विशेष आलेख : नए साल में लें वक्त के साथ चलने का ‘संकल्प‘ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

विशेष आलेख : नए साल में लें वक्त के साथ चलने का ‘संकल्प‘

कलेंडर बदल गया है। नई उम्मीदों व जज्बातों को साथ लिए एक नया साल सामने है। यह वक्त है आगे बढ़ने के लिए कुछ नया सोचने का। बढ़ना और बढ़ते जाना ब्रह्मांड का मूल स्वभाव है। लोगों की कामनाएं जितनी बढ़ती है संसार भी उतना ही बढ़ता है। इसीलिए तो भारतीय परंपरा में कल्पवृक्ष की कल्पना है! एक ऐसा वृक्ष, जिससे जो मांगों मिलेगा! लेग जब नएं साल का जश्न मनाते है, उम्मीदों की कल्पना करते है, एक सुनहरे का भविष्य का सपना सजोते है, तो अपने लिए वो एक कल्पवृक्ष तो खड़ा करते है। मतलब साफ है नएं संकल्पों के साथ तरक्की का बीज बोते हुए यह कल्पना होनी चाहिए कि पुरानी गलतियों को भूल-भालकर नयी सोच के बीच हम समाज में शांति व सौहार्द का ताना-बाना बनाएं रखेंगे बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता में एकता को बढ़ाने की कारगर भूमिका भी अदा करेंगे 

new-year-2016
देखते ही देखते एक बार फिर नया साल, नए यश, उल्लास और समृद्धि की कामना के साथ दस्तक दे ही दी। हर बार हम नए साल के मौके पर नए संकल्प के साथ इसकी शुरुवात करते है। यह अलग बात है कि कोई इसकी दृढ़ता से पालन करता है तो कोई उसे टाल देता है। लेकिन इस उहापोह के बीच क्यों न इस नए साल पर एक ऐसी संकल्प ऐसा लें कि जो हम सोचते है उसे वास्तविकता में कैसे बदल सकता हूं। क्योंकि हर किसी की कोशिश होनी चाहिए कि वह अपने जीवन में रुपांतरण लाने और हर तरह के हालात में आगे बढ़ते रहने के लिए आंतरिक खुशहाल रहे। कोशिश होनी चाहिए कि वह तमाम विषम परिस्थितियों में भी कैसे अपने माता-पिता और शिक्षक से आगे बढ़े। कुछ ऐसा करना चाहिए कि समाज उन्हें सदैव याद रखें। इसके लिए अपने भीतर छिपी शख्यिसत को जगाना होगा। कहने का अभिप्राय यह है कि अगर आप बुद्धिमान है, पूरी तरह से जागरुक है तो बेशक आप अपनी शख्सियत व सोच को नया रुप दें सकते है। लेकिन इसके लिए पुरानी आडम्बर व दिखावा को त्यागना होगा। अनजाने में काम करने के बजाय चैकन्ना होकर काम करना होगा। जो आपके लिए सबसे बेहतर हो, जो आपके आसपास सबसे अधिक सामंजस्य और तालमेल पैदा करें, टकराव-ईष्या का दूर-दूर तक वास्ता ना हो और ऐसे काम को तवज्जों दें जो अपनी अंदरुनी सोच के सबसे करीब लगती हो। हमें यह भी देखना होगा कि जो हम सोच रहे है क्या वह हमारी मौजूद सोच से बेहतर है या नहीं। शांत, सरल, एकांत दिमाग से सोचे कि वह जो सोच रहे है या करने जा रहे है उसे दुसरे लोगों पर क्या असर पड़ेगा। कल्पना करें कि आपके सोच को दुसरे लोग कैसा अनुभव करेंगे। यानी अपने सोच में बिल्कुल एक नया इंसान गढ़े, उसे जितना संभव हो बारीकी से देखें कि क्या यह नयी सोच अधिक मानवीय, अधिक निपुण और अधिक प्रेममय है या नहीं। क्योंकि सिर्फ सोचनेभर से बइलाव नहीं होता। अच्छे कर्म कर अपने भविष्य को बदला जा सकता है। अपनी किस्मत लिखी जा सकती है। यह तभी संभव हो पायेगा जब आप अपनी लक्ष्य निर्धारित करें। क्योंकि धैर्य और आत्मविश्वास के साथ अपने को अनुकूल बना लेना ही वास्तविक चुनौती है। 

समय के साथ निरंतर चलना निरंतर गतिशील रहना और बदलावों के लिए खुद को तैयार रहना भी जरुरी है, क्योंकि परिवर्तन ही जिंदगी को आगे ले जाता है। बदलाव इंसान को परिपक्वता से सोचने, प्रतिक्रिया करने और अलग-अलग स्थितियों में संतुलित रहना सिखाते है। समय का सच यह है कि हर दिन बीत जाता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा, सुख हो या दुख, सफलता हो या विफलता। सफलता में हम अहम्ग्रस्त हुए बिना और विफलता में निराश हुए बिना जो जीवन में आगे बढ़ता है, सही मायने में वहीं समय का महत्व समझता है। इसके पहले यह तय करें कि नए साल में आपकों करना क्या है? आपका लक्ष्य क्या है? फिर उस लक्ष्य पाने के लिए नए साल यानी एक साल की अपनी रणनीति तय करनी होगी कि किन रास्तों पर चलकर लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। अपनी अंर्तआत्मा से पूछे कि पिछले साल उनसे क्या गलतियां हुई, किसे पीड़ा पहुंचाई, असफलता के कारणों को टटोले और फिर उसे नए साल में दूर करने का प्रयास करें। इस नई सोच की कल्पना आप जितने प्रभावशाली तरीके से कर सकते है, करें। उसे अपने भीतर जीवंत बना दें। अगर आपके सोच खूब शक्तिशाली है, कल्पना प्रभावशाली है तो वह कर्म के बंधनों को भी तोड़ सकती है। आप जो बनना चाहते है, उसकी एक शक्तिशाली कल्पना करते हुए कर्म की सीमाओं को तोड़ा जा सकता है। यह नया साल विचार, भावना और कर्म की सभी सीमाओं से परे जाने का एक मौका है। यह सब तभी संभव हो पायेगा जब आप अपनी मोहमाया, हित त्यागकर अपनी मौजूदा क्षमताओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान देंगे, बाकि सभी चीजें तो अपने ऐसे होने लगेंगे, जिसकी आप कल्पना भी नहीं किए होंगे। इन सबके बीच ध्यान देने योग्य बात यह है कि आप मनुष्य है तो गलतियां होंगी ही, लेकिन इन दुर्गुणों पर काबू पाना होगा। क्योंकि दुनिया उसी को याद रखती है, जिसने दुनिया को अच्छी चीजें दी है। जिनकी समाज औद देश के निर्माण व तरक्की में बड़ी भूमिका रही है। इसलिए आप सोंचे कि इस सूची में आप कहां खड़े है? आप इस दुनिया, अपने समाज और अपने देश को क्या दिया है? इस पर भी मनन करें। डर से मनुष्य जल्द पराजित होता है। ऐसे में अपने मन के डर को दूर करें। लक्ष्य पर फोकस करें। सफलता अवश्य मिलेंगी। इसलिए आप अपनी तुच्छ इच्छाओं को जीवन का लक्ष्य मत बनाइये। 

इसे कोई उपलब्धि मत समझिएं कि मैं दो मंजिला भवन बनवाना चाहता था, नए माॅडल की कार खरीदना चाहता था, फ्रिज-कूलर-एसी खरीदना चाहता था और मैंने वह ले ली। दरअसल, यह तो होना ही था, क्योंकि बाजार आपको जीरों फीसदी ब्याज दर पर यह सब करने के लिए कर्ज जो दे रहा है और वह आप से आने वाले दस सालों में वापस वसूल लेगा। तो सोचे कि अब तो कोई भी यह सब खरीद सकता है। यानी यह सब खरीदना कोई बड़ी चींज नहीं है। सवाल यह है कि यह सब भोग-विलासता प्राप्त कर आप करेंगे क्या? हो सकता है आपका यह सब ठाठबांट देखकर कोई ईष्र्या करें, खासकर पड़ोसी, तब तो आपकों अच्छा लगेगा, लेकिन अगर उसके पास आप से भी अधिक भोग-विलासिता वाली चीजें हुई तो फिर आप बुरा महसूस करने लगेंगे। लेकिन एक इंसान के तौर पर एक जीवन  के तौर पर आप खुद को बड़ा बनाते है तो आप चाहे किसी शहर में हो यरा किसी पहाड़ पर अकेले बैठे हो, आप सकून महसूस करेंगे। यानी नए साल में जीवन को आगे ले जाने के लिए आपका यही नजरिया होना चाहिए। कहा जा सकता है इस दुनिया में असली बदलाव तभी आयेगा जब आप खुद को बदलने को तैयार हो। ये आपके भीतरी गुण ही है, जिसे आप देश-दुनियां व समाज में बांटते है। आप इसे मानें या ना मानें पर सच तो यही है कि आप जो है वही सब जगह फैलायेंगे। अगर आप को देश-दुनिया, समाज की चिंता है तो सबसे पहले आपको खुद में बदलाव लाने को तैयार रहना चाहिए। खुद को बदले बिना यदि आप कहतें है कि मैं चाहता हूं कि दुसरे सभी लोग बदलें, तो इस हालत में सिवाय टकराव के कुछ भी नहीं होने वाला। 

जीएं तो ऐसे जैसे वह आखिरी पल हो और सीखें तो ऐसे जैसे बरसों जीना हो, राष्टपिता महात्मा गांधी के ये विचार सिखाते है कि हर एक पल को उसकी सार्थकता में जीना चाहिए, क्योंकि समय किसी का इंतजार नहीं करता। जो लोग इसकी कीमत पहचानते है समय उनकी कद्र करता है। जो नहीं पहचान पाते समय उनके हाथ से रेत की तरह फिसल जाता है और पीछे छोड़ जाता है पछतावा। ठीक उसी तरह जैसे नदी बहती है तो वह लौटकर नहीं आती, दिन-रात बीत जाते है, जुबान से निकली शब्द और कमान से निकले तीर वापस नहीं लौटते, उसी तरह गया वक्त भी कभी नहीं लौटता। अच्छा होता है तो यादों में बसा रहता है, बुरा हो तो दर्द बनकर सीने में सुलगता है। कहते है अतीत कभी लौटता नहीं और भविष्य को किसी ने देखा नहीं, मगर वर्तमान हमारे हाथ में है, जिसे हम जैसा चाहें बना सकते है। अक्सर लोग चिंता में डूबे रहते है कि कल क्या होगा? सच तो यह है कि चिंता से किसी समस्या का हल नहीं होता। वक्त का सही इस्तेमाल करने से ही कुछ हासिल होता है। कल क्या हुआ और कल क्या होगा इसके बजाए यह सोचे कि आज क्या कर रहे है। आत्ममुग्ध होना गलत है मगर खुद को दुसरों के पैमाने से नापना भी गलत है। इसलिए दुसरों की चिंता किए बगैर आप क्या सोचते है और आपकी धारणा क्या है इस पर विचार करें तो बेहतर होगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अपने अंतर्मन की आवाज पर चलने का साहस दिखाएं। वहीं से सच्ची सलाह मिल सकती है बाकि तो बात की बाते हैं। इसके लिए प्रकृति सबसे सटीक उदाहरण है। हर दिन नीत समय पर सुबह होती है। दरवाजों-खिड़कियों से आती धूप की लकीर बताती है कि दिन का शुभारंभ हो चुका है। पंछी चहचहाते हुए घोसले से बाहर भोजना का प्रबंध करने निकल पड़ते है। पूरी कायनात अपने इशारों से इंसान को समय का मूल्य समझाती है। यदि समय का तालमेल थोड़ा भी गड़बड़ हो जाएं तो पृथ्वी पर हलचल मच जाती है और लोग अनहोनी की आशंका से डर जाते है। प्रकृति का यह अनुशासन इंसान सीख जाएं तो उसका जीवन सार्थक हो जाय। यानी वक्त का सम्मान तभी हो सकता है जब जीवन में अनुशासन हों। 

युवाओं के लिए नया साल खास उम्मीद लेकर आने वाला है। यानी कैरियर बनाने का वक्त है। अगर छात्र है, युवा है तो आपके पास परीक्षाओं में बेहतर करने व अच्छी नौकरी पाने का साल है। पूर्व की असफलताओं पर गौर करने से बेहतर है नए साल में कड़ी मेहनत और ईमानदारी से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना। निराश होने से काम नहीं चलने वाला। इस डर से तो कत्तई नहीं कि सीटे कम होती है और नेताओं-अफसरों के बेटो-रिश्तेदारों को वह नौकरी मिलेंगी। अगर आप पारीक्षा में नहीं उतरेंगे तो नुकसान आपका ही होगा, इसलिए परिणाम की चिंता किए बगैर इस नए साल में युद्धस्तार की तैयारी में जुटने की जरुरत है। नए साल के स्वागत में सैकड़ों-हजारों पिकनिक के नाम पर फूंकने के बजाय क्यों न इस बार की पिकनिक ऐसी हो कि कम खर्चे में ही अपने साथ-साथ दुसरे जरुरतमंदों के लिए भी कुछ खुशियां समेट ली जाय? क्या वर्ष के एक दिन के कुछ घंटे भी हम मानवता की खातिर अपने समाज के वंचितों, उपेक्षितों व शोषितों के लिए समर्पित नहीं कर सकते? दुसरे के प्रति द्वेष की भावना का अंत कर शांति-सद्भाव और आगे बढ़ने का एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें। सबसे बड़ी और अच्छी बात यह सभी भारतीय पुरुषों की कोशिश महिलाओं को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा देने की होनी चाहिए। बीतें कुछ सालों में हमारे समाज की मां-बहनें विभिन्न कारणों से खून के आंसू रोने को मजबूर है। कहीं न कहीं इसके कसूरवार हम भी है। आज आसपास घटित किसी दुर्घटना को देख आंखे बंद करने की हमारी घटिया प्रवृत्ति पर रोक लगाने की दरकार है। सामाजिक व्यवस्था में हाशिएं पर चले गए लोगों को जीवन जीने का उचित आधार मिलें, गरीबों, वंचितों एवं शोषितों की जीवन दशा में सुधार हो और उनकी संख्या घटे, कोई भूखा ना सोए, गरीबी मिटें, उग्रवाद-आतंकवाद का खात्मा हो, सुरक्षा व्यवस्था ऐसी कि युवतियां सड़कों पर विश्वास के साथ आ-जा सके, हम इसकी भी आशा रखते है। देश में ऐसी प्रतिभाएं निकलें, जो दुनिया में राज करें। ये सारे सपने पूरे हो सकते है अगर लोग अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझे और सार्थक भूमिका निभाएं।    

2016 में ग्रह-नक्षत्रों की नहीं पड़ेगी कुदृष्टि 
कन्या लग्न व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नए वर्ष की होगी शुरूआत, महिलाओं व युवाओं के लिए फायदेमंद। जी हां, नया वर्ष 2016 कला, धर्म, मीडिया, शिक्षा, बैंकिंग, व्यापार क्षेत्र के साथ ही महिलाओं व युवाओं के लिए फायदेमंद रहेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 31 दिसंबर की रात 12 बजे कन्या लग्न व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नए वर्ष की शुरूआत होगी। इस लग्न व नक्षत्र का गठजोड़ सौभाग्य योग बनाएगा, जिसका असर वर्ष भर समृद्धि में बढ़ोतरी के रूप में दिखाई देगा। शुक्रवार, एक जनवरी 2016 का सूर्योदय धनु लग्न में होगा। यह दिन शुक्र का है, जो सुख, समृद्धि, वैभव-विलासिता देने वाला ग्रह है। इसकी अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक आगामी 31 दिसंबर को रात 12 बजे कन्या लग्न रहेगी। इसका अधिपति बुध है, जबकि दिन गुरुवार रहेगा, जिसका स्वामी बृहस्पति है। बुध, कृषि व पर्यावरण का प्रतिनिधि ग्रह भी है। इन क्षेत्रों के लोगों को अब तक हुए नुकसान की भरपाई होने की संभावना है। दोनों ग्रह कई क्षेत्रों के लोगों के लिए लाभकारी व सफलता दिलाने वाले होंगे। मीडिया से जुड़े लोगों को भी आर्थिक सफलता मिलेगी और यश में बढ़ोतरी होगी। गुरू का शिक्षा, धर्म अध्यात्म और व्यवसायिक क्षेत्र में आधिपत्य है। यही वजह है कि इस पूरे वर्ष इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को तरक्की के अवसर मुहैया होंगे। बेरोजगार युवा नौकरी पा सकेंगे। साहित्य, खेल, कला क्षेत्र व ज्वेलरी, वस्त्र व सौंदर्य प्रसाधनों का व्यवसाय करने वालों की आर्थिक उन्नति होगी। इन क्षेत्रों में महिलाएं काफी प्रसिद्धि प्राप्त करेंगी। 

