इधर कुछ दिनों से झारखंड की फिजां में एक छटपटाहट सी चल रही है।हिन्दू समाज डरा-सहमा अपनी वेवसी का रोना रो रहा है।आपके उपर अत्याचार हुआ है आपके धार्मिक स्थल को अपवित्र किया हो या करोड़ों हिन्दूओं के आराध्य भगवान श्रीराम के प्रति अपमान भरा संपादकीय लिखा गया हो और यदि वह तथाकथित अल्पसंख्यकों के द्वारा हुआ है या उर्दू मीडिया के द्वारा किया गया हो तब तो यकिनन आप इस राज्य झारखण्ड के लिए बदनसीव नागरिक है आपका एफआईआर भी संबधित थाना नही लेगा यह तय मानिए।यदि आपने समाज का सहयोग लिया दवाब बनाया तब आपकी शिकायत तो ली जाएगी किन्तु कारवाई होगी यह अधिकारियों के अनुसंधान की कछुआ गति जांच के बाद हीं संभव है तबतक वह अपराधी या सवंधित थाना इतना दबाव आपके उपर बना देगा कि आप अपना केस वापस लेकर अपनी रोजी रोटी की चिन्ता में लग जाएंगे।
कुछ दिन पहले जमशेदपुर में घटना हुई पीड़ित हुआ हिन्दू समाज और प्रशासन ने कारवाई भी हिन्दू समाज के उपर ही किया।उसके पहले गुमला जिले में घटना हुई मंदिर में गौमांस फेंकते हुए मुस्लिम समाज के व्यक्ति को देखा गया।प्रशासन को इसकी सूचना दी गई।प्रशासन उक्त आरोपी को पकड़ने के बजाय हिन्दू समाज के लोगों को ही अशान्ति फैलाने के जुर्म में सलाखों के पीछे धकेल दिया। वहीं प्रशासन की उपस्थिति में मस्जिदों से आग्नेयास्त्र और हथियार लहराये गए उपयोग हुआ और अगले दिन हिन्दू संगठन पर नामजद केस दर्ज हुआ।
रांची में अपने जनजाति बंधु के एक नावालिग ने एक मुस्लिम समुदाय की बेटी से प्यार किया और शादी कर लिया।लड़के को पुलिस तुरंत पकड़ी और नावालिग होने के बावजूद बिरसा मुंडा कारागार भेज दिया जहां उसकी हत्या हो गई और प्रशासन उसे फांसी लगाकर मरने की बात कहकर इसकी लीपापोती कर दी।
खलारी में हाल में हीं मुस्लिमों ने हिन्दूओं के घरों में लूटपाट किया उनके आराध्य देवी-देवताओं की प्रतिमा को तोड़ा अपवित्र किया।प्रशासन आंखों पर पटृी डाले रहा जब हिन्दूओं ने विरोध किया तब उन्हीं हिन्दूओं के उपर गंभीर केस दर्ज कर पुलिस अपना पुरूषार्थ दिखा दिया। कुछ दिन पहले रांची में इस्लामी आतंकी आईएस का झण्डा विरोध स्वरूप जलाया गया।मुस्लिमों ने कहा कि चूकि उस झण्डे में इस्लामी शब्द है जो मुस्लिमों के लिए पवित्र है प्रशासन चन्द मिनटों में उनलोगों की खोजखबर लेकर माफी मांगने को मजबूर किया और कड़ी हिदायत दी कि आगे से ऐसी घटना नहीं हो क्योंकि बेलोग हिन्दू थे।
रांची से प्रकाशित उर्दू अखवार फारूकी-तंजीम 15 सित.15 को अपने संपादकीय में मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम के बारे और हिन्दूओं के बारे में जो लिखा गया वह यदि इस्लाम के बारे में कोई हिन्दू लिखता तो अबतक रांची या झारखण्ड तो छोड़िए भारत जल रहा होता देशी विदेशी मिडिया की सुर्खिया बनती।किन्तु ना प्रशाशन ने और ना सेकुलरो किसी ने भी इसपर कारवाई नहीं की. अंततः जब हिन्दू कार्यकर्ता 21 सित.15 को थाने में केस दर्ज करने गए तो केस दर्ज नहीं हुआ और अंततः जब फिरायालाल चौक शाम के 5 बजे जाम किया गया तब जाकर कोतवाली पुलिस केस दर्ज करती है।
पुरे प्रदेश में गौ-हत्या पर रोक है।फिर प्रदेश में गौ-मांस आती कहॉं से है आज तक झारखंड की पुलिस इस पर कोई कारवाई कभी नहीं की है।यदि गौ-वंश लदे गैर कानूनी वाहनों को पकड़ो तो उल्टे हिन्दू कार्यकताओं के उपर केस दर्ज कर दिया जाता है।रामगढ़ जिले की घटना इसका जीवान्त उदाहरण है। आज भी आप रांची सहित झारखंड के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जाइए सरेआम गौकशी होती है उसके मांस बिक्री के लिए टंगे होते लेकिन झारखंड की पुलिस की मजाल है कि कोई कारवाई कर सके।
25 सित. 15 की रात डोरण्डा के काली मंदिर में गौ-मांस फेंका गया।रात से ही लोगों ने प्रशासन को आगाह किया कि प्रशासन त्वरित कारवाई करे किन्तु मामला हिन्दूओं से जुड़ी है तो प्रशासन के कानों पर जू नहीं रेंगी अंततः 26 सित. को हिन्दूओं का विरोध सड़को पर निकला जिसपर प्रशासन ने अपनी मर्दानगी दिखाई।रांची पुलिस कितनी शक्तिशाली है जो 17 नावालिग बच्चों को शहर में अशान्ति फैलाने के आरोप में प्रातः से सायं तक अस्थाई जेलों मे रख शाम में छोड़ा।26 सित.15 को ही शाम मे श्रीकृष्ण मंदिर अपर बाजार में भोग वितरण हो रहा था पुलिस ने 144 का हवाला देकर मंदिर में आए भक्तों को भगा दिया किन्तु वही समय शहर के विभिन्न मस्जिदों मे जब नमाज हुआ तब 144 का उल्धंन नहीं हुआ?
