते यात्रियों को विभिन्न पड़ावों में रोका

देेहरादून, 7 जुलाई (निस) आपदा प्रबंधन एवं सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विजय सारस्वत ने कहा कि खराब मौसम के चलते चार धाम यात्रा को फिल्हाल स्थगित किया गया है। यात्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न पड़ावों पर खराब मौसम के कारण रोका जा रहा है।  मौसम का मिजाज ठीक होते ही यात्रा फिर शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा को बंद नही किया गया है। मंगलवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्राकारों से बातचीत करते हुए आपदा प्रबंधन एवं सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विजय सारस्वत ने कहा कि  केन्द्रीय मौसम विभाग तथा राज्य मौसम विभाग के साथ ही सरकार को अन्य श्रोतों से भी मौसम की जानकारी मिलती रहती है। मौसम की सही और सटीक जानकारी मिलने के चलते सरकार को यात्रा के लिए भी सहूलियत हो रही है। समय पर सही जानकारी मिलने से यात्रामार्ग पर यात्रियों की सुरक्षा और उनके रहने, भोजन की आदि की व्यवस्था के लिए भी ठोस व्यवस्था की जा रही है। खराब मौसम में यात्रियो को सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न पड़ावों पर रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर विभिन्न पड़ावों में  इस समय भी सरकार द्वारा यात्रियों के लिए भोजन, रहने आदि की पूर्ण व्यवस्था की गयी है। जिसके चलते यात्रा मार्ग में आने वाली कठिनाईयों के बावजूद यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा बंद नहीं हुई है बल्कि सुचारू रूप से चल रही है। भारी बारिश के चलते यात्रा एक-दो दिन के लिए स्थगित करनी पड़ती है। यात्रा को सुचारू चलाने के लिए यात्रा मार्ग में जगह-जगह एसडीआरएफ की टीमें लगायी गयी हैं। एसडीआरएफ की तीन कंपनियां हैं और सभी जवानों को उपकरणों से लैस किया गया है। एसडीआरएफ को आॅक्सीजन सिलेण्डर भी उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने बताया कि चारधाम में से गंगोत्राी में पांच जुलाई तक 1,17,13यात्री, यमुनोत्राी में 97, 621, बद्रीनाथ में 2,50, 870, केदारनाथ में 1,12,880 तथा हेमकुण्ड साहिब में 40,757 यात्री अब तक आ चुके हैं।

उच्च शिक्षा विभाग का शिविर कार्यालय दून से समाप्त 

देहरादून, 7 जुलाई (निस)। उच्च शिक्षा मंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश के आदेशों पर देहरादून में संचालित उच्च शिक्षा विभाग के शिविर कार्यालय को समाप्त कर दिया गया है। डा0 हृदयेश के निर्देशों के क्रम में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एस रामास्वामी ने इस शिविर कार्यालय को तत्काल प्रभाव से बन्द करने के आदेश जारी किये थे। प्रमुख सचिव के आदेशों के क्रम में उच्च शिक्षा निदेशालय के निदेशक डा0 बीसी मलकानी ने शिविर कार्यालय उच्च शिक्षा की उप निदेशक डा0 अंजू अग्रवाल को पत्र भेजकर आदेशित किया है कि उच्च शिक्षा निदेशालय के देहरादून स्थित शिविर कार्यालय को समाप्त करते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी में समायोजित कर दिया गया है। डा0 मलकानी ने जारी आदेश में कहा है कि शासन की व्यवस्था के अनुसार शिविर कार्यालय का अस्तित्व समाप्त हो गया है। इस शिविर कार्यालय में नियमित पदों पर कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी मूल पद एवं कार्य दायित्वों सहित हल्द्वानी निदेशालय में समायोजित होंगे तथा शिविर कार्यालय से सम्बद्ध कार्मिक अपने मूल तैनाती स्थल पर वापस योगदान करना सुनिश्चित करें। उन्होनें डा0 अंजू अग्रवाल उप निदेशक को आदेशित किया है कि देहरादून स्थित उच्च शिक्षा शिविर कार्यालय को उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी में शिफ्ट किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें, साथ ही सम्बद्ध कार्मिकों को कार्यमुक्त करते हुए उनके तैनाती स्थल पर योगदान करने हेतु आदेशित करते हुए निदेशालय को सूचित करें। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा के शिविर कार्यालय देहरादून के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इसके औचित्य पर सवाल खडे किये गये थे। उच्च शिक्षा मंत्री डा0 हृदयेश ने भी इस शिविर कार्यालय की स्थापना पर नाराजगी व्यक्त की थी। शिविर कार्यालय के संचालन से उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने आपसी तालमेल न हो पाने के कारण कार्य प्रभावित हो रहे थे। इसके साथ ही विभिन्न महाविद्यालयों के कर्मचारी शिविर कार्यालय में सम्बद्ध होने से महाविद्यालयों का कार्य भी प्रभावित हो रहा था। इस सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मित्तव्यता की दृष्टि से तथा कार्य गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा इस शिविर कार्यालय को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।