चंद्र व गुरू की युति सेना के पराक्रम को बढ़ाएगी और राहू राजनीति में पूरे वर्ष उलटफेर कराता रहेगा, जिससे कई राजनेताओं की परेशानी बढ़ेगी। यह भी एक संयोग है कि एक जनवरी को शुक्रवार है, वहीं 8 अप्रैल को चैत्र मास में गुड़ी पड़वा पर विक्रम संवत 2073 का शुभारंभ भी शुक्रवार को होगा। पंडितों की माने तो अंग्रेजी और हिंदी नए वर्ष का शुभारंभ शुक्रवार को होने का प्रभाव वर्ष भर सुख व समृद्धि के रूप में झलकता दिखाई देगा। साल के पहले दिन भगवान विष्णु व लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में पीले, लाल व सफेद रंग के फूल चढ़ाएं व इन्हीं रंगों के वस्त्र पहनें। कमल पुष्प चढ़ाएं तो और बेहतर होगा। ऐसा न कर सकें तो इनमें से किसी एक रंग का रूमाल साथ रखें। जबकि मेष राथ्ष वाले वाहन संभलकर चलाएं, तनाव से बचें। वृषभ राशि वालों को संतान से लाभ, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। मिथुन राशि वालों को संपति का विस्तार, दुर्घटना से बचें। कर्क राशि वालों की उन्नति, भाई-बंधुओं से लाभ होगा। सिंह राशि वालों को धन लाभ तो होगा, लेकिन खर्च भी बढ़ेगा। कन्या राशि वालों का पदोन्नति, आर्थिक लाभ के बीच तनाव रहेगा। तुला राशि वालों को मानसिक कष्ट, मांगलिक कार्य, खर्च अधिक होंगे। वृश्चिक राशि वालों की आय के स्रोत बढ़ेंगे, विवाद भी होंगे। धनु राशि वालों का भाग्योन्नति के योग, प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मकर राशि वालों के परिवार में सुख, रोजगार में सफलता। कुंभ राशि वालों को चोट की संभावना, रूके कार्य पूरे होंगे। मीन राशि वालों के विरोेधी परास्त होंगे, वाणी पर संयम रखें। जबकि सरकारी बाबुओं पर शनि और रवि भारी होंगे। 

कर्मचारियों को होगा छृट्टियों का नकसान 
साल 2016 में त्योहारों, राष्ट्रीय पर्व और दिवसों को मिलाकर कुल 20 दिन छुट्टी के मिलेंगे। जबकि सरकारीकर्मियों पर शनिवार और रविवार भारी पड़ेगा। इन दो दिनों की वजह से अगले साल सचिवालयकर्मी अपनी 11 छुट्टियां गवाएंगे। वहीं जिलों में तैनात कर्मियों को रविवार की वजह से 7 छुट्टियों का नुकसान होगा। हालांकि सरकारी कर्मी सोमवार को पड़ने वाली 7 छुट्टियों की वजह से दो या तीन दिन की लगातार छुट्टी में रहकर अपने घाटे की भरपाई कर सकेंगे। जिलों में तैनात कर्मियों को शनिवार को पड़ने वाली छुट्टियों की वजह से चार बार दो दिनों की लगातार छुट्टी मिलेगी और शुक्रवार को पड़ने वाली छुट्टियों से तीन बार लगातार छुट्टी मिलेगी। नए वर्ष से सम्राट अशोक की जयंती (14 अप्रैल, शुक्ल अष्टमी) पर छुट्टी समेत 29 अवकाश होंगे। इनमें 20 एनआई एक्ट के तहत। अशोक की जयंती पर पहले से अंबेडकर जयंती की छुट्टी रहती है। इसलिए अगले वर्ष इसका लाभ नहीं मिलेगा। होली पर 5-6 मार्च, दुर्गापूजा पर 8-11 अक्टूबर, दीवाली पर 30 अक्टूबर छठ पर 6-7 नवंबर को छुट्टी रहेगी। 
1. 26 जनवरी (मंगलवार) - गणतंत्र दिवस
2. 07 मार्च (सोमवर) - महाशिवरात्रि
3. 24 मार्च (मंगलवार) - होली
4. 25 मार्च (शुक्रवार) - गुड फ्राइडे
5. 15 अप्रैल (शुक्रवार) - राम नवमी
6. 20 अप्रैल (बुधवार) - महावीर जयंती
7. 01 मई (रविवार) - मजदूर दिवस
8. 21 मई (शनिवार) - बुद्ध पूर्णिमा
9. 06 जुलाई (बुधवार) - ईद-उल-फितर
10. 15 अगस्‍त (सोमवार) - स्‍वतंत्रता दिवस
11. 25 अगस्‍त (गुरुवार) - कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी
12. 05 सितंबर (सोमवार) - गणेश चतुर्थी
13. 12 सितंबर (सोमवार) - बकरीद
14. 02 अक्‍टूबर (रविवार) - गांधी जयंती
15. 11 अक्‍टूबर (मंगलवार) - विजयादशमी
16. 12 अक्‍टूबर (बुधवार) - मुर्हरम
17. 30 अक्‍टूबर (रविवार) - दीवाली
18. 14 नवंबर (सोमवार) - गुरु नानक जयंती
19. 13 दिसंबर (मंगलवार) - ईद-ए-मिलाद
20. 25 दिसंबर (रविवार) - क्रिसमस

