नयी दिल्ली, 31 दिसंबर(वार्ता) आम आदमी पार्टी(आप) ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए)में कथित वित्त अनियमित्ताओं को लेकर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर कल झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए फिर से इस्तीफे की मांग की है । आप नेता आशुतोष , दीपक वाजपेयी , दिलीप पांडेय और सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि श्री जेटली का यह कहना कि वह डीडीसीए के कार्यकारी अध्यक्ष थे और उनका संघ के रोजमर्रा के कामों में कोई हस्तक्षेप नही था सरासर झूठ है । नेताओं ने श्री जेटली द्वारा राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए 2011 में उस समय के पुलिस आयुक्त और 2012 में विशेष पुलिस आयुक्त रंजीत नारायण को लिखे पत्रों को पेश करते हुए दावा किया कि श्री जेटली डीडीसीए के कार्यों में बराबर दखल देते थे और संवैधानिक पद रहते हुए उन्हें भ्रष्टाचार के मामले को रोकने के लिए हस्तक्षेप का कोई अधिकार नही था ।
आशुतोष ने कहा कि श्री जेटली द्वारा लिखे गये इन दोनों पत्रों से यह स्थापित होता है और उन्हें डीडीसीए में चल रहे हर मामले की पूरी जानकारी थी । उन्होंने कहा कि राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता होते हुए जब वह भ्रष्टाचार के मामले की जांच को अपने पद का दुरुपयोग कर प्रभावित कर रहे थे तो आज वह सत्ता पक्ष में हैं और दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन है । ऐसी स्थिति में वह कुछ भी कर सकते हैं । ऐसे में इस मामले की निष्पक्ष जांच हो इसके लिए जरुरी है कि श्री जेटली इस्तीफा दें । श्री जेटली की डीडीसीए में सक्रिय भूमिका थी और वह लोगों को बचाने में जुटे हुए थे । उन्होंने कहा कि डीडीसीए घोटाले के संदर्भ में आप की तरफ से पहले पूछे गये सवालों का जवाब अभी तक श्री जेटली ने नही दिया है ।
आज हम फिर संघ के करोड़ों रुपये के घोटाले में श्री जेटली के सीधे शामिल होने और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचाने के संदर्भ में फिर पांच सवाल पूछ रहे हैं । आज पूछे गये पांच सवालों में आप नेताओं ने कहा है कि श्री जेटली यह बतायें कि क्या यह सही नही है कि श्री जेटली ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता होते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर पुलिस पर दबाव नही डाला । जाने माने वकील होते हुए क्या वह इस बात से इन्कार करेंगें कि जारी मामले में पुलिस जांच में उन्होंने सीधे बाधा नही पहुंचायी । किस आधार पर श्री जेटली इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सिंडीकेट बैंक के मामले में कोई अपराध नही हुआ । वर्तमान में श्री जेटली केन्द्र में एक शक्तिशाली मंत्री हैं और दिल्ली पुलिस सीधे केन्द्र के आधीन आती है । ऐसे में उनका क्या पद पर बने रहना उचित है । डीडीसीए की जांच को भटकाने के प्रयास में उनका क्या हित है ।
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