जी हां, कुछ लोग आज तक टीवी न्यूज चैनल के खोजी पत्रकार अक्षय कुमार सिंह की मौत को हार्टअटैक से जोड़ कर देख रहे है, जबकि लक्षण कुछ और ही बया कर रहे है। ऐसे में प्रकरण की सही तथ्य सामने आ सके, इसके लिए जरुरी है अक्षय के विसरा की जांच अमेरिकी लेबोरेटरी एफबी में कराया जाएं
सीनियर रिपोर्टर अक्षय सिंह के मौत हार्टअटैक से हुई है, यह लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा, क्योंकि विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि मौत से पहले जो लक्षण दिखे वह हार्टअटैक के नहीं हो सकते। एम्स अस्पताल के फॉरेंसिक चिकत्सा विशेषज्ञों की मानें तो मौत से पहले हाथों में अचानक अकडन, मुह से झाग निकलना, एक दम से होश खो देना और कुछ सेकंड में नब्ज का टूटना आदि हार्टअटैक के लक्षण कत्तई नहीं है। ऐसे में अक्षय के विसरा की जांच हरहाल में अमेरिकी लेबोरेटरी की जांच एफबी से कराई जानी चाहिए। क्योंकि फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश में विसरा जांच के दौरान कुछ ही जहर टेस्ट किये जा सकते है। अगर गहराई से जांच करानी है तो विसरा अमेरिका की एफबी लैबरोटरी भेजना चाहिए। लेकिन ये काम मौत के 3 से 15 दिन के भीतर ही होना चाहिए।
चिकित्सकों की मानें तो ये हार्ट फेल के लक्षण नही है। ये जहर खोरी के लक्षण ज्यादा मालूम होते हैं। अमेरिकी लैब किसी नये किस्म के जहर को भी डिटेक्ट कर सकता है। कोई गहरी साजिश पकड़ी जा सकती है। अगर साजिश है तो नये तथ्य सामने आ सकते हैं। बाकी की ऐसी घटनाओं पर भी रौशनी डाली जा सकती है। संदेह इसलिए भी गहरा रहे हैं क्यूंकि हार्टफेल वाली कुछ और घटनाओं में भी मृत व्यक्ती के मुह से झाग निकलती देखी गयी थी। लेकिन मध्य प्रदेश के अस्पतालों में हुए पोस्टमार्टम में कोई नये तथ्य सामने नही आये। बहरहाल अब शव से निकाले गये विसरा की जांच एम्स को रेफेर कर दी गयी है। अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अन्य लोग चाहे तोएम्स के डॉक्टर विसरा की इस जांच को तत्काल अमेरिकी लैब एफबी को रेफेर कर सकते हैं। अमेरिकी एफबी लैब संदेह की परतों को उधेड़कर सच सामने ला सकता है। दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। अगर एक के बाद एक व्यापम घोटाले में इतनी सारी मौतों पर सवाल उठ रहे हैं तो फिर इस संदेह को दूर करना ही होगा। हम एक घोटाले की सीरियल किलिंग के मूक दर्शक नही बने रह सकते। आजतक के बेखौफ रिपोर्टर अक्षय की मौत हार्ट फेल से हुई या जहर खोरी से? इस पर देश को अब एक पुख्ता जवाब चाहिए। क्योंकि निष्पक्ष, सबसे भरोसेमंद और सबसे उच्चतम तकनीक पर आधारित टेस्ट रिपोर्ट से ही सच्चाई सामने आ सकती है। प्रधानमंत्री जी, जांच संदेह से परे होना चाहिए। .अगर आप निष्कलंक है तो एफबी का ये टेस्ट आप के लिए भी एक आखिरी मौका है। क्योंकि ये संदेह में जीने का युग नही है तथ्य सामने आना चाहिए।
(सुरेश गांधी)

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