नयी दिल्ली 01 फरवरी, महंगायी बढ़ने और वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए बजट में उपाय किये जाने कह संभावनाओं के बीच रिजर्व बैंक के ऋण एवं मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों को स्थिर बनाये रखने की संभावना है। शोध सलाह देने वाली कंपनी डीबीएस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगायी दर दूसरी तिमाही के 3.9 फीसदी के मुकाबले बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर 5.6 फीसदी पर पहुंच गयी। हालांकि यह अभी भी रिजर्व बैंक के जनवरी 2016 में महंगायी के लिए तय लक्ष्य के दायरे में है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई का फोकस हाल के वैश्विक घटनाक्रमों के बीच घरेलू स्तर पर विकास के साथ महंगायी बढ़ने के जोखिम से निपटने पर होगा। वह वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार द्वारा किये जाने वाले संभावित उपायों से संतुष्ट होने पर मार्च- अप्रैल में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है।
इसमें कहा गया है कि वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर जोर देने में विलंब सरकार को महंगा पड़ सकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन शुक्रवार को आर्थिक विकास को गति देने के लिए अपनायी जा रही आक्रामक नीति को वित्तीय सुदृढ़ता के लिए चिंताजनक बताया था। रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को जारी होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुऐ आरबीआई से सावधानी बरतने की उम्मीद है। चालू वर्ष के मध्य में बेस इफेक्ट के सकारात्मक रहने से महंगायी में कमी आ सकती है और इसके बाद केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती कर सकता है।

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