गंगोत्री धाम से लौटे बुजुर्गो का सीएम ने किया स्वागत

uttrakhand news
देहरादून ,7 जुलाई (निस)। मंगलवार को बीजापुर में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ‘‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ‘‘ योजना के तहत गंगोत्री धाम के दर्शन कर लौटे जनपद नैनीताल के 21 बुजुर्गो के दल का स्वागत किया। यात्रा से लौटे बुजुर्गो ने ‘‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ‘‘ योजना शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री श्री रावत का साधुवाद किया। उन्होने यात्रा के दौरान सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सरकार बुजुर्गो को जीवन के तमाम संघर्षोे के बाद अधिक से अधिक सुविधायें देने के लिए प्रयासरत है। यह राज्य उनका परिवार है। मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना से लाभान्वित होने वाले बुजुर्गो को वर्ष 2017 के बाद फिर अन्य तीर्थाे की भी यात्रा कराई जायेगी। उन्होने कहा कि अन्य प्रदेशों की भांति हमारे प्रदेशवासियों को भी अपने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करना चाहिए इससे घरेलु पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही हम अपने प्रदेश को बेहतर ढ़ंग से जान सकेंगे। हमारा प्रयास है कि हमारा कोई बुजुर्ग बिना किसी तीर्थ यात्रा के न रहे। सभी धर्मो के बुजुर्ग इसमें शामिल रहेंगे।

सड़क हादसे में युवक की मौत,दो घायल

देहरादून 7 जुलाई (निस)। तेज गति से वाहन चलाने से देर रात मंणीमाई मंदिर के समीप एक बाईक सवार की सड़क हादसे में मौत हो गयी। इस दुर्घटना में दो गंभीर रूप से घायल हुए है। जिन्हे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने मृतक का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।  मिली जानकारी के अनुसार  देर रात टिहरी निवासी अनिल सजवाण अपने दो साथियों के साथ बाइक पर सवार होकर दून आ रहा था। बताया जा रहा है कि जब बाइक सवार यह युवक डोइवाला क्षेत्र के मणीमाई मन्दिर के समीप पहुंचे तो वह तीखे मोड़ पर आगे चल रहे ऊंटों के काफिले से टकरा गये। बाइक की रफ्तार तेज होने की वजह से तीनो युवक काफी दूरी तक रपटते चले गये। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बाइक से उफंटो की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि अनिल सजवाण की मौके पर ही मौत हो गयी। इस दुर्घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को कब्जे में लेकर घायलों को108 की मदद से अस्पताल पहुंचा दिया। जहंा उनकी हालत चिंता जनकबनी हुई है। वहीं पुलिस ने मृतक युवक के परिजनों को इस दुर्घटना की जानकारी देते हुए शव का पंचनामा भर दिया है।

अधिकारियों को अलर्ट होने के निर्देश दिये 

अल्मोड़ा 7 जुलाई (निस)। लगातार हो रही बारिश को देखते हुए  हुए समस्त जिलाधिकारी अपने-अपने जनपदों में किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने हेतु अलर्ट रहते हुए व्यवस्थायें दुरूस्त रखना सुनिश्चित करें यह निर्देश विधानसभा अध्यक्ष  गोविन्द सिंह कुजंवाल ने दियंे। उन्होंने लोक निर्माण विभाग, जल निगम, जल संस्थान, खाद्यान्न सहित अन्य विभागीय अधिकारियों को अपने-अपने विभाग से सम्बन्धित व्यवस्थ्थायें सुव्यवस्थित करनी होगी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि लगातार हो रही वर्षा को देखते हुए आपदा के समय मलबा आने से यातायात बाधित रहता है साथ ही अन्य दुर्घटनायें होने की आशंका बनी रहती है इसलिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारी पर्याप्त मात्रा में गैंग मेटो की व्यवस्था सहित प्रत्येक तहसील मुख्यालय व विकासखण्ड मुख्यालय स्तर पर जे0सी0बी0 मशीन की व्यवस्था करना सुनिश्चित करेंगे ताकि आपदा घटित होने पर सड़कों व मार्गों को खोलने में सुविधा हो सके।  उन्होंने बन्द मोटर मार्गों को तुरन्त खोलने के भी निर्देश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने जल निगम व जल संस्थान के अधिकारियों को निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बनी रहे साथ ही संक्रामक रोगो से बचने के लिए पानी की टेंकों में क्लोरिन को नियमित रूप से डलवाना सुनिश्चित करेंगे ताकि किसी प्रकार का प्रदूषित जल ग्रामीणों को न मिलने पाये।

नकदी फसलों के मामले में उत्तरकाशी की बनेगी पहचान

उत्तरकाशी 7 जुलाई (निस)। शीघ्र ही उत्तरकाशी की नकदी फसलों के मामले में अपनी एक पहचान होगी।  जिला उद्यान विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है। जिले में नकदी फसलों को बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है। जिला उद्यान विभाग इसके लिए गठित राजकीय बागवानी बोर्ड की मदद लेगा। बाजार की समस्या के कारण तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों का रुझान नकदी फसलों की ओर कम है। बागबानी बोर्ड किसानों को न केवल बाजार उपलब्ध कराएगा, बल्कि उन्हें नकदी फसलों के उत्पादन को जागरूक भी करेगा। जिले में रवांई घाटी को छोड़कर अन्य इलाकों में नकदी फसलों की खेती में अब भी किसान संकोच कर रहे हैं। इसका बड़ा कारण बाजार का अभाव है। नकदी फसलों के सामने बाजार में पहचान न होने, ग्राहक तक सीधी पहुंच न होने व बिचैलियों की मनमानी से निपटने की चुनौती है। इसके लिए सरकार ने हाल ही में राज्य स्तर पर राजकीय बागवानी बोर्ड का गठन किया है। इसके जरिये अब उद्यान विभाग जिले में नकदी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों के लिए बाजार की व्यवस्था करेगा। इस काम में नकदी फसलों में शामिल फल और सब्जियों की खास ब्रांडिंग की जाएगी, जिससे उन्हें बाजार और विभिन्न वर्गाे में बंटे ग्राहकों के बीच पहचान मिल सके। अब तक जिले में हर्षिल का सेब हिमाचल के नाम पर बड़ी मंडियों तक पहुंच रहा है। हर साल सेब की उपज निकलने के समय हिमाचल के खरीदार ग्रेडिंग मशीन के साथ यहां पहुंचकर खरीदारी करते आए हैं। स्थानीय काश्तकारों की बाजार तक पहुंच न होने के कारण उन्हें इस उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता। यही स्थिति जिले में लाल चावल, नाशपाती और अन्य नकदी फसलों के साथ है। अब बोर्ड की मदद से इन सभी फल और सब्जियों को बड़ी खरीदार कंपनियों तक पहुंचाया जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं: