- ‘कवन मुंह से कहता बिहार में बहार बा’, ‘अबकी बार माले’, ‘सुन ल मोदी जी, तोहार दिन नियरइलें’
पटना, 4 अक्टूबर 2015, भाकपा-माले एक ओर भाजपा तो दूसरी ओर जदयू - दोनों ही गठबंधनों की जनविरोधी राजनीति को लेकर जनता के भीतर जो सवाल हैं, उनको चुनाव प्रचार के केंद्र में ला रही है., ताकि जनता इस बार इन दोनों ही गठबंध्नों के झांसे में न आए। जन संस्कृति मंच की गीत-नाट्य इकाई ‘हिरावल’ के कलाकारों द्वारा निर्मित भाकपा-माले के चुनाव प्रचार गीतों की सीडी इसी की बानगी है। गीतों को हिरावल के संयोजक प्रसिद्ध युवा रंगकर्मी, लेखक और गायक संतोष झा, सुमन कुमार और अभिनव की आवाज में रिकार्ड किया गया है। इनको संतोष सहर, संतोष झा और जनकवि कृष्णकुमार निर्मोही ने लिखा है। इस सीडी के जरिए माले उन सारे विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करेगी, जहां से उसके उम्मीदवार लड़ रहे हैं। सोशल साइट्स के जरिए ये गीत पहले ही लोगों तक पहुंच चुके हैं और ये गीत काफी लोकप्रिय हुए है।
नीतीश कुमार के प्रचार ‘बिहार में बहार है’ का तीखा प्रतिवाद करते हुए एक गीत में कहा गया है- सगरे गरीबवन के जीयल दुश्वार बा, भोंभा ले के बोलता, बिहार में बिहार बा!...कवन मुंह से कहता बिहार में बहार बा। इस गीत में भाजपा से नीतीश की यारी, न्याय के संहार, कदम-कदम पर फैले लूट, घूसखोरी और भ्रष्टाचार, बीपीएल-मनरेगा की गड़बडि़यों तथा भूमि सुधार व बंटाईदारी कानून लागू न होने के सवाल को उठाया गया है, दूसरे गीत में मोदी की वादाखिलाफी और उनके सांप्रदायिक एजेंडे को निशाना बनाया गया है। तीसरे गीत में मोदी को जुमलों का उस्ताद और नीतीश कुमार को अहंकार में डूबा बताया गया है। दोनों को सामंती ताकतों के यार बताए गए हंै। इस गीत की टेक ही है- ना मोदी ना नीतीश कुमारे, अबकी बार माले, माले...........।
जसम की गीत-नाट्य इकाई हिरावल (पटना), युवानीति (आरा) और रंगनायक (बेगूसराय) के कलाकार अपने गीतों के जरिए चुनाव प्रचार में भी उतरने वाले हैं। इसके पहले ही पटना और आरा में लेखकों, बुद्धिजीवियों का कन्वेंशन हो चुका है, जिसमें उन्होंने वामपंथी उम्मीदवारों के समर्थन की अपील की है।
यह देखा जा रहा है कि प्रगतिशील-लोकतांत्रिक बुद्धिजीवियों का बहुत बड़ा हिस्सा देश में आरएसएस-भाजपा द्वारा साझी संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्याओं को लेकर चिंतित है। दक्षिणपंथी शक्तियों के सांप्रदायिक-सामंती उन्माद के खिलाफ वामपंथ ही सारे उत्पीडि़त समुदायों की एकता का केंद्र बन सकता है, यह धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा है। जाहिर है बिहार चुनाव में जमीनी स्तर पर इस आधार पर एकता भी बन रही है।
इस बीच भाकपा-माले के केंद्रीय नेताओं की टीम चुनाव प्रचार में उतर गई है। पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, अखिल भारतीय गा्रमीण खेत मजदूर सभा के महासचिव धीरेन्द्र झा, रामजतन शर्मा, माले के केंद्रीय कमेटी नंदकिशोर प्रसाद और प्रभात कुमार चैधरी, ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, सरोज चैबे, केडी यादव, झारखंड के विधायक राज कुमार यादव, पूर्व विधायक विनोद सिंह, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, इंकलाबी मुस्लिम कांफे्रंस के मो. सलीम आइसा-इनौस के पूर्व महासचिव रवि राय, आइसा के महासचिव संदीप सौरभ इस टीम मंे शामिल हैं.

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