- मई 2016 में आयोजित इस प्रदर्शनी में 2,900 प्रदर्शकों और 66,000 आगंतुकों के शामिल होने की उम्मीद
- प्रदर्शनी चीन को खाद्य एवं पेय पदार्थों के निर्यात के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने में मददगार होगी, इस तरह दोनों देशों के बीच कारोबार घाटे में कमी आएगी। इसके अलावा कार्यक्रम 60 से ज़्यादा देशों के साथ कारोबार में सुधार के अवसर उपलब्ध कराएगा।
नई दिल्ली , 19 जनवरी, 2016ः विश्व प्रसिद्ध ैप्।स् प्रदर्शनी के एशियाई संस्करण ैप्।स् चाईना की घोषणा आज की गई जिसका आयोजन 5 से 7 मई 2016 के बीच ैछप्म्ब्, शंघाई में किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान उद्योग जगत के दिग्गज इस विषय पर चर्चा करेंगे कि कैसे ैप्।स् चाईना भारत और चीन के बीच कारोबार के संतुलन के विकास में मददगार हो सकता है। यह कार्यक्रम 60 से ज़्यादा देशों के अत्याधुनिक खाद्य उत्पादों के लिए एक सोर्सिंग मंच उपलब्ध कराएगा।
चाइना-इण्डिया चैम्बर आॅफ काॅमर्स के महानिदेशक श्री त्रिभुवन दरबारी ने भारत और चीन के बीच कारोबार के मुख्य बिन्दुओं तथा विशेष रूप से दोनों देशों के बीच बढ़ते कारोबार घाटे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच कारोबार की बात करें तो खाद्य एवं पेय उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसकी अक्सर अनदेखी की जाती है, हालांकि यह भारतीय आयातकों और निर्यातकों को भावी विकास के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।’’ उन्होंने बताया कि ैप्।स् चाईना में भारत की बढ़ती भागीदारी खाद्य एवं पेय पदार्थों के निर्यात को बढ़ावा देगी तथा दोनों देशों के बीच कारोबार के संतुलन को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण में योगदान देगी।’’ श्री दरबारी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘भारत को अपनी क्षमता के अनुसार महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। हम दुनिया भर में दूध के अग्रणी उत्पादक हैं और ऐसे में चीन को मिल्क पाउडर एवं आइस-क्रीम जैसे उत्पादों के निर्यात पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा मसालों, पेय पदार्थों, कन्फेक्शनरी, ताज़ा एवं प्रसंस्कृत फलों जैसे आम के निर्यात पर भी विचार किया जा सकता है।’’
खाद्य एवं वाईन लेखक श्री एंटोनी लुईस ने इस बदलावों पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ैप्।स् चाईना एशिया की सबसे बड़ी खाद्य एवं पेय कारोबार प्रदर्शनी है। इसके 65 फीसदी प्रदर्शक अन्तरराष्ट्रीय हैं। प्रदर्शनी के माध्यम से 60 से ज़्यादा देशों के साथ कारोबार का विकास किया जा सकता है। ैप्।स् चाईना आदर्श रूप से भारत में खाद्य उपभोग की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’ 2014 में नेशनल काउन्सिल आॅफ अप्लाईड इकोनोमिक रीसर्च के अध्ययन दर्शाते हैं कि आयस्तर के बढ़ने के साथ भारतीय परिवारों की रोज़मर्रा की खाने-पीने की आदतों में भी बदलाव आया है। भारतीय उपभोक्ता पारम्परिक अनाज तथा मौसमी उत्पादों के आहार के बजाए उच्च मूल्य के उत्पादों जैसे दूध, अण्डे, चिकन एवं विदेशी सब्जि़यों की ओर रुख कर रहें हैं।
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘‘आज शहरी भारतीय एक ऐसी विश्वस्तरीय एवं कनेक्टेड दुनिया में रहते हैं जिनके पास अन्तरराष्ट्रीय खाद्य रुझानों की हर नई जानकारी होती है, ऐसे में यह जानकारी उनकी खाने-पीने की आदतों को भी प्रभावित कर रही है। भारतीय रसोई में आज पारम्परिक व्यंजनों के स्थान पर विदेशी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं, खाना बनाने की प्रक्रिया में अन्तरराष्ट्रीय मसालों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। क्विनोआ, पारमेसन, स्रीराका और रामेन नूडल्स आज हर घर में उसी तरह जाने जाते है जैसे राजमा और पनीर। ैप्।स्ऐसे में चाईना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए नए एवं विदेशी अवयवों की सोर्सिंग के लिए एक उत्कृष्ट मंच की भूमिका निभाएगी।’’
ैप्।स् चाईना के उप प्रबन्ध निदेशक श्री बजोर्न केम्पे ने ैप्।स् चाईना 2016 के अगले सत्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘चीन दुनिया का सबसे बड़ा उपभोगी बाज़ार है और 2018 तक इसके खाद्य बाज़ार के 1.73 ट्रिलियाॅन अमेरिकी डाॅलर को पार कर जाने की सम्भावना हैः ‘‘चीनी उपभोक्ता समझदार हैं और उच्च गुणवत्ता के, विदेशी एवं सुरक्षित खाद्य पदार्थों में रुचि रखते हैं। चीन में आयात किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में तेल, जन्तुओं एवं पौधों से मिलने वाली वसाएं, सी फूड, डेरी उत्पाद, अनाज, वाईन, चीनी, बीयर और पोल्ट्री शामिल हैं। ैप्।स् चाईना में भारत की भागीदारी कृषि-प्रसंस्करण उद्योग की क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राशन, पेय और काॅन्फेक्शनरी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारतीय प्रसंस्कृत प्रदार्थ अपनी जगह बना सकते हैं। खेती की दृष्टि से विकासशील देश होने के नाते भारत चीन को ऐसे उत्पादों का निर्यात करने में सक्षम है।’’
उन्होंने कहा ‘‘ैप्।स् चाईना में 60 से ज़्यादा विभिन्न देशों के अन्तरराष्ट्रीय खाद्य उत्पादों एवं अवयवों का प्रदर्शन किया जाएगा; यह ऐसे नए एवं दिलचस्प अवयवों को जानने का आदर्श मंच होगा जिन्हें आने वाले समय में भारतीय थाली में परोसा जाएगा।’’ चूंकि खाद्य की दृष्टि से भारत के रूझान तेज़ी से बदल रहे हैं, ऐसे में ैप्।स् चाईना जैसे कार्यक्रम भारतीयों को अत्याधुनिक खाद्य रूझानों को जानने का अनूठा अवसर प्रदान करेंगे।

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