नयी दिल्ली, 12 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर पश्चिम बंगाल के मालदा में पिछले दिनों हुई हिंसा की घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। पार्टी की इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति से भी मिलने की योजना है। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने श्री सिंह को एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमें इस्लामी संस्था इदारा-ए-शरिया पर आरोप लगाया गया है कि उसने मालदा में भीड़ को सुनियोजित तरीके से एकत्रित करके स्थानीय पुलिस एवं प्रशासनिक भवनों पर हमला किया। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, सह प्रभारी सिद्धार्थनाथ सिंह और महासचिव भूपेंद्र यादव शामिल थे। श्री विजयवर्गीय ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मालदा की घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग गृहमंत्री से की है। उन्होंने कहा कि यह केवल राज्य का मामला नहीं है बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला है। वहां नशीले पदार्थों और नकली नोटों की तस्करी आम है। राज्य सरकार इसमें शामिल असामाजिक तत्वों को संरक्षण दे रही है।
इस गोरखधंधे में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े नेता भी शामिल हैं। श्री यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम भी मानते हैं कि यह साम्प्रदायिक घटना नहीं है लेकिन यह राज्य सरकार के शासन की विफलता है। उन्होंने कहा कि हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि हमें शांति समिति से मिलने दिया जाये लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गयी। राज्य सरकार ने आज तक इस बात का जवाब नहीं दिया कि इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे कैसे हो गये। उन्होंने कहा कि खुद मुख्यमंत्री ने इस घटना का व्यक्तिगत रूप से संज्ञान नहीं लिया है और राज्य सरकार सच्चाई छिपाने के लिये इस घटना पर पर्दा डाल रही है और सबूत नष्ट करने में जुटी है। गृह मंत्री ने हमारी बातें गंभीरता से सुनी और उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने साथ ही गृहमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें कहा गया है कि तीन जनवरी को मालदा जिले के कालियाचक में दो लाख से ज्यादा की संख्या में लोगों की एक गैरकानूनी भीड़ को इकट्ठा किया गया।
इस्लामी संस्था इदारा-ए-शरिया द्वारा इस भीड़ को सुनियोजित तरीके से एकत्रित करके स्थानीय पुलिस एवं प्रशासनिक भवनों पर हमला किया गया। न तो इस गैरकानूनी सभा के आयोजन के बारे में राज्य सरकार द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया है और न ही इस गैर कानूनी सभा में उपस्थित लोगों द्वारा स्थानीय प्रशासन एवं आज जनता को भयभीत किए जाने पर राज्य सरकार द्वारा कोई उचित कार्रवाई की गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि इस घटनाक्रम का स्पष्टीकरण देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह स्थानीय बीएसएफ से विवाद के कारण हुई है। यह निराधार है तथा अर्ध-सैनिक बलों के मनोबल को तोड़ने वाला बयान है। इस घटनाक्रम के पश्चात अनेक समाचार पत्रों में यह समाचार भी प्रकाशित हुए हैं कि स्थानीय पुलिस स्टेशन पर आक्रमण करके रिकॉर्ड रूम को जलाया गया। इसके पीछे सुनियोजित षडयंत्र था कि स्थानीय स्तर पर नकली मुद्रा एवं नशीले पदार्थों की तस्करी में लगे हुए लोगों का आपराधिक रिकार्ड नष्ट किया जाएं।
पार्टी का कहना है कि उसका एक तीन सदस्यीय संसदीय दल 11 जनवरी को मालदा पहुंचा और उसने स्थानीय जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षक से आग्रह भी किया कि कम से कम शान्ति समिति के सदस्यों से मिलने का अवसर दिया जाए जिससे जनसामान्य के मन में जो अविश्वास का माहौल बना है उसे कम करके विश्वास की बहाली की जा सकें। राज्य सरकार द्वारा प्रशासन पर दबाव डालकर न केवल तथ्यों को छिपाने का बल्कि सबूतों को सुनियोजित तरीके से समाप्त करने का भी प्रयास किया जा रहा है। भाजपा ने मांग है कि मालदा की संवेदनशीलता, अर्धसैनिक दलों पर मुख्यमंत्री के आरोप, सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, घुसपैठ, नकली नोट तथा नशीले पदार्थों के इस क्षेत्र से आवागमन के आरोपों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष जांच करवाई जाए तथा सीमा-क्षेत्र के सभी नागरिकों के मन में सुरक्षा एवं विश्वास का माहौल पैदा करने के सकारात्मक कदम राज्य सरकार को निर्देशित करके उठाए जाएं।

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