कभी कश्मीर में आईएस के झंडे लहराये जाते हैं तो कभी दस्तावेजों में भारतीय उपमहाद्वीप में आईएस के आने की आशंका जताई जाती है. कई बार इन सभी कारनामों से, जानकारियों से जहन में डर की दस्तक सी आने लगती है. उन काले झंडों को देखकर कत्लेआम की तस्वीरें साफ तौर पर चित्त में घुमन्नी काटने लगती हैं. इन सबके अलावा दिमाग, दिल और ख्वाब सहम जाते हैं उस बात को याद करके कि किस तरह से आईएस के दरिंदे इंसानियत की खुलेआम बोली लगाने में लगे हैं. किस तरह से लोगों की गर्दनें काटकर उन्हें और उनके परिवार को दर्द सौंपा जा रहा है. रोजमर्रा ही नई नई वारदातें सामने आती हैं. कभी जिंदा जलाने की तो कभी सिर कलम कर देने की. हालांकि भारत की सीमाओं पर तैनात जवान साहस और वीरता का परिचय देते हुए लगातार देश की सुरक्षा में तत्पर हैं.
आईएस कर रहा है दावा
पाकिस्तान के कबायली इलाके में कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनकी तुलना हिटलर की आत्म कथा माइन कांप्फ से की जा रही है. इस दस्तावेज में आईएस के द्वारा पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित करने की बात सामने आई है. साथ ही इस बात का संकेत भी दस्तावेज के जरिए ही मिला है कि आईएस की नजर भारतीय उपमहाद्वीप पर भी है. और उसका अगला नंबर भी हो सकता है कि आईएस अपने पैर जमाने की अगली कोशिश को अंजाम यहां पर दे.
32 पन्नों का है दस्तावेज
इस दस्तावेज को पढ़कर एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि पढ़ने में यह खिलाफत की माइन कांप्फ जैसी ही लगती है. कभी सूली पर तो कभी जिंदा जलाने की तस्वीरें और वीडियो लगभग पूरी दुनिया ही देख रही है. जानकारी के मुताबिक आईएस अब उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में पैर पसारने की कोशिश करने में जुटा हुआ है.
क्या है माइन कांप्फ ?
हिटलर की यहूदी विरोधी सोच के जिक्र को समाहित किए हुए ये पुस्तक माइन कांप्फ यानि मेरा संघर्ष के नाम से भी जानी जाती है. 1920 के दशक में हिटलर ने इसे म्यूनिख की एक जेल में लिखा था. दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए तो ये आत्मकथा है एक दुर्दांत मानव की. जर्मन सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगा रखा था.
एक चर्चित संस्थान के रिपोर्टर एंड्रयू होस्केन ने अपनी किताब 'एंपायर ऑफ फीयर' में लिखा है कि आईएस की योजना है कि वह उस पूरे हिस्से को हथिया ले जिसे वह इस्लामिक विश्व के तौर पर देखना चाहता है. अब इन दस्तावेजों के लेखन के बारे में बात की जाए तो ये दस्तावेज किसी इस्लामिक स्टेट के समर्थक द्वारा लिखे गए जान पड़ते हैं.
दस्तावेज में क्या लिखा है ?
अमेरिकी मीडिया इंस्टीट्यूट को मिले दस्तावेज जो कि उर्दू में लिखा है उनमें दर्ज दावों के मुताबिक कहने की कोशिश ये है कि स्वीकार कर लो कि खिलाफत तब तक रहेगी और तब तक फैलती रहेगी जब तक आईएस पूरी दुनिया पर कब्जा नहीं कर लेता...जो अल्लाह का विरोध करता है या हमारी नीतियों की खिलाफत करता है उसका सिर कलम करने में कोई भी दया नहीं की जाएगी. ये एक कड़वा सच है इसे पी लो क्योंकि यही हकीकत है....
बहरहाल भारत को और चौकसी बरतते हुए सारे मामले की जांच करानी चाहिए ताकि ऐसा कोई भी खतरा भारत की ओर रूख न कर सके साथ ही अन्य देशों को भी एकजुट होकर इस संक्रमण को जड़ से मिटाने की दिशा में प्रयास करना अनिवार्य हो गया है.
हिमांशु तिवारी 'आत्मीय'
एल -4/70 सेक्टर -एम
अलीगंज, लखनऊ
08858250015

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें