- मधेपुरा विधानसभा सीट से राजद के प्रो चंद्रषेखर, सिंहेष्वर विस क्षेत्र से जदयू के रमेष ऋशिदेव, बिहारीगंज विस क्षेत्र से जदयू की डाॅ रेणु कुमारी कुषवाहा व आलमनगर विस क्षेत्र से जदयू के नरेंद्र नारायण यादव जैसे कद्दावर नेताओं के बावजूद जिला अपेक्षित विकास से कोसों दूर है
कुमार गौरव, मधेपुरा: 18 अगस्त को प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा में संपन्न हुए पीएम नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैली के बाद कोसी क्षेत्र की राजनीति उबलने लगी है। एक ओर जहां भाजपाई पर्चियां बांटकर पूर्व में किये अपने कार्यों का ब्यौरा पेष कर रहे हैं तो दूसरी ओर खुद सीएम नीतीष कुमार जनता जर्नादन को झांसे में नहीं आने की अपील कर रहे हैं और विगत दस वर्शों में किये अपने कार्यों का वजीफा मांग रहे हैं। बात जिले की करें तो समाजवादियों की धरती रही मधेपुरा में बाहरी भीतरी सबने अपना भाग्य तो जरूर चमकाया है लेकिन जिले को चमकाने की घोशणा कर षायद राजनीतिक चकाचैंध में अक्सर भूल जाने की परंपरा अब भी कायम है। तभी तो जिले के चारों विधानसभा की कुल 15 लाख 26 हजार 646 आबादी आज भी जीवट मानव सभ्यता में जीने को मजबूर हैं। सड़क मार्ग से मुख्यालय आने के लिए एकाध प्रखंड को छोड़ दे ंतो बाकी प्रखंड से आना लोगों के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है।
बिजली की समस्या भी लोगों को झटके देते रहती है। आज भी कुमारखंड, आलमनगर, चैसा, बिहारीगंज के कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली पहुंची ही नहीं है। बाढ़ के समय इन प्रखंडों की स्थिति तो बेहद खराब हो जाती है। यह जिला कोसी नदी के मैदानी भाग में फैला है और सूबे के उत्तर पूर्वी क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है और अररिया, सुपौल, खगडि़या, भागलपुर, पूर्णिया और सहरसा की सीमा से सटा है। बावजूद इसके विकास की रोषनी जिले में प्रखर नहीं हो पायी है। मजेदार बात तो यह है कि चार विधानसभा सीटों में से तीन पर जदयू जबकि एक पर राजद का कब्जा है। मधेपुरा विधानसभा सीट पर राजद के प्रो चंद्रषेखर, सिंहेष्वर विस क्षेत्र से जदयू के रमेष ऋशिदेव, बिहारीगंज विस क्षेत्र से जदयू की डाॅ रेणु कुमारी कुषवाहा व आलमनगर विस क्षेत्र से जदयू के नरेंद्र नारायण यादव जैसे कद्दावर नेताओं के बावजूद जिला अपेक्षित विकास से कोसों दूर है।
जिले में षहरी आबादी कुल 67 हजार 967 है जबकि ग्रामीण हलकों की आबादी 14 लाख 58 हजार 679 है। जिले की अधिकांष आबादी गांवों में बसती हैं। वहीं अनुसूचित जाति की बात करें तो कुल 02 लाख 60 हजार 461 की आबादी अबकी बार असमंजस की स्थिति में होगी। जिले में कुल युवाओं की संख्या 07 लाख 76 हजार 706 है जबकि इनमें से 04 लाख 98 हजार 367 को ही कार्य मिला है। जबकि कुल आबादी में से 08 लाख 42 हजार 670 लोग आज भी बेरोजगार हैं। जिला कृशि आधारित है और विकास योजना की बातें यहां दम तोड़ने लगती हैं। यही कारण है कि राश्ट्रीय स्तर के नेताओं के होने के बाद भी जिले का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। रोजगार के नाम पर यहां कुछ खास विकास नहीं हो पाया है।
अबकी बार पप्पू होगा पास: राजद से अलग हुए जन अधिकार मोर्चा के सुप्रीमो पप्पू यादव और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी का दम इस विस चुनाव में दिखने के आसार हैं। हल्ला बोलने व मोर्चा खोलने में सिद्धहस्त पप्पू यादव के राजद से अलग होने के बाद राजद के असल वोट बैंक में बिखराव के कयास लगाये जा रहे हैं जबकि हम सुप्रीमो की नजर जिले की ढ़ाई लाख की जाति विषेश की आबादी पर है और इसका संकेत उन्होंने हाल में संपन्न हुई रैलियों में दिया भी है। हालांकि जदयू जिले में रमेष ऋशिदेव को पचपनिया वोट बैंक का चेहरा बना सकता है। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के करीब आईं बिहारीगंज की जदयू विधायक डाॅ रेणु कुषवाहा के लिए अबकी बार सीट मैनेज व डैमेज कंट्रोल करना कठिन डगर साबित हो सकता है। उधर, मधेपुरा विधायक प्रो चंद्रषेखर को पप्पू यादव और उनके समर्थकों का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्व चुनाव में राजद के वोट बैंक में बिखराव नहीं होने का सीधा फायदा वर्तमान विधायक को मिला था जबकि पप्पू यादव के साथ अनबन के कारण उनकी लोकप्रियता में कमी आयी है और इसका फायदा विरोधियों को मिलने के पूरे आसार हैं। अलबत्ता सिंहेष्वर से जदयू विधायक रमेष ऋशिदेव व आलमनगर से जदयू विधायक नरेंद्र नारायण यादव की स्थिति थोड़ी अच्छी जरूर कही जा सकती है। हालांकि सिंहेष्वर में भी भाजपा का जनाधार काफी बढ़ा है और हम, जन अधिकार मोर्चा व भाजपा की पकड़ अच्छी होने के कारण इनकी भी स्थिति बेहद अच्छी नहीं कही जा सकती है। कुल मिलाकर जदयू अपनी तीनों सीटें बचाने में किस हद तक कामयाब होगा ये तो भविश्य के गर्त में छिपा है लेकिन बुनियादी विकास कार्यों का न होना जदयू के इन विधायकों के लिए महंगा जरूर साबित हो सकता है।

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