जब रांची प्रशासन की निष्क्रियता से लहूलूहान होकर रांची स्वतः शान्ति की ओर अग्रसर होने की ओर बढ़ी तो पुलिस ने 25-26 सित. की घटना को लेकर रांची के विभिन्न थानों मे 28 सित.को केस दर्ज कर बेगुनाहों को घरों से उठाकर जेलों में बन्द करने लगी ।हद तो तब हो गई जब पुलिस पहले बेकसुरों को पकड़ती और उसे जबरदस्ती नामजद अभियुक्त बनाकर उसपर केस कर रही है।इस अमानवीय कारवाई पर डोरण्डा थाने का महिलाओं ने घेराव कर न्याय की भीख भी मांगी?
आज तक झारखंड के विभिन्न भागों में हुए इस तरह के घटनाओं के अपराधीयों को नहीं पकड़ा जा सका? एक भी गौ हत्यारों को या मंदिरों को अपवित्र करने बालो की गिरफतारी नहीं हो पाई. पुलिस के नाक के नीचे गौकशी होती है किन्तु हिम्मत नहीं की कोई कारवाई हो तो फिर ऐसी कानून बनाने की जरूरत हीं क्यों जिसपर अमल कराने का हिम्मत पुलिस या सरकार में नहीं है। जब हिन्दूओं के उपर; हिन्दू मानविन्दूओं के उपर प्रहार होती है तो मीडिया; प्रशासन; पुलिस; सेकुलर गिरोह सबकेसब विल में छुपे होतें है किन्तु जब क्रिया की प्रतिक्रिया होती है तब राज्य में शान्ति और अमन की खोज क्यों होने लगती है?
जहां प्रशासन; मीडिया; छद्म सेकुलरों और मानवाधिकार इस तरह से हिन्दूओं के प्रति पूर्वाग्रह हो उससे राज्य में अशांति नही तो क्या विकास की संभावना हैं? झारखंड के विभिन्न जिलों में हिन्दूओं से जुड़े मामले पर जिस तरह की पुलिसिया कारवाई चलती है वह असंतोष का सबसे बड़ा कारण बनता है।राज्य में शान्ति; अमन और विकास का नींव यदि हिन्दूओं के स्वाभिमान और आराध्य को दलित कर; हिन्दूओं के मठ-मंदिरों को अपवित्र कर; हिन्दू बहु-बेटियों को अपहरित कर निर्मित होती है तो ऐसी सरकार और ऐसा शान्ति,अमन,साम्प्रदायिक सद्भाव ,विकास से अच्छा विनाश का डगर है, मौत का सफर है जिसे गले लगाने से हिन्दू पीछे नहीं हटेंगें। ऐसी जिल्लतभरी जिन्दगी जीकर हम विकास की कौन सी राह बनाएंगे और कौन सी सरकार को संविधान के प्रति सचेत मानेगे ? हमें भी जीने का अधिकार है.अहिंसक हिन्दू समाज सदियो से प्रेम और भाईचारा का सन्देश देते हुए जिओ और जीने दो में विश्वास रख हर मत और पंथ को गले से लगाया है किन्तु इस विषमता भरी व्यबस्था ने अहिंसक हिन्दुओ को हिंसक होने को मजबूर करती आ रही है जिस पर समय रहते यदि सही और समुचित समाधान नही किया गया तो समाज में विद्वेष पनपेगा और इसके लिए राजनितिक और प्रशाशनिक दोनों व्यवस्थाएं अपने अन्दर झाँकने का प्रयास कर समाधान करे.
--- संजय कुमार आजाद---
झारखण्ड
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