रोल की लंबाई कोई मायने नहीं रखतीः शरद केलकर। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

रोल की लंबाई कोई मायने नहीं रखतीः शरद केलकर।

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सात फेरे टीवी सीरियल से लोकप्रियता पाने वाले शरद केलकर ने शैतान,कुछ तो लोग कहेंगे,उतरन,सिंदूर तेरे नाम का,पति पत्नी और वो,वैरी पिया और फिल्म उतरायान,रामलीलर और हीरो में भी काम किया है। इन दिनों चैनल एंड टीवी के एक शो ‘एजेंट राघव-क्राइम ब्रांच’ में नायक राघव सिन्हा के किरदार को निभा रहे है। वह बेहद हिंसक और अपराधिक मामलों को सुलझाता है। राघव की खासियत यह है कि उसके द्वारा मामले को सुलझाने के लिए अनुमान और निरीक्षण की तकनीकों का उपयोग किया जाता है। उसके तेज दिमाग और फोटोग्राफिक मेमोरी की बदौलत वह जटिल से जटिल मामलों को भी हल कर देता है, जिन्हें समझना कठिन होता है। शो 5 सितंबर से प्रत्येक शनिवार और रविवार रात 9ः00 बजे दर्शकांे के बीच है।

टेलीविजन से दूरी क्यों बनाये रखी? 
यदि आप मेरे कॅरियर पर नजर डालेंगे, तो पता चलेगा कि मैं कभी न आराम करने वाला इंसान हूं। मैं हमेशा कुछ अलग और लुभावना करने की तलाश में रहता हूं। इसलिए, बार-बार एक समान रोल करने के बजाय मैंने इंतजार करने और धीम े चलने का फैसला किया। मुझे लय भारी और राम लीला जैसी फिल्में मिलीं और मैं इनमें व्यस्त रहा। यही कारण है कि मैं टेलीविजन को समय नहीं दे पाया। मुझे जो अधिकांश टीवी आॅफर मिल रहे थे, वे मेरे फिल्म असाइनमेंट से टकरा रहे थे, इसलिए मैंने कुछ शोज छोड़ भी दिये। 

 ‘‘एजेंट राघव‘‘ में ऐसी क्या अनूठी बात है जिस वजह से आप इसे करने के लिए राजी हो गये? 
शो की अवधारणा और मेरा चरित्र - दोनों ने मुझे आकर्षित किया। मुख्य नायक राघव सिन्हा मामलों को सुलझाने के लिए मसल्स (मांसपेशियों) का नहीं, बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करता है। वह बेहद जटिल आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए निरीक्षण, अनुमान और शार्प इंट्यशून्स का प्रयोग करता है। वह स्मार्ट, स्टाइलिश, है और उसका हथियार ‘शब्द‘ हैं न कि बंदूक। इस तरह का किरदार अभी तक भारतीय टेलीविजन पर नहीं दिखाया गया था। इसके साथ ही, यह एक क्राइम थ्रिलर है और मैंने इस विधा में कभी भी अपने हाथ नहीं आजमाये हैं।

इस बात में कितनी सच्चाई है कि आपका चरित्र ‘भूल भुलैया‘ फिल्म में अक्षय कुमार के किरदार से प्रेरित है? 
मै यह नहीं कह सकता कि मेरा चरित्र भूल भुलैया के किसी एक किरदार से  प्रेरित है बल्कि इसमें विचित्र समानता है। अक्षय के किरदार की तरह, शो में मेरा चरित्र भी तथ्यों पर यकीन करता है और एक मनुष्य का दिमाग कैसे काम करता है, इस पर अधिक फोकस करता है। मनोरोग चिकित्सा संभवतः दोनो ं चरित्रों के बीच एक आम लिंक हो सकता है। अक्षय कुमार का चरित्र अधिक दमदार और हास्यप्रद था, लेकिन राघव अपने काम के दौरान बहुत गंभीर है। 

टेेलीविजन पर मौजूदा समय में दिखाये जा रहेे क्राइम शोज पर आपकी क्या राय है?
करमचंद जासूस और ब्योमकेश बख्शी को छोड  दें तो अभी तक दिखाये गये क्राइम शोज में मामलों को सुलझाने के लिए दिमाग की जगह बाहुबल का इस्तेमाल किया जाता है। दिमागी कौशल के बजाय ऐक्शन को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। बस एजेंट राघव इन्हीं बातों में सबसे अलग है। 

टेलीविजन ने काफी लंबा सफर तय किया है, इसमें किस तरह से बदलाव देखते हैं? 
कंटेंट पहले की तुलना में बेहद डाइवर्स (विविध) हो गया है। पहले टीवी पर सिर्फ सोप ओपेरा बनाये और देखे जाते थे लेकिन अब बहुत कुछ है जिसमें दर्शक अपनी पसंद का विकल्प चुन सकते हैं। एंड टीवी जैसे चैनल हैं जोकि दर्शकों की प्रगतिशील मनोस्थिति के अनुकूल कार्यक्रमों की पेशकश करते हैं। आप ‘‘हीरो‘‘ में नजर आयंे, यह फिल्म कैसे मिली? हमें अपनी भूमिका के विषय में कुछ बतायें। मैंने इस रोल के लिए आॅडिशन दिया और निखिल आडवाणी ने वास्तव में मेरे काम और लुक टेस्ट को पसंद किया, बाकी सब तो इतिहास है। लेकिन मैं इस बात से प्रसन्न हूं कि फिल्म में मेरी महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे वास्तविक फिल्म में संजीव कुमार द्वारा निभाया गया था।

सूरज पंचोली और अथिया शेट्टी जैसे नये कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? 
सूरज पंचोली और अथिया शेट्टी दोनों इस फिल्म के साथ डेब्यू कर रहे हैं और दोनों ही बहुत मेहनती हैं। वे अनुभवी कलाकारों की ही तरह समर्पित हैं। मैंने आज के युवाओं में बहुत कम ही ऐसा फोकस और ईमानदारी देखी है। उनके साथ काम करने में खूब मजा आया और दोनों जोशीले एवं मस्तमौला हैं।

‘‘हीरो‘‘ सलमान खान द्वारा बनाई जा रही है और उन्होंने ‘‘लय भारी‘‘ में भी केमियो किया है, उनके साथ काम करना कैसा रहा?
सलमान खान वाकई में एक प्रेरणा हैं। लय भारी में उनके साथ काम करना सम्मान की बात है और मैं इससे बेहद प्रभावित था कि वह मराठी कितनी अच्छी बोल सकते हैं। मैंने उनसे फोकस होना सीखा है। भले ही यह एक केमियो था पर उन्होंने एक बड़ी भूमिका की तरह अपना शत-प्रतिशत दिया। मुझे लगता है कि मैंने उनसे यह बात सीखी है। रोल की लंबाई कोई मायने नहीं रखती, आपको प्रत्येक भूमिका के लिए ईमानदार होना चाहिये।     ‘‘राम लीला‘‘ से आपने अपनी एक अलग पहचान बनाई इस प्रोजेक्ट के बाद फिल्म आॅफर्स के लिहाज से आपको क्या लाभ मिले? एक अच्छी भूमिका और फिल्म हमेशा आपको बाद में मिलने वाले प्रोजेक्ट के प्रकार में बड़ा अंतर लाती है। राम लीला ने मेरे लिए बाॅलीवुड में कई मार्ग प्रशस्त किये।  राम लीला के बाद हीरो मिली, निर्माताओं को फिल्म में मेरी भूमिका पसंद आई होगी, तभी मुझे एक बड़े प्रोडक्शन में इतनी बड़ी भूमिका का आॅफर मिला। 

आने वाली फिल्म परियोजनाओं के विषय में कुछ बतायें?
‘‘हीरो‘‘ सितंबर रीलिज हो चुकी है,इसके बाद मैं मराठी फिल्म ए पेईंग घोस्ट में गेस्ट अपीयरेंस में हूं। यह फिल्म मराठी उपन्यास वी पी काले पर आधारित है। मैं एक और दिलचस्प मराठी परियोजना पर काम कर रहा हूं जिसमें मैंने राजनेता गोपीनाथ मुंडे का किरदार निभाया हैय यह अभी तक की गई भूमिकाओं में सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका है। उनके तौर-तरीके अपनाना और शुद्ध मराठी बोलने का शानदार अंदाज, सब कुछ बहुत कठिन है।
 है।

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