- आगामी राज्यों के विधानसभा चुनाव में बिहार की तर्ज पर वाम एकता बनाने की कोशिश.
- दलीय आधार पर पंचायत चुनाव के सवाल पर राज्यव्यापी आंदोलन का निर्णय
- 25 जनवरी को गांव-पंचायतों में मशाल जुलूस, 29 जनवरी को प्रख्ंाड मुख्यालय और 9 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना
- बटाईदार किसानों के धान क्रय के सवाल पर 24 जनवरी को चक्का जाम.
पटना 19 जनवरी 2016, हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित शोध छात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया. रोहित की आत्महत्या दो आयाम को दिखलाता है. देश में जब से भाजपा की सरकार आई है, विश्वविद्यालयों के लोकतांत्रिक-वैचारिक माहौल पर हमला किया जा रहा है. जिस तरह समाज में दलितों के साथ भेदभाव किया जाता है, अब उच्च शिक्षण संस्थानों में भी दलित छात्रों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. यह बेहद शर्मनाक है. पहले चेन्नई में अंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल को राष्ट्रद्रोही घोषित करके भंग कर दिया गया, इस बार हैदराबाद विश्वविद्यालय में ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ जैसी फिल्म दिखलाने वाले दलित छात्रों पर भाजपा के छात्र संगठन एबीभीपी द्वारा हमला किया गया. इस हमले के बाद सिकंदराबाद के भाजपा एमपी व केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और एमएचआरडी मंत्रालय के दबाव में विश्वविद्यालय के कुलपति ने इन 5 छात्रों को न केवल वि.वि. से सस्पेंड किया, बल्कि हाॅस्टल व मेस से उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया. इसमें दो केंद्रीय मंत्रियों की प्रत्यक्ष संलिप्तता है. इन मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने के सवाल पर पूरे देश में प्रतिवाद मार्च आयोजित किये जायेंगे.
देश के विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों में भाकपा-माले की कोशिश होगी कि बिहार विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही वाम-लोकतांत्रिक ताकतों की एकता स्थापित करके चुनाव लड़ा जाए. भाकपा-माले की दो दिवसीय राज्य स्थायी समिति की संपन्न बैठक में पंचायत चुनाव को दलीय आधार पर करवाने के सवाल पर आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया. दलीय आधार पर चुनाव न करवाके और शौचालय की शर्त लादकर पंचायत चुनाव मे दलितों-गरीबों को बाहर करने की साजिश रची जा रही है, जबकि पंचायतों को और ज्यादा मजबूत व जवाबदेह बनाये जाने की जरूरत है. दलितों-गरीबों के संवैधानिक अधिकारों पर हमले का हमारी पार्टी और खेमस जबरदस्त प्रतिरोध करेगी. पंचायत चुनाव को दलीय आधार पर करवाने के सवाल पर हमने राज्यव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय किया है. इसके अलावा इसमें पंचायत चुनाव अभ्यर्थी के लिए शौचालय की शर्त वापस लेने की भी मांग की जाएगी. इन सवालों पर गांव-पंचायतों में 25 जनवरी को मशाल जुलूस, 29 जनवरी को प्रखंड मुख्यालय और 9 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा. बिहार की महागठबंधन की सरकार भाजपा सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है. यह न केवल गरीबों से विश्वासघात कर रही है, बल्कि आम जनता पर महंगाई भी थोप रही है. नीतीश सरकार को महंगाई बढ़ाने, जरूरी सामानों पर टैक्स वृद्धि के लिए जनादेश नहीं मिला है. साथ ही बिहार में दलितों-गरीबों के उपर लगातार हमले भी बढ़ रहे हैं, यह बेहद चिंताजनक है.
बटाईदारों-पट्टेदारों को किसान का दर्जा देनें, समय पर किसानों का धान खरीदने, 500 रु. प्रति क्विंटल बोनस देने आदि सवालों पर भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से राज्यव्यापी आंदोलन चलेगा और आगामी 24 जनवरी को पूरे बिहार में चक्का जाम किया जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा गठित लागत मूल्य आयोग ने प्रति क्विंटल धान की पैदावार पर औसत लागत 1600 रु. तय तय किया था, लेकिन लागत का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वादा करने वाली केंद्र सरकार ने लागत मूल्य आयोगों द्वारा निर्धारित लागत से भी कम 1410 रु. प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है तथा कृषि क्षेत्र में सरकारी निवेश व अनुदान घटाने और देशी-विदेशी पूंजी निवेश के लिए दरवाजा खोलने का निर्णय लिया है, जिससे कृषि संकट और भी ज्यादा गहरा होगा. वहीं बिहार की सरकार पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी छोटे-मंझोले किसानों, बटाईदारों से उनके जरूरत के समय दिसंबर-जनवरी में धान नहीं खरीद करने के लिए नियमों को और सख्त बना दिया है, जबकि धान खरीदने वाले नियमों को आसान करने की जरूरत थी. इस तरह बिचैलियों का राज बदस्तूर जारी रहेगा. हम इसकी जोरदार मुखालफत करते हैं.

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