सोमवार को पड़ने वाली छुट्टी
महाशिवरात्रि (7 मार्च), शब्बे बारात (23 मई), कबीर जयंती (20 जून), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), बकरीद (12 सितंबर), दुर्गा पूजा नवमी (10अक्टूबर), छठ द्वितीय अर्घ्य (7 नवंबर)।

शुक्रवारको पड़ने वाली छुट्टी
वसंतपंचमी (12 फरवरी), गुड फ्राइडे (25 मार्च ), रामनवमी (15 अप्रैल)।

शनिवारको पड़ने वाली छुट्टी
गुरुगोविंद सिंह की जयंती (16 जनवरी), वीर कुंअर सिंह जयंती (23 अप्रैल), बुद्ध पूर्णिमा (21 मई), दुर्गा पूजा सप्तमी (8 अक्टूबर)।

रविवारको पड़ने वाली छुट्टी
मई दिवस (1 मई), जानकी नवमी (15 मई), गांधी जयंती (2 अक्टूबर), दुर्गा पूजा अष्टमी (9 अक्टूबर), दीपावली (30 अक्टूबर), छठ प्रथम अर्घ्य (6 नवंबर), क्रिसमस (25 दिसम्बर)।

अन्य छुट्टियां
गणतंत्रदिवस (26 जनवरी), होली (5-6 मार्च), बिहार दिवस (22 मार्च), अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल), महावीर जयंती (20 अप्रैल), ईद (6 जुलाई), जन्माष्टमी (25 अगस्त), दुर्गा पूजा दशमी (11अक्टूबर), मुहर्रम (12 अक्टूबर), भाईदूज-चित्रगुप्त पूजा (1 नवंबर), चैहल्लुम (24 नवंबर), मोहम्मद साहब जन्मदिन (13 दिसंबर) 

गोवा में होता है न्यू ईयर का सबसे बड़ा जश्न 
नए साल में यात्रा को यादगार बनाना है तो सबसे बढि़या जगह है गोवा के समुद्र तट। क्रिसमस और न्यू ईयर साल यहां बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 31 दिसंबर की रात को एंजाय करने के लिए यहां पूरे देश से लोग आते हैं इसीलिए इस समय यहां की रौनक देखते बनती है। गोवा का नाम आते ही आंखों के सामने खूबसूरत समुद्र तट का मनोरम दृश्य सामने आ जाता है। मगर गोवा को यदि आप पास से जानेंगे तो पता चलेगा कि समुद्र तट ही नहीं यहां प्रकृति का हर मनोरम दृश्य देखने को मिलेगा। नए साल में भारत में गोवा से बेहतर जश्न कहीं नहीं मनाया जाता। यहां न्यू ईयर की पार्टी पूरी रात चलती है। रंगारंग प्रोग्राम और जश्न का जूनून इतना होता है कि लोग नए साल के लिए बुकिंग महीनों पहले ही करवाना शुरू कर देते हैं। गोवा से मुंबई की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग में महाडेई वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है, जिसे टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है। वहीं से होते हुए हिल स्टेशन अंबोली भी जाया जा सकता है। पणजी के पास स्थित बर्ड सेंचुरी पक्षी प्रेमी सलेम अली के नाम पर है। गोवा केवल दोस्तों के लिए ही नहीं परिवार के साथ समय बिताने के लिए भी एक बेहतरीन जगह है।






(सुरेश गांधी